शव्वाल -1445 हिजरी
हदीसे नबवी ﷺ
तकदीर का लिखा टलता नहीं
'' हजरत अबु हुरैरह रदि अल्लाहो अन्हुमा ने फरमाया-अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल करो और अल्लाह ताअला से मदद चाहो, और हिम्मत मत हारो और अगर तुम पर कोई वक्त पड़ जाए तो यूं मत कहो कि अगर मैं यूं करता तो ऐसा हो जाता, ऐसे वक्त में यूं कहो कि अल्लाह ताअला ने यही मुकद्दर फरमाया था और जो उसे मंजूर हुआ, उसने वहीं किया। ''
- मुस्लिम शरीफ
----------------------------------------
✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया
मस्जिद उल हराम में इतवार को रमज़ान की 29 वीं शब में तरावीह में ख़त्म क़ुरआन और दुआ की गई। इस मौके पर 25 लाख से ज़्यादा अफ़राद ने शिरकत की। सऊदी अरब की सरकारी न्यूज एजेंसी के मुताबिक़ लोगों की बड़ी तादाद सुबह से ही मस्जिद उल हराम पहुंचना शुरू हो गई थी। मस्जिद के अंदरूनी और बैरूनी (बाहरी) सेहनों के अलावा छत और एतराफ़ की सड़कें ज़ाइरीन से भर गईं थी। हरमैन शरीफ़ैन में दीनी उमूर के सरबराह शेख़ अल सदीस ने इस बाबरकत रात मग़फ़िरत, जहन्नुम की आग से बचाने और ममलकत को तमाम बुराईयों से महफ़ूज़ रखने की दुआ की। अलावा इसके मस्जिद नबवी ﷺ में भी 29 वीं शब को लाखों अफ़राद ने नमाज़-ए-तरावीह में ख़त्म क़ुरआन और दुआ में शिरकत की। मस्जिद नबवी ﷺ की छतें, सेहन, राहदारी नमाज़ से पहले ही नमाज़ियों से भर गईं। एतराफ़ की सड़कों और इलाक़ों में भी सफ़ें नमाज़ियों से भरी थीं। मस्जिद नबवी ﷺ के इमाम शेख़ सलाह अलबदेर ने तरावीह की नमाज़ की इमामत की और इस बाबरकत रात मुस्लमानों के लिए मग़फ़िरत, जहन्नुम की आग से बचाव और ममलकत को तमाम बुराईयों से महफ़ूज़ रखने की दुआ की।
हरमैन शरीफ़ैन अथार्टी ने मुताल्लिक़ा इदारों के तआवुन ने ज़ाइरीन की आसानी और उनके तहफ़्फ़ुज़ के लिए तमाम ज़रूरी इंतिज़ामात किए थे। रमज़ान उल-मुबारक के आख़िरी अशरे में नमाज़ियों और ज़ाइरीन को बेहतर तजुर्बा फ़राहम करने और इबादत के लिए साज़गार माहौल फ़राहम करने की मंसूबा बंदी की गई थी। मस्जिद उल हराम और मस्जिद नबवी ﷺ जाने वाले रास्तों पर ट्रैफ़िक पुलिस के अहलकार जबकि इज़दहाम को कंट्रोल करने के लिए भी ख़ुसूसी टास्क फ़ोर्स के दस्ते तयनात किए गए थे ताकि लोग मुनज़्ज़म तरीक़े से मस्जिद में दाख़िल हो सकें।
मुस्लमान रमज़ान उल-मुबारक के आख़िरी दिन ग़ुरूब-ए-आफ़्ताब से पहले सदक़ा फ़ित्र अदा करते हैं, हालांकि ईद से एक या दो दिन पहले भी सदक़ा फ़ित्र अदा किया जा सकता है। उन्होंने मज़ीद कहा कि इसकी अदायगी 28 रमज़ान या मुक़द्दस महीने की 29 तारीख़ से शुरू हो सकती है। सदक़ा फ़ित्र ग़रीबों के हाथों में पहुंचाया जाना चाहिए या उन लोगों को दिया जाना चाहिए जो सदक़ा फ़ित्र वसूल करने पर मुक़र्रर हैं। अल शेख़ अबदुल अज़ीज़ ने मज़ीद कहा कि सदक़ा फ़ित्र तमाम मुस्लमानों, मर्दों और औरतों, बूढ़ों और जवानों, आज़ाद और ग़ुलामों सभी पर लाज़िम है। इब्ने उमर रदि अल्लाह अन्हु बयान करते हैं कि रसूल अल्लाह ﷺ ने रमज़ान उल-मुबारक में सदक़ा फ़ित्र खजूर या जौ के तौर पर फ़र्ज़ किया है।
सदक़ा-ए-फ़ित्र नक़दी देना दुरुस्त नहीं, ऐसा करना ख़िलाफे सुन्नत : मुफ़्ती-ए-आज़म सऊदीया
सऊदी अरब के मुफ़्ती-ए-आज़म और उल्मा काउंसिल के चेयरमैन अल शेख़ अब्दुल अज़ीज़ ने कहा कि सदक़ा-ए-फ़ित्र नक़द शक्ल में अदा करना ख़िलाफे सुन्नत है। उनका कहना है कि हुज़ूर ﷺ और खल़िफ़ा-ए-राशिदीन ख़ुराक की शक्ल में सदक़ा फ़ित्र अदा करते थे। ख़्याल रहे कि सऊदी मुफ़्ती-ए-आज़म का ये बयान एक ऐसे वक़्त में सामने आया है, जब सोशल मीडीया और बाअज़ दूसरे मीडीया प्लेटफ़ार्मज़ पर एक बहस चल रही है, जिसमें कहा गया है कि नक़दी की शक्ल में जकात अदा करना मुनासिब नहीं बल्कि बेहतर है कि जकात और सदक़ात को जिन्स (अनाज) में अदा किया जाए। सऊदी प्रेस एजेंसी एसपीए के मुताबिक़ ममलकत के मुफ़्ती-ए-आज़म ने कहा कि सदक़ा फ़ित्र इन्सानी ख़ुराक गंदुम, चावल, किशमिश और जौ समेत दीगर चीज़ों से लिया जाता है।मुस्लमान रमज़ान उल-मुबारक के आख़िरी दिन ग़ुरूब-ए-आफ़्ताब से पहले सदक़ा फ़ित्र अदा करते हैं, हालांकि ईद से एक या दो दिन पहले भी सदक़ा फ़ित्र अदा किया जा सकता है। उन्होंने मज़ीद कहा कि इसकी अदायगी 28 रमज़ान या मुक़द्दस महीने की 29 तारीख़ से शुरू हो सकती है। सदक़ा फ़ित्र ग़रीबों के हाथों में पहुंचाया जाना चाहिए या उन लोगों को दिया जाना चाहिए जो सदक़ा फ़ित्र वसूल करने पर मुक़र्रर हैं। अल शेख़ अबदुल अज़ीज़ ने मज़ीद कहा कि सदक़ा फ़ित्र तमाम मुस्लमानों, मर्दों और औरतों, बूढ़ों और जवानों, आज़ाद और ग़ुलामों सभी पर लाज़िम है। इब्ने उमर रदि अल्लाह अन्हु बयान करते हैं कि रसूल अल्लाह ﷺ ने रमज़ान उल-मुबारक में सदक़ा फ़ित्र खजूर या जौ के तौर पर फ़र्ज़ किया है।
For the latest updates of islam
Please क्लिक to join our whatsapp group & Whatsappchannel