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ये मुल़्क शरीयत से नहीं, यकसाँ सिविल कोड से चलेगा : अमित शाह

शव्वाल -1445 हिजरी

हदीस-ए-नबवी ﷺ 

'' लोगों में सबसे बुरा आदमी वह है जिसकी बदकलामी की वजह से लोग उसका साथ छोड़ दें। ''

- बुखारी शरीफ

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✅नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया 

मर्कज़ी वज़ीर-ए-दाख़िला (केंद्रिय गृह मंत्री) अमित शाह 26 अप्रैल को गौना पार्लियामानी हलके के मंडी काम्प्लेक्स में अवाम से ख़िताब किया। वहां उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ओबीसी मुख़ालिफ़ पार्टी है। बरसों से ओबीसी ज़ुमरे के लोगों को मर्कज़ी इदारों में रिज़र्वेशन नहीं दिया गया था। कांग्रेस 70 साल तक आर्टीकल 370 को अपने बच्चों की तरह बचाती रही, जबकि पीएम मोदी ने 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से आर्टीकल 370 को एक ही झटके में ख़त्म कर दिया।     
    उन्होंने आगे कहा कि वज़ीर-ए-आज़म मोदी ने मुल्क की तरक़्क़ी में एससी, एसटी और ओबीसी को पहली तर्जीह दी है। लेकिन, कांग्रेस का कहना है कि मुल्क के वसाइल पर पहला हक़ मुस्लमानों का है। हम कांग्रेस के इरादे को पूरा नहीं होने देंगे। वज़ीर-ए-दाख़िला शाह ने कहा कि ये मुल़्क यकसाँ सिविल कोड (यूसीसी) से चलेगा। ये हमारे आईन की रूह है। हम उत्तराखंड में यूसीसी लाए हैं। उन्होंने कहा क वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी ने गारंटी दी है कि हम यूसीसी को पूरे मुल्क में नाफ़िज़ करेंगे। कांग्रेस के मंशूर (मेनोफेस्टो) को ग़ौर से पढ़ें। उन्होंने कहा है कि हम पर्सनल ला को दुबारा नाफ़िज़ करेंगे। कांग्रेस मुल्क में मुस्लिम पर्सनल ला लाना चाहती है। आप बताएं, क्या ये मुल़्क शरीयत पर चलेगा। उन्होंने कहा कि जब तक बीजेपी है, हम पर्सनल ला को मुतआरिफ़ नहीं होने देंगे। 
    वज़ीर-ए-दाख़िला शाह ने कहा कि वज़ीर-ए-आज़म मोदी ने मुल्क से दहश्तगर्दी और नक्सलज़म को ख़त्म कर दिया है। मुलक के वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी ने हमारे मध्य प्रदेश को नक्सलज़म से आज़ाद कराने का काम किया है। उन्होंने 10 सालों में मुल्क के करोड़ों ग़रीबों के लिए बहुत काम किया है। इसके अलावा पीएम मोदी ने कुछ तारीख़ी काम भी किए हैं। ये इलेक्शन मुल्की मईशत (अर्थव्यवस्था) को तीसरी बड़ी मईशत बनाने का इलेक्शन है। ख़्याल रहे कि कांग्रेस के इंतिख़ाबी मंशूर के किसी भी नकात में ऐसी बातें नहीं हैं, जिनका ज़िक्र अमित शाह कर रहे हैं।

ज्ञान वापी मामले पर फ़ैसला सुनाने वाले जज को मिली जान से मारने की मुबय्यना धमकी

ज्ञान वापी मामले पर फ़ैसला सुनाने वाले जज को मिली जान से मारने की मुबय्यना धमकी

वाराणसी : 
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का हुक्म देने वाले जज को एक बैन-उल-अक़वामी नंबर से जान से मारने की धमकी मिली है। जज का कहना है कि उन्हें मुसलसल धमकीयां दी जा रही है। इससे कब्ल भी उन्हें धमकी मिल चुकी थीं जिसकी वजह से उनकी सिक्योरिटी बढ़ा दी गई थी। 
    ज्ञानवापी पर फ़ैसला सुनाने वाले जज फ़िलहाल बरेली में तयलरत हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें वाई जुमरे की सिक्योरिटी देने का हुक्म दिया था। हालांकि बाद में उनकी सिक्योरिटी कोर एक्स कैटेगरी में कम कर दिया गया था। फ़िलहाल उनके पास दो सिक्योरिटी अहलकार हैं। उनका कहना है कि ये सिक्योरिटी नाकाफ़ी है, क्योंकि दोनों अहलकारों के पास ख़ुदकार बंदूक़ो और जदीद हथियारों से लैस दहश्तगरदों का मुक़ाबला करने के लिए हथियारों की कमी है। 
    रिपोर्ट के मुताबिक़ जस्टिस ने इस हफ़्ते एसएसपी सुशील चन्द्रभान घुले को ख़त लिखकर बैन-उल-अक़वामी नंबरों से धमकी आमेज़ काल मिलने की शिकायत की थी। जज ने 2018 के बरेली फ़सादाद केस का अज़खु़द नोटिस लेते हुए सीनीयर आलिम तौक़ीर रज़ा के मुबय्यना मास्टरमाइंड के तौर पर मुक़द्दमा चलाने का मुतालिबा किया था। उसके बाद 2022 में वाराणसी के ज्ञान वापी काम्प्लेक्स का वीडियोग्राफी सर्वे का हुक्म दिया। जज ने कहा कि इस दीवानी केस को ग़ैरमामूली केस बना कर ख़ौफ़ का माहौल पैदा किया गया। 

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