रोजादार का हर अमल इबादत
'' नबी-ए-करीम ﷺ का इरशाद है कि रोजेदार का सोना भी इबादत है, उसकी खामोशी तस्बीह, उसके अमल का सवाब दो गुना है, उसकी दुआ कुबूल की जाती है और उसके गुनाह बख्श दिए जाते हैं। ''
- कंजुल इमान
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✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया
मस्जिद अल हराम, मक्का मुकर्रमा और मस्जिद नबवी ﷺ मदीना मुनव्वरा में रमज़ान उल-मुबारक के आख़िरी अशरे की 25 वीं शब गुज़ारने के लिए लाखों जायरीन जमा हुए जहां उन्होंने तहज्जुद की नमाज़ और दुआ में शिरकत की।सरकारी न्यूज एजेंसी एसपीए के मुताबिक़ मस्जिद अल हराम के अंदरूनी और बैरूनी सेहन लोगों से भर गए जबकि तरावीह और तहज्जुद की नमाज़ के लिए सफे सड़कों तक पहुंच गईं। इंतिज़ामीया की जानिब से क्राउड को कंट्रोल करने के लिए आमद-ओ-रफ़त के रास्तों को जुदा कर दिया गया ताकि इज़दहाम का टकराव ना हो और चलने वालों को किसी किस्म की दुशवारी का सामना ना करना पड़े।
इदारा अमन आम्मा ने इज़ाफ़ी अहलकारों को भी मस्जिद उल हराम के अतराफ़ में तायिनात किया था जो सेहनों में डेरा डालने वालों को वहां से हटाते हैं ताकि राहदारियों को ख़ाली रखा जाए। मस्जिद अल-हराम के एतराफ़ में ट्रैफ़िक को रवां रखने के लिए भी ख़ुसूसी इंतिज़ामात किए गए। ट्रैफ़िक अहलकार किसी गाड़ी को ज़्यादा देर तक खड़े होने की इजाज़त नहीं देते।
दूसरी जानिब मस्जिद नबवी ﷺ में भी लाखों अफ़राद 25 वीं शब की ख़ुसूसी दुआ में शिरकत के लिए मग़रिब के फ़ौरी बाद से ही पहुंचना शुरू हो गए थे। मस्जिद नबवी ﷺ के अंदरूनी सेहनों के अलावा छत और बैरूनी सेहन भी ज़ाइरीन से भरे हुए थे जो कयाम अल लैल की नमाज़ अदा करने के बाद वहां से रुख़स्त हुए।
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