रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी
13 रमज़ान
(इंजील शरीफ नुजूल)
हदीस-ए-नबवी ﷺ
'' रमजान में घर वालों पर खुलकर खर्च किया करो क्योंकि रमजान के महीने में खर्च करना अल्लाह ताअला की राह में खर्च करने की तरह है। ''- अल जामिउस्सगीर
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✅ लखनऊ : आईएनएस, इंडिया
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक बड़ा फ़ैसला सुनाते हुए यूपी बोर्ड आफ़ मुदर्रिसा एजूकेशन एक्ट 2004 को ग़ैर आईनी (असंवैधानिक) क़रार दिया है। अदालत ने कहा कि ये एक्ट सेक्यूलारिजम के उसूल के ख़िलाफ़ है। अदालत ने यूपी हुकूमत को हिदायत दी कि वो मदारिस में जेरे ताअलीम तलबा को बुनियादी तालीमी निज़ाम में जगह दे।यूपी हुकूमत ने मदारिस की तहक़ीक़ात के लिए अक्तूबर 2023 में एसआईटी तशकील दी थी। एसआईटी मदारिस को दी जाने वाली ग़ैर मुल्की फंडिंग की तहक़ीक़ात कर रही है। पिटीशनर अंशूमन सिंह राठौड़ और दीगर ने अर्ज़ी दाख़िल कर एक्ट को चैलेंज किया था। अदालत में इस केस में (न्याय मित्र) अकबर अहमद और दीगर वुकला ने अपना मौक़िफ़ पेश किया। जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की डिवीजन बेंच ने भी ये हुक्म जारी किया।
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हाईकोर्ट का ये फ़ैसला एक दायर दरख़ास्त पर आया है, जिसमें यूपी मुदर्रिसा बोर्ड के इख़्तयारात को चैलेंज किया गया था। उतर प्रदेश में तक़रीबन 26 हज़ार मदारिस चल रहे हैं। इनमें से 12,800 मदारिस की रजिस्ट्रेशन के बाद कभी तजदीद (नवीनीकरण) नहीं हुई। 8500 मदारिस ऐसे हैं, जो कभी रजिस्टर्ड नहीं हुए। 4600 मदारिस रजिस्टर्ड हैं और ख़ुद ख़र्च करते हैं। इसके अलावा 598 मदारिस सरकारी मदद से चलते हैं, यानी तमाम फ़ंडज़ हुकूमत फ़राहम करती है।
अदालत के फ़ैसले का असर ये हो सकता है कि मुदर्रिसा बोर्ड को तहलील (विघटित) कर दिया जाए। इसकी वजह से हुकूमत से माली इमदाद हासिल करने वाले मदारिस को कोई सरकारी मुराआत नहीं मिलेगी, उनको भी बंद किया जा सकता है। ताहम मुदर्रिसा चलाने वाले इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ आला अदालत से रुजू कर सकते हैं। इसलिए अभी वाजेह तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता कि इसका कोई फ़ौरी असर पड़ेगा या नहीं।
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