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सऊदी अरब का नया इन्क़िलाबी कदम, हज सीज़न के दौरान चलेगी हवाई टैक्सी

जीकाअदा -1445 हिजरी

कर्ज की जल्द से जल्द करें अदायगी 

हजरत अबू मूसा अश्अरी रदिअल्लाहू अन्हु से रिवायत है कि जनाब नबी-ए-करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया- कबाईर (बड़े) गुनाहों के बाद सबसे बड़ा गुनाह यह है कि कोई शख्स मर जाए और उस पर देन यानी किसी का मी हक हो और उसके अदा करने के लिए वह कुछ न छोड कर जाए।

- अबु दाउद

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✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया 

सऊदी अरब हुकूमत की जानिब से हज और उमरा के सीज़न के दौरान आज़मीन की ख़िदमत के लिए हर मुम्किन सहूलयात और जईफुर्रहमान के राहत-ओ-आराम की खातिर इक़दामात किए जाते हैं। इस सिलसिले में इस साल पहली बार हज सीज़न के मौके पर आज़मीन की नक़ल-ओ-हमल (आवाजाही) के लिए फ्लाइंग टैक्सी सर्विस मुतआरिफ़ कराई जा रही है। 
    सऊदी अरब की वज़ारत ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स के वज़ीर इंजीनर सालिह इलजा ने कहा कि उनकी वज़ारत ने इस साल हज के सीज़न के दौरान तेज़तर टेक्नोलोजी और नक़ल-ओ-हमल के ज़राइआ से इस्तिफ़ादा करते हुए फ्लाइंग टैक्सियां और ड्रोन्ज का इस्तिमाल करने का फ़ैसला किया है। उन्होंने बताया कि ये नक़ल-ओ-हमल के जदीद मॉडल हैं। आने वाले सालों में नक़ल-ओ-हमल की अमली मसनूआत फ़राहम करने के लिए कंपनियां दौड़ धूप कर रही हैं। एक सवाल के जवाब में वज़ीर ट्रांसपोर्ट ने कहा, उनका महिकमा ममलकत की क़ियादत की रहनुमाई और हिदायात की रोशनी में हज और उमरा सीज़न के दौरान आज़मीन को आमद-ओ-रफ़त के ज़्यादा बेहतर और आरामदेह सफ़री ज़राइआ फ़राहम करने की कोशिश करती है। हर साल की तरह इस साल भी तक़रीबन अड़तीस हज़ार से ज़ाइद अमला आज़मीन (तीर्थयात्री) को सड़कों, रेल गाड़ियों और हवाई जहाज़ों के ज़रीये सफ़री और लाजिस्टक सहूलयात की फ़राहमी में मदद करेगा।

पेशावर गदागरों को ख़ैरात ना दें, आज़मीन-ए-हज्ज को हिदायत

    वज़ारत हज-ओ-उमरा ने आज़मीन-ए-हज्ज को हिदायत की है कि वो गदागरों (भिखारियों) को सदक़ा ख़ैरात ना दें। सबक़ वेबसाइट के मुताबिक़ वज़ारत ने कहा है कि हरमैन शरीफ़ैन के क़रीब और आज़मीन-ए-हज्ज की गुज़रगाहों में कुछ अफ़राद गदागरी करते नज़र आ सकते हैं। ये लोग असली मुहताज नहीं बल्कि पेशावर हैं, जिनका काम आज़मीन-ए-हज्ज को बेवक़ूफ़ बनाना है। 
    वज़ारत ने आज़मीन को हिदायत की है कि सऊदी अरब के क़ानून के मुताबिक़ गदागरी काबिल-ए-सज़ा संगीन जुर्म है जिसके इंसिदाद (रोकथाम) के लिए ख़ुसूसी इदारे काम कर रहे हैं। मुस्तहक़्क़ीन तक सदक़ा-ओ-ख़ैरात पहुंचाने के लिए ज़रूरी है कि मुस्तनद और इजाज़त याफताह इदारों से रुजू किया जाए, जिनके दफ़ातिर मक्का मुकर्रमा और मदीना मुनव्वरा में भी मौजूद हैं। वज़ारत ने कहा है कि आज़मीन-ए-हज्ज के लिए ज़रूरी है कि वो मुल्क के क़वानीन का एहतिराम करें और ज़वाबत की पाबंदी के साथ मनासिक की अदायगी करें।

सऊदी वली अहद ने मुल्क को एक रोल मॉडल में तबदील कर दिया : शहबाज़ शरीफ़

इस्लामाबाद : वज़ीर-ए-आज़म पाकिस्तान शहबाज़ शरीफ़ ने कहा है कि सऊदी वली अहद शहज़ादा मुहम्मद बिन सलमान बिन अबदुल अज़ीज़ ने ममलकत को आलमी सतह पर एक रोल मॉडल में तबदील कर दिया है। सऊदी टीवी चैनल्ज़ उलार बया और अलहदस को इंटरव्यू देते हुए शहबाज़ शरीफ़ ने कहा कि गुजिश्ता आठ बरसों में सऊदी वली अहद ने मिसाली कामयाबियां हासिल कीं जो उनकी मुदब्बिराना फ़िरासत-ओ-मिसाली क़ियादत के सबब ही मुम्किन हो सकी हैं। 
    उनका कहना था कि शहज़ादा मुहम्मद बिन सलमान ने ममलकत का विजन 2030 पेश किया जो दुनिया के लिए एक मिसाली नमूना है। वज़ीर-ए-आज़म पाकिस्तान ने सऊदी अरब के साथ ताल्लुक़ात के हवाले से कहा कि 'पाकिस्तान का कोई भी वज़ीर-ए-आज़म मुंतख़ब होने के बाद अपने पहले ग़ैरमुल्की दौरे का आग़ाज़ सऊदी अरब से करता है। इस तरह ये एक रिवायत रही है और ये रिवायत जारी रहेगी। हमारे ताल्लुक़ात दहाईयों पर मुहीत हैं। हमारे ग़म-ओ-ख़ुशी मुशतर्का हैं। हम कामयाबी और तरक़्क़ी में भी शराकतदार हैं

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