रज्जब उल मुरज्जब, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
कयामत के दिन मोमिन के मीज़ान में अखलाक-ए-हसना (अच्छे अखलाक) से भारी कोई चीज़ नहीं होगी, और अल्लाह ताअला बेहया और बद ज़बान से नफरत करता है।
- जमाह तिर्मिज़ी
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✅ नई तहरीक : भिलाई
हजरत बिलाल, सुन्नी मस्जिद, हुडको, आमदी नगर के गुम्बद को ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैह, अजमेर शरीफ की दरगाह के सुनहरे गुम्बद की शक्ल दी गई है। अजमेर शरीफ में ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्ला अलैह के उर्स मुबारक के मौके पर छठी शरीफ पर 6 जनवरी, बरोज पीर की शाम गुंबद की खूबसूरती को और निखारे जाने के बाद यह अजमेरी गुम्बद रोशनी से नहा उठा।
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इस मौके पर मस्जिद कमेटी की ओर से फातिहा ख्वानी मुनाकिद कर दुआए खैर की गई। सदर शाहिद अहमद रज्जन ने बताया कि कमेटी की कोशिश थी कि गुंबद की खूबूसरती के साथ ही मस्जिद की एक अलग पहचान साबित हो। इसलिए यहां अजमेरी गुम्बद बनवाया गया है। इसके लिए फतेहपुर राजस्थान से आए कारीगरों समीर बाबा, काशिद अहमद, जुम्मन अली और मुमताज अली ने काफी मेहनत की और ख्वाज गरीब नवाज की मजार मुबारक के गुम्बद की हूबहू नकल यहां बना दी।
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यह गुम्बद वाई शेप ब्रिज से भी साफ नजर आता है। फातिहा ख्वानी के मौके पर नईम अहमद, आसिफ खान, जावेद अहमद, अब्दुल जिलानी, रियाज खान, अकरम, खलील अहमद, अब्दुल हक और मुनव्वर बेग सहित कमेटी के तमाम ओहदेदार मौजूद थे।