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कुरआन इंसानियत को सीधा रास्ता बताने वाली किताब : हाफिज कासिम

रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी

कर्ज की जल्द से जल्द करें अदायगी 

'' हजरत अबू मूसा अश्अरी रदिअल्लाहू अन्हु से रिवायत है कि जनाब नबी-ए-करीम  ने इरशाद फरमाया- कबाईर (बड़े) गुनाहों के बाद सबसे बड़ा गुनाह यह है कि कोई शख्स मर जाए और उस पर देन यानी किसी का मी हक हो और उसके अदा करने के लिए वह कुछ न छोड कर जाए। '' 
- अबु दाउद

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कुरआन इंसानियत को सीधा रास्ता बताने वाली किताब : हाफिज कासिम
रमजान में मस्जिदों और घरों में इबादत का सिलसिला जारी 

✅ नई तहरीक : भिलाई 

रमजान के इस मुबारक महीने का पहला सप्ताह पूरा होने को है। रोजेदार मस्जिदों में नमाज पढ़ने, इफ्तार करने ओर तरावीह पढ़ने पहुंच रहे हैं। घरों में भी इबादत जारी है। मर्कज़ी मस्जिद पावर हाउस कैंप-2 में तरावीह की नमाज के बाद शेखुल हदीस हजरत मौलाना जकरिया रहमतुल्लाह की तस्नीफ की गई किताब फजाईले रमजान मुबारक पढ़कर लोगों को उसकी फजीलत बताई जा रही है। 
    इस दौरान इमाम हाफिज कासिम बस्तवी ने बताया कि हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने रमजान माह की अहमियत बताई है। जिसका खुलासा ये है कि रमजान मुबारक महीने में तीन अशरे (10 दिन) होते हैं। अव्वल हिस्सा दस दिन रहमत, दूसरा (दरमियान हिस्सा) मगफिरत, तीसरा जहन्नुम (नरक) की आग से छुटकारा है। ये महीना सब्र का है इसके रोज़ फ़र्ज़ है। हां, कोई बीमार है या सफर में है तो उसे छूट है लेकिन बीमारी से सिफायाबी और सफर से आने के बाद उसे चाहिए कि छूटे हुए रोजे पूरे करे। 
    उन्होंने कहा कि इस महीने के साथ अल्लाह को खास मुनासिबत (लगाव) है। इसकी वजह यह है कि प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि वसल्लम