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वक्फ बोर्ड तरमीमी बिल : अजमेर समेत बड़ी दरगाहों के इंतेजामात पर होगा असर

सफर उल मुजफ्फर - 1446 हिजरी

  हदीस-ए-नबवी ﷺ  

 'जो शख्स ये चाहता है कि उसके रिज्क में इजाफा हो, और उसकी उम्र दराज हो, उसे चाहिए कि रिश्तेदारों के साथ हुस्न सुलूक और एहसान करे।'

- मिश्कवात शरीफ

वक्फ बोर्ड तरमीमी बिल : अजमेर दरगाह की आमदनी पर नजर

✅ नई दिल्ली : आइ्रएनएस, इंडिया

समाजी कारकुनान ये अंदेशा ज़ाहिर कर रहे हैं कि हुकूमत की नज़र बड़ी दरगाहों पर है। ग़ैर मुस्लिमों को दरगाह कमेटियों में शामिल किया जाएगा। इसमें खासतौर पर हज़रत ख़्वाजा मुईन उद्दीन चिशती रहमतुल्लाह अलैह, अजमेर की दरगाह मौजूद है। मुंबई में हाजी अली, उतर प्रदेश में देवा शरीफ़, किछौछा शरीफ और बहराइच शरीफ के अलावा मुल्कभर में सैंकड़ों ऐसी दरगाह हैं, जहां करोड़ों की आमदनी है। 
    डीएम को निगरां के तौर पर मुंतखब किए जाने से एक्ट में तरमीम से वक़्फ़ इमलाक के रजिस्ट्रेशन में भी दुश्वारियाँ पेश आएगी। डीएम तक सभी की रसाई मुम्किन नहीं होती। लिहाज़ा डीएम को इख़्तयारात देकर वक़्फ़ बोर्ड के इख़्तयारात को कम करने से भी वक़्फ़ इमलाक पर-असर पड़ेगा

टीडीपी ने की हिमायत

बिल की हिमायत करते हुए एनडीए की इत्तिहादी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के जीएम हरीश ने कहा, 'टीडीपी वक़्फ़ तरमीमी बिल की हिमायत करती है। इस्लाहात (सुधार) लाना और मक़सद को हमवार करना हुकूमत की ज़िम्मेदारी है। हम बिल की हिमायत करते हैं। अगर हम मौजूदा क़ानून और नए बिल की दफ़आत का मुवाज़ना (तुलना) करें तो अब तक अगर वक़्फ़ बोर्ड किसी ज़मीन पर दावा करता हो तो ज़मीन का मालिक इन्साफ़ के लिए वक़्फ़ ट्रब्यूनल के पास ही जा सकता है। नए बिल के मुताबिक़ ट्रब्यूनल के अलावा उसे रेवेन्यू कोर्ट, सिवल कोर्ट और हाईकोर्ट में अपील करने का हक़ हासिल होगा। 
    अब तक वक़्फ़ बोर्ड और दीगर के दरमयान तनाज़ा में वक़्फ़ ट्रब्यूनल के फ़ैसले को हतमी फ़ैसला समझा जाता था, वहीं नए बिल में ट्रब्यूनल के फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट जाने का हक़ होगा। अब तक जहां कोई पुरानी मस्जिद है या ज़मीन-जायदाद इस्लामी मक़ासिद के लिए इस्तिमाल होती रही है तो वो जायदाद ख़ुद बख़ुद वक़्फ़ समझी जाती थी। नए बिल में कहा गया कि जब कोई अपनी ज़मीन और जायदाद अतिया करेगा, उसे ही वक़्फ़ समझा जाएगा। ख़ाह उस पर मस्जिद हो। सबसे अहम बात ये है कि अब तक वक़्फ़ बोर्ड में ख़वातीन और दीगर मज़ाहिब के लोगों के दाख़िले पर पाबंदी थी, नए बिल में कहा गया है कि वक़्फ़ बोर्ड में 2 ख़वातीन और 2 दीगर मज़ाहिब के लोग होंगे। ख़्याल रहे कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड, मुस्लिम उल्मा और स्कालरस के साथ हज्बे-ए-इख़्तलाफ़ (विपक्ष) ने बिल के ख़िलाफ़ शदीद एहतिजाज किया है।

सपा सुप्रीमो मायावति का हुकूमत को मश्वरा

बीएसपी सरबराह मायावती ने वक़्फ़ बोर्ड तरमीमी बिल पर मर्कज़ी और यूपी हुकूमतों को मश्वरा देते हुए कहा कि क्या ये ज़रूरी है, उन्होंने कहा कि हुकूमत क़ौमी मज़हब पर अमल करे। उन्होंने मज़ीद कहा कि मंदिर, मस्जिद, ज़ातपात, मज़हब और फ़िर्कावाराना जुनून की आड़ में कांग्रेस और बीजेपी वग़ैरा ने सियासत की और इससे इंतिख़ाबी फ़ायदा उठाया, लेकिन अब रिज़र्वेशन और ग़ुर्बत, बेरोज़गारी, महंगाई वग़ैरा पर तवज्जा मर्कूज़ कर हक़ीक़ी हुब्ब-उल-वतनी साबित करने का वक़्त है। मर्कज़ी हुकूमत को मश्वरा देते हुए मायावती ने कहा कि पार्लियामेंट में पेश बिल पर जिस तरह शकूक-ओ-शुबहात और एतराज़ात सामने आए हैं, उसके पेश-ए-नज़र इस बिल को ऐवान (सदन) की स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए। बेहतर होगा कि हुकूमत ऐसे हस्सास मुआमलात पर जल्द-बाज़ी से काम ना ले। 

  वक्फ बोर्ड तरमीमी बिल, किसने क्या कहा ?  

➧  वक़्फ़ एक्ट में तरमीम कामन्सूबा बीजेपी का हिंदूत्व एजेंडा : उवैसी


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