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पुरानी मस्जिद की जगह पर नमाज़ की नहीं मिली इजाज़त

रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी

रोजादार का हर अमल इबादत

'' नबी-ए-करीम ﷺ का इरशाद है कि रोजेदार का सोना भी इबादत है, उसकी खामोशी तस्बीह, उसके अमल का सवाब दो गुना है, उसकी दुआ कुबूल की जाती है और उसके गुनाह बख्श दिए जाते हैं। '' 
- कंजुल इमान 

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पुरानी मस्जिद की जगह पर नमाज़ की नहीं मिली इजाज़त
-  file photo

नई तहरीक : उर्दू अदब और इस्लामी तारीख का पहला और वाहिद न्यूज पोर्टल… 
ढहा दिया गया था मस्जिद, मदरसा और कब्रिस्तान को 
करीब सात सौ साल पुरानी दिल्ली सल्तनत के दौर की थी मस्जिद

✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अर्ज़ी को मुस्तर्द (रद्द) करते हुए कहा कि वो एक क़दीम (पुरानी) मस्जिद के मुक़ाम पर रमज़ान की नमाज़ की इजाज़त नहीं दे सकती। दरअसल हाईकोर्ट में अर्ज़ी दायर कर ये मुतालिबा किया गया है कि रमज़ान उल-मुबारक में मुस्लिम कम्यूनिटी को क़दीम मस्जिद की जगह पर नमाज़ अदा करने की इजाज़त दी जाए।
    गौरतलब है कि इस साल 30 जनवरी को जुनूबी दिल्ली के महरौली इलाक़े में वाके आखुंद जी मस्जिद और बहरा उल उलूम मुदर्रिसा को डीडीए ने बुल्डोज़ कर ज़मीं बोस कर दिया गया था। इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना फ़ैसला सुनाया है जिसमें मिस्मार की गई मस्जिद में रमज़ान उल-मुबारक की नमाज़ अदा करने से मुताल्लिक़ दरख़ास्त दायर की गई थी। जस्टिस सचिन दत्ता ने 11 मार्च को दरख़ास्त मुस्तर्द करते हुए कहा कि शब-ए-बरात के दौरान मस्जिद की जगह पर दाख़िले के लिए इसी तरह की दरख़ास्त पहले ही मुस्तर्द कर दी गई है। 
    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि 23 फरवरी 2024 के पहले हुक्म में दी गई दलील मौजूदा दरख़ास्त के तनाज़ुर में भी लागू होती है। इन हालात में इस अदालत के लिए मुख़्तलिफ़ नुक़्ता-ए-नज़र इख़तियार करने का कोई जवाज़ नहीं है। इस तरह ये अदालत मौजूदा दरख़ास्त में मांगी गई रीलीफ़ देने के लिए माइल नहीं है और नतीजतन उसे ख़ारिज किया जाता है। नमाज़ रमज़ान के लिए दरख़ास्त कमेटी मुदर्रिसा बहर-उल-उलूम और क़ब्रिस्तान ने दायर की थी। 23 फरवरी को हाईकोर्ट ने दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड की मैनेजिंग कमेटी की तरफ़ से दायर दरख़ास्त को ख़ारिज कर दिया था, जिसमें ये हिदायत मांगी गई थी कि मुक़ामी लोगों को शबे-ए-बरात इस ज़मीन पर मनाने की इजाज़त दी जाए, जहां एक मस्जिद, क़ब्रिस्तान और मुदर्रिसा था। 
    आपको बता दें दिल्ली डेवलपमेंट अथार्टी (डीडीए) ने 30 जनवरी की सुबह महरौली में अखुंद जी मस्जिद और बहर-उल-उलूम मुदर्रिसा को मुनहदिम कर दिया था। तारीख़ी तौर पर ये दावा है कि ये मस्जिद तक़रीबन 600-700 साल कब्ल दिल्ली सलतनत के दौर में बनाई गई थी।

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