जिल हज्ज-1445 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
तुम में से सबसे ज्यादा मुझे वो शख्स अजीज है, जिसकी आदत व अखलाख अच्छे हों।
- बुखारी शरीफ
उस शख्स लिए जन्नत की बशारत है जिसने अपनी जबान पर काबू पा लिया और अपनी गलतियों पर अश्क बहाता हो।
- बुखारी शरीफ
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✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया
सऊदी अरब में जिल हज्जा का चांद दिखाई दे गया। बरोज़ जुमा एक जिल हज था, जबकि हज का रुक्न-ए-आज़म वक़ूफ़ अर्फ़ा 15 जून 2024 को होगा।सबक़ न्यूज़ के मुताबिक़ सऊदी सुप्रीमकोर्ट की जानिब से जारी बयान में कहा गया है कि जुमेरात 29 जी काअदा 1445 हिज्री की शाम जिल हज्ज के चांद देखने की अपील की गई थी। सुप्रीमकोर्ट के बयान में मज़ीद कहा गया है कि कैलेंडर के मुताबिक़ हज का रुक्न-ए-आज़म 9 जिल हज्ज बरोज़ सनीचर 15 जून जबकि ईद-उल-अज़हा बरोज़ इतवार 16 जून को होगी।
आज़मीन-ए-हज्ज के लिए 27 हज़ार बसें और पाँच हज़ार टैक्सियां
सऊदी जनरल ट्रांसपोर्ट अथार्टी के तर्जुमान सालिह अलज़वेद ने कहा है कि अथार्टी ने हज सीज़न के लिए ज़मीनी, बहरी और ट्रेन के ज़रीये मुख़्तलिफ़ इलाक़ों से आने वाले आज़मीन के लिए 27 हज़ार बसें और पाँच हज़ार टैक्सियां मुख़तस (रिजर्व) की हैं।
अलाख़बारीह से गुफ़्तगु करते हुए उन्होंने कहा कि पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन सर्विसिज़ और रेंट ए कार के दफ़ातिर एयरपोर्टस और शहरों में फैले हुए हैं। उनका कहना था कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट अथार्टी का हदफ़ फ़राहम की जाने वाली ख़िदमात के मेयार को बेहतर बनाना है। इससे कब्ल ट्रांसपोर्ट अथार्टी ने कहा था कि अंदरून ममलकत आज़मीन-ए-हज्ज को बस ट्रांसपोर्ट सर्विस की फ़राहमी के लिए तीन कंपनियों को लाईसेंस जारी किए हैं जो मुख़्तलिफ़ शहरों से आज़मीन को मक्का मुकर्रमा लाने और ले जाने के लिए ख़िदमात फ़राहम करेंगी। ट्रांसपोर्ट अथार्टी ने ममलकत के मुख़्तलिफ़ शहरों में ट्रांसपोर्ट सर्विस के 260 प्वाईंटस मख़सूस किए हैं, जहां से यौमिया बुनियाद पर 200 बसें मक्का मुकर्रमा के लिए रवाना होंगी।हज सीजन में मुख्तसर कर दिया जाए ख़ुतबा जुमा और नमाज़ : शेख़ अलसदीस
मस्जिद उल हरम और मस्जिद-ए-नबवी में शोबा दीनी उमूर के सरबराह शेख़ डाक्टर अबदुर्रहमान अलसदीस ने हरमैन शरीफ़ैन के इमामों को हिदायत की है कि गर्म मौसम की वजह से हरमैन में हज सीज़न के दौरान ख़ुतबा जुमा और नमाज़ को मुख़्तसर किया जए। उकाज़ अख़बार के मुताबिक़ शेख़ डाक्टर अबदुर्रहमान अलसदीस ने आयम्मा-ए-हरमैन को मज़ीद हिदायत की कि हरमैन शरीफ़ैन में हज सीज़न की वजह से लाखों फरजंदान-ए-इस्लाम मौजूद हैं जिन्हें नमाज़-ए-जुमा के लिए हरमैन के सेहनों और छत पर जगह मिलती है जबकि इन दिनों ममलकत का मौसम शदीद गर्म है जिसके बाइस आज़मीन-ए-हज्ज को दुशवारी का सामना करना पड़ता है।शेख़ अलसदीस ने मज़ीद कहा कि जुमा का तवील ख़ुतबा देने से इस बात का इमकान होता है कि लोग इन बातों को याद ना रख सकें जिन्हें ख़ुत्बे में बयान किया गया हो जबकि ख़ुतबा मुख़्तसर होने की सूरत में उसे याद रखना आसान होता है। वाजेह हो कि इससे क़बल डाक्टर अलसदीस ने हरमैन शरीफ़ैन के इमामों को हिदायत की थी कि 'वो हज मौसम के दौरान अज़ान और इक़ामत के दरमयान के वक़फ़े को कम करें और नमाज़ जल्द ख़त्म करने का एहतिमाम करें ताकि आने वाले लाखों ज़ाइरीन को उमरा करने में आसानी हो और उन्हें किसी किस्म की मशक़्क़त का सामना ना करना पड़े।
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