शअबान उल मोअज्जम-1445 हिजरी
हदीसे नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लमतकदीर का लिखा टलता नहीं
'' हजरत अबु हुरैरह रदि अल्लाहो अन्हुमा ने फरमाया-अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल कर और अल्लाह ताअला से मदद चाह, और हिम्मत मत हार और अगर तुझ पर कोई वक्त पड़ जाए तो यूं मत कह कि अगर मैं यूं करता तो ऐसा हो जाता, ऐसे वक्त में यूं कह कि अल्लाह ताअला ने यही मुकद्दर फरमाया था और जो उसके मंजूर हुआ, उसने वहीं किया। '' - मुस्लिम शरीफ
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ट्रेफिक में परेशानी का हवाला देकर लोगों से मांगा गया था मश्विरा
✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
दिल्ली की 700 साल पुरानी मस्जिद और 900 पुराने अखुंद जी मज़ार पर डीडीसी की बुलडोज़र कार्रवाई के बाद अब 150 साल पुरानी मस्जिद पर बुलडोजर चलने का खतरा मंडराने लगा है। एनडीएमसी यानी नई दिल्ली म्यूनसिंपल काउंसिलि ने दिल्ली में वाके सुनहरी बाग़ मस्जिद को हटाने के लिए लोगों से तजावीज़ मांगी हैं। हालांकि लोगों की तजावीज़ आने से पहले ही ये मुआमला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है।मस्जिद के इमाम 150 साल पुरानी सुनहरी बाग़ मस्जिद के मुजव्वज़ा इन्हिदाम (ढहाने) के मुआमले को लेकर हाईकोर्ट पहुंचे हैं, जिस पर 28 फरवरी को समाअत हुई थी। बुध की समाअत के दौरान, दिल्ली हाईकोर्ट को बताया गया कि क़ौमी दार-उल-हकूमत में सुनहरी बाग़ मस्जिद के मुजव्वज़ा इन्हिदाम का मुआमला उसकी सिफ़ारिश के लिए हैरीटेज कंजर्वेशन कमेटी (एचसीसी) को भेज दिया गया है। दिल्ली हाईकोर्ट सुनहरी बाग़ मस्जिद के इमाम की एक अर्ज़ी पर समाअत कर रही थी, जिसमें नई दिल्ली म्यूनसिंपल काउंसिल (एनडीएमसी) के 24 दिसंबर के अवामी नोटिस को चैलेंज किया गया था, जिसमें मस्जिद को हटाने के बारे में आम लोगों से एतराज़ात, मश्वरे तलब किए गए थे।
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दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रैफ़िक पुलिस की तरफ़ से पेश होने वाले सीनीयर ऐडवोकेट संजय जैन ने कहा कि दरख़ास्त इस मरहले पर फ़ुज़ूल है, क्योंकि मुआमला एचसीसी के सामने ज़ेरे इलतिवा (लंबित) है और दरख़ास्त गुज़ार कमेटी के फ़ैसले की पीशीनगोई नहीं कर सकता। जस्टिस सचिन दत्ता ने इस पहलू पर दरख़ास्त गुज़ार के वकील से भी सवाल किया और पूछा कि क्या फ़िलहाल दरख़ास्त पर बेहस की जा सकती है, क्योंकि इन्हिदाम का ख़तरा एचसीसी की सिफ़ारिश के बाद ही आएगा। अर्ज़ी गुज़ार की नुमाइंदगी करने वाले सीनीयर वकील ने कहा कि वो एनडीएमसी की कार्रवाई की क़ानूनी हैसियत को चैलेंज कर रहे हैं और अगर ये पिटीशन दायर ना की गई होती और एचसीसी की तरफ़ से एक मुख़ालिफ़ सिफ़ारिश की जाती तो उन्हें 48 घंटों के अंदर अदालत में आना पड़ेगा।
दरअसल दिसंबर के महीने में ही एनडीएमसी ने दिल्ली में उद्योग भवन के सामने गोल चक्कर पर वाके 150 साल पुरानी सुनहरी बाग़ मस्जिद को हटाने के लिए लोगों से तजावीज़ मांगी थीं। एनडीएमसी ने कहा था कि लोग मस्जिद से मुताल्लिक़ अपनी तजावीज़ एक जनवरी की शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। एनडीएमसी का कहना है कि ट्रैफ़िक की आसानी के लिए इस मस्जिद को हटाना लाज़िमी है।
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले डीडीए ने महरौली के इलाक़े वाली 900 साल पुराने अखुंद जी मज़ार को गै़रक़ानूनी कहते हुए बुलडोज़र से गिरा दिया था। 21 फरवरी को ही दिल्ली हाईकोर्ट ने इलाक़े में मुबय्यना ट्रैफ़िक जाम की वजह से सुनहरी बाग़ मस्जिद के मुजव्वज़ा इन्हिदाम के ख़िलाफ़ दायर पीआईएल पर ग़ौर करने से इनकार कर दिया था। क़ाइम मक़ाम चीफ़ जस्टिस मनमोहन सिंह और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की डिवीजन बेंच ने कहा कि इसी तरह की एक अर्ज़ी पहले ही हाईकोर्ट के एक जज के सामने जेरे इलतिवा है और उसे हुक्म देने की ज़रूरत नहीं है।
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