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मैंने अवार्ड के लिए नहीं हमेशा मुल्क की जीत के लिए खेला : सबा

रज्जब उल मुरज्जब, 1446 हिजरी 


फरमाने रसूल ﷺ

वो नौजवान, जिसकी जवानी अल्लाह की इबादत और फरमाबरदारी में गुज़री, अल्लाह ताअला उसे कयामत के दिन अपने अर्श का ठंडा साया नसीब फरमाएगा।

- बुख़ारी शरीफ 


saba anjum, ex captain of indian hocky team

इकरा फाउंडेशन की तकरीब में नवाजी गई हस्तियां
दोनों पैर में आई बड़ी इंजरी फिर भी दस साल डटी रही मैदान में
पासपोर्ट बनवाने के लिए वालदैन को बेचने पड़े थे घर के बर्तन 
मआशरे के 70 फीसद से जाईद नंबर हासिल करने वाले होनहार 46 तलबा के अलावा सीनियर सहाफी और खुसूसी शख्सियात को एजाज से नवाजा गया 


saba anjum, ex captain of indian hocky team

✅ नई तहरीक : खैरागढ़

नगर में गुजिश्ता 6 सालों से ताअलीम के शोबे में काबिले जिक्र काम कर रही तंजीम इकरा फाऊंडेशन की जानिब से 19 जनवरी, इतवार को मुल्क की पहली मुस्लिम खातून असातजा फातिमा शेख की याद में तकरीब मुनाकिद कर जिला केसीजी मआशरे के जमात 6वीं से 12वीं तक के होनहान तलबा के अलावा मुख्तलिफ शोबे में बेहतर कारकर्दगी का मुजाहरा करने वाले मआशरे के लोगों और सीनियर सहाफी को एजाज से नवाजा गया। मेहमाने खुसूसी साबिक हॉकी टीम की कप्तान, एएसपी सबा अंजुम थीं। सदारत जिला सहकारी बैंक के साबिक सदर नवाज़ खान ने की। 

बचपन में बहुत तकलीफ देखी, वालिद की दुआ से पहुंची इस मकाम तक : सबा अंजुम 

फातिमा शेख तहनीति तकरीब (सम्मान समारोह) से खिताब करते हुए मेहमाने खुसूसी, अर्जुन व गुण्डाधुर पुरस्कार (छत्तीसगढ़) इनआमयाफ्ता, मौजूदा दौर में भिलाई में पहली बटालियन में तयनात एडिशनल सुपरीटेंडेट आफ पुलिस पद्मश्री सबा अंजुम ने कहा कि उनका बचपन बहुत तकलीफों के बीच गुजरा। घर में लाईट नहीं थी। माली हालत ऐसी नहीं थी कि जिंदगी की जरूरीयात आसानी से पूरी की जा सके लेकिन घर वालों की हौसला अफजाई और खुसूसन वालिद की दुआओं का असर रहा कि मैं आज इस मकाम पर हूं। उन्होंने आगे कहा कि एक बार जब वे भारत की तरफ से दौड़ी तो उन्हें कोई हरा नहीं पाया। साल 2002 में मैनचेस्टर में मुनाकिद कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने सबसे कम उम्र की खिलाड़ी के तौर पर मुल्क की टीम की कयादत की थी। 
    कॉमनवेल्थ गेम्स जीतने के बाद उस वक्त के रेल मंत्री नीतीश कुमार ने उनसे सवाल किया था, तुम्हें क्या चाहिए, जिसके जवाब में उन्होंने नौकरी मांगी थी। तब वे महज सोलह साल की थीं जब वजीर रेल की जानिब से उन्हें इंडियन रेलवे में जूनियर क्लर्क की नौकरी मिली थी। 
    उन्होंने बताया कि जिंदगी के झंझावतों से जूझते हुए आगे बढ़ने का हौसला उन्हें रियासत के साबिक वजीरे आला अजीत जोगी की जानिब से दिए गए 1 लाख की रकम और साबिक वजीरे आला डा. रमन सिंह की पहल से पुलिस महकमे में मिली एडिशनल सुपरीटेंडेंट आफ पुलिस की नौकरी से मिला। 

