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जकात के असल कांसेप्ट '' दूर हो गुरबत '' को लेकर बस्तर संभाग जकात फंड की तशकील

रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी

रोजदार का हर अमल इबादत

नबी-ए-करीम ﷺ का इरशाद है कि रोजेदार का सोना भी इबादत है, उसकी खामोशी तस्बीह, उसके अमल का सवाब दो गुना है, उसकी दुआ कुबूल की जाती है और उसके गुनाह बख्श दिए जाते हैं। 
- कंजुल इमान

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✅ मोहम्मद शमीम : रायपु

रमजान उल मुबारक के मौक पर बस्तर संभाग जकात फंड को तशकील दी गई है। इसका मकसद मआशरे की गुरबत दूर करना और मआशरे के लोगों के लेवल को ऊंचा उठाना है, जो जकात का असर कांसेप्ट भी है। 
    गौरतलब है कि बस्तर संभाग से हर साल माहे सयाम के मौके पर करोड़ो रुपए की जकात निकलती है। बस्तर जकात फंड की तशकील देने वालों का कहना है कि बस्तर संभाग से निकलने वाली जकात का कुछ फीसद जकात फंड में दें ताकि संभाग की गुरबत दूर की जा सके। कौम के बच्चों को, जो तालीम याफ़्ता हैं, और रकम की कमी की वजह से अपनी पढ़ाई जारी नही रख सकते, उनकी तालीम का खर्च बस्तर संभाग जकात फंड से पूरा किया जा सकता है ताकि वे आला ताअलीम हासिल कर इंजीनियरिंग, आईएएस, आईपीएस,  टेक्निकल, मेडिकल, सीए, होटल मैनेजमेंट और वकालत जैसे पेशों में रहकर कौम की नुमाइंदगी कर सकें और एक मजबूत मआशरा बना सकें। इसके अलावा कौम के बेरोजगार नौजवानों को जकात के मुनज्जम इंतेजाम से रोजगार मुहैया कराया जा सकता है। 

जकात के लुटेरों से बचें

आजकल एक नया चलन देखने में आ रहा है। कुछ लोग पीर का चोला पहनकर छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के छोटे-छोटे गांव कस्बों में पहुंचकर कौम का लाखों रुपए का चंदा लूट कर ले जाते हैं। इन्हें कोई रोकने वाला नहीं है। जबकि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने कौम की जकात या इमदाद की रकम को उसके मुस्तहिक तक पहुंचाएं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए बस्तर संभाग जकात फंड को तशकील दी गई है। 

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