रज्जब उल मुरज्जब, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
कयामत के दिन मोमिन के मीज़ान में अखलाक-ए-हसना (अच्छे अखलाक) से भारी कोई चीज़ नहीं होगी, और अल्लाह ताअला बेहया और बद ज़बान से नफरत करता है।
- जमाह तिर्मिज़ी
गुजिश्ता रोज छठी मुबारक के मौके पर दरगाह शरीफ के ख़ादिम ने कुल की फतेहा के बाद जायरीन के लिए खुसूसी दुआ की। इस दौरान उन्होंने हिदुस्तान की तरक्की, भाईचारगी, अमनो अमान और खुशहाली के लिए भी ख्वाजा गरीब नवाज के वसीले से दुआएं की। उर्स के दौरान दरगाह कैंपस के अलावा शहर भर में खासी भीड़ जुटी हुई है। इनमें मजहबे इस्लाम के अलावा दीगर मजाहिब के मानने वाले भी शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ के अकीदतमंदों को मिला छठी की फातिहा में शामिल होने का मौका
उर्स पाक में शिरकत के लिए रियासत छत्तीसगढ़ के बालोद व कांकेर जिले से हाजी सलीम तिगाला, हाजी अशरफ तिगाला, हाजी जाहिद खान, हाजी एमजे खान, हाजी अशरफ निर्बान, मोहम्मद जुनैद कुरैशी, आदिल अमान, अरमान खान के अलावा भानुप्रतापपुर से शम्मी राजा खान व जावेद खान वगैरह भी अजमेर पहुंचे हुए हैं। इन्हें छठी शरीफ की फातिहा में शामिल होने का मौका मिला। इस मौके पर सभी ने अक़ीदत के फूल पेश कर मुल्क व रियासत की अमन-ओ-आमान के लिए दुआएं की।रियासत छत्तीसगढ़ के अकीदतमंदों के सफर की शुरुआत अहमदाबाद से 80 किलोमीटर दूर उन्नाव शरीफ, हज़रत सय्यद मीरा दातार रहमतुल्लाह अलैह के आस्ताने में हाजिरी देने से हुई। वहां से अजमेर शरीफ पहुचें जहां दरगाह ख्वाजा मोईन उद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की जियाढाई के अलावा दिन का झोपड़ा, अनासागर, तारागढ़ पहाड़ में हजरत हुसैन मीर साहब की दरगाह, सरवाड़ शरीफ में ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के साहबजादे हजरत फखरुद्दीन चिश्ती, हज़रत क़ासिम बगदादी टांटोटी शरीफ, हज़रत साहे आलम अहमदाबाद की जियारत से मुसर्रफ होने का मौका मिला।