अवार्ड को कभी तरजीह नहीं दी

सबा ने कहा कि मैंने कभी भी अवार्ड के लिए नहीं खेला बल्कि हमेशा मुल्क की जीत को अपना हदफ बनाकर खेला। उन्होंने मुल्क की टीम का कप्तान बनने के अपने दौर को बहुत शानदार बताते हुए कहा कि इसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत, लगन और लोगों से मिली हौसला अफजाई है। उन्होंने बताया कि 170 मैच खेलने के बाद उन्हें हिंदूस्तानी टीम की कप्तानी का मौका मिला। आपको जानकार ताअज्जुब होगा कि मुल्क के लिए दौ सौ से जाईद मैच खेलते हुए 92 गोल करने और टीम के कयादत करने वाली सबा को खेल के शुरुआती दिनों में फटे जूते पहनकर मैदान में उतरना पड़ता था। ये बताते हुए कि राष्ट्रमंडल खेल के लिए अपना इंतेखाब होने पर पासपोर्ट बनवाने के लिए उनके वालदैन को घर के बर्तन तक बेच देने पड़े थे, वे खासी जज्बाती हो गई थीं। उन्होंने बताया कि साल 2006 में उनके दोनों पैरों में बड़ी इंजुरी आई थी इसके बावजूद दस साल तक वे मुल्क के लिए खेलती रहीं। आखिर में उन्होंने मआशरे की फलाह और बहबूद के लिए इकरा फाउंडेशन की कोशिशों को सराहा और मुस्तकबिल में हर मुमकिन मदद फराहम करने का भरोसा दिलाया। 

मुल्क की गौरब हैं सबा : नवाज़ खान 

    तकरीब की सदारत कर रहे जिला सहकारी बैंक के साबिक सदर नवाज़ खान ने फातिमा शेख की जिंदगी पर रोशनी डालते हुए कहा, फातिमा शेख ने स्कूल खोलने के लिए ज्योतिबा फुले व सावित्री बाई फुले को अपने घर का कमरा मुहैया कराया था। वे मुल्क की पहली खातून असातजा थी और ये उन्हीं की कोशिशों का नतीजा है जो आज मअशरे की बेटियां ताअलीम के शोबे में आगे बढ़ रही हैं। 
    उन्होंने आगे कहा कि सबा अंजुम सिर्फ मुस्लिम मआशरे की नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ और पूरे भारत का गौरव हैं। उन्होंने कहा कि सावित्री बाई फुले ने अपने खत में लिखा था कि जो मैं कर पा रही हूं, वो फातिमा शेख की मदद की वजह से है। पैगंबर-ए-इस्लाम  
  की एक हदीस का हवाला देते उन्होंने हर हाल में ताअलीम हासिल करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, पैगंबर-ए-इस्लाम  की नसीहत है कि ताअलीम हासिल करो, चाहे इसके लिए चीन जाना पड़े। 

जिंदगी में कामयाबी के लिए सबा की जिंदगी से सबक लें : रज्जाक खान 

इकरा फाउंडेशन के बानी कारकुन व नपा के नायब सदर अब्दुल रज्जाक खान ने तलबा से सबा अंजुम की जिंदगी से सबक लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि मेहनत और लगन से पढ़ाई करते हुए वालदैन और कौम का नाम रौशन करें। 

ईमानदारी से करें मेहनत : खलील कुरैशी 

इस्तकबालिया तकरीर इकरा फाउंडेशन के सदर खलील कुरैशी ने की। मआशरे के बच्चों से उन्होंने कहा कि इज्जते नफ्स से जीने के लिए ईमानदारी से मेहनत करना पहली शर्त है। उन्होंने फाउंडेशन की जानिब से साल 2019 से ताअलीम व सेहत के शोबे में की जा रही कार्रवाई का जिक्र किया। आखिर में उन्होंने मआशरे के लोगों से अपील की कि कोई भी बच्चा ताअलीम से महरूम न रहे, इसके लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा। 

फातिमा शेख का खवातीन और बेटियों के दिए गया अतिया ना काबिले फरामोश : याहिया 

तकरीब की कार्रवाई चलाते हुए फाउंडेशन के सेक्रेटरी मोहम्मद याहिया नियाज़ी ने कहा कि खवातीन और बेटियों के लिए फातिमा शेख के अतिये को फरामोश नहीं किया जा सकता। याहिया ने ताअलीम के शोबे में फातिमा शेख की जददो जहद पर रोशनी डाली। तलबा से उन्होंने फातिमा शेख और सबा अंजुम जैसी खवातीन की जिंदगी से सीख लेने की नसीहत की। इजहारे तशक्कुर करते हुए फाउंडेशन के खजांची शम्सुल होदा खान ने तलबा को बेहतर मुस्तकबिल की दुआएं दी। 

12वीं में तशहीर और 10वीं में माहेनूर ने पाया पहला मुकाम

    इकरा फाउंडेशन की जानिब से मुनाकिद जिला सतही फातिमा शेख टैलेंट अवार्ड तकरीब में 70 फीसद से जाईद नंबर हासिल करने वाले 46 तलबा को एजाज से नवाजा गया। दीगर तलबा को मोमेंटो दिया गया। 12 वीं जमात में पहला मुकाम हासिल करने वाली खैरागढ़ की तलबा तशहीर जमाल कुरैशी को 5000 रुपए नगद, मोमेंटो, दूसरा मुकाम हासिल करने वाली तस्कीन फातिमा को 3000 रुपए नगद, मोमेंटो तीसरा मुकाम हासिल करने वाली सानिया शेख को 1100 रुपए नकद व मोमेंटो देकर एजाज से नवाजा गया। इसी तरह 10वीं जमात में पहला मुकाम हासिल करने वाली माहेनूर अंजुम को 5000 रुपए व मोमेंटो, दूसरा मुकाम हासिल करने वाली सानिया शेख को 3000 रुपए व मोमेंटो, तीसरा मुकाम हासिल करने वाली मोहम्मद तज़कीर कुरैशी को 1100 रुपए नगद व मोमेंटो देकर एजाज से नवाजा गया। इसके अलावा 6वीं जमात के मन्नत खान, 7वीं के मोहम्मद फरहान, 8वीं की अनीशा नाज़, 9वीं की निशा खान व 11वीं जमात की मिस्बाह खान समेत कुल 46 तलबा को यादगार व मोमेंटो देकर एजाज से नवाजा  गया। खास बात ये रही कि इनआम याफ्तगान 46 तलबा में बेटियों की तादाद 33 रही। 

ये भी नवाजे गए

तकरीब में मुख्तलिफ शोबे में बेहतरीन कारकर्दगी का मुजाहिरा करने वाले अकील कुरैशी, गंडई (तलवार बाजी), फाईजा मेमन (निशानेबाजी)] नाजरीन नियाजी, जगदलपुर (अब्दुल स्तरीय कलाम अवार्ड), निकहत शेख, नौशीन निशा, मुख्तार कुरैशी, नसरीन नियाज़ी (ताअलीम), अब्दुल रज्जाक खान, नगर पंचायत गंडई नायब सदर जाबिद खान, ईमरान खान, पार्षद, छुईखदान, सगीर कुरैशी, (कोरोना), सिविल अस्पताल में तयनात डॉ. अनम फातिमा, जमीर कुरैशी, फुटबॉल, छुईखदान, बिल्किस बेगम और गज़ाला खान को मेहमाने खुसूसी सबा अंजुम के हाथों एजाज से नवाजा गया। साथ ही तकरीब की कामयाबी में बेहतर तआवुन करने वाले सीनियर असातजा कलीम खान, गंडई, हाजी शेख़ आज़म खान, छुईखदान, लिमो के सरपंच इमरान खान व छुईखदान के सदर निजामुद्दीन खान को भी एजाज से नवाजा गया। 

सहाफियों के किरदार को सराहा

इस दौरान सीनियर सहाफी जिला पत्रकार संघ के सदर जितेंद्र सिंह गौर, सीनियर सहाफी चैतेंद्र तिवारी बंटी, अनुराग तुरे, भागवतशरण सिंह, खिलेंद्र नामदेव, यतेंद्रजीत सिंह, जितेंद्र यादव, रवि रजक, साकेत श्रीवास्तव व विमल बोरकर व किशोर सोनी को भी एजाज से नवाजा गया। 
    तकरीब में इकरा फाउंडेशन के बानी कारकुन व नपा के नायब सदर अब्दुल रज्जाक खान, सैय्यद जाकिर अली, सदर खलील कुरैशी, दुर्ग के सोशल वर्कर कलीम खान, सीनियर नायब सदर हाजी रिज़वान मेमन, जूनियर  नायब सदर रियाजुद्दीन कादरी, खजांची शमसुल होदा खान, सेक्रेटरी मोहम्मद. याहिया नियाज़ी, जुनैद खान, मोहम्मद सगीर खान, अमीन मेमन, तर्जुमान हाजी जाहिद अली, तंजीम की वजीर शबाना बेगम समेत मुस्लिम मआशरे खैरागढ़ के सदर अरशद हुसैन, लिमो सरपंच व सदर इमरान खान, अमलीडीह सदर ईमाम खान, छुईखदान सदर निजामुद्दीन खान, हाजी नासिर मेमन, फारुख मेमन, खजांची इदरीस खान, जामा मस्जिद के अराकीन रियाज़ अशरफी व सादिक मोतीवाला, इशरार अहमद, मतीन अशरफ, गंडई से कलीम खान, छुईखदान से हाजी शेख आज़म, हाजी आमिर खान, इरफ़ान खान, अशरफ खान आशू व अख्तर सोलंकी, मानपुर से जैनुल आबेदीन व पिपरिया से जहीम खान, तलबा, स्कूल स्टाफ और मआशरे के लोग मौजूद थे। 

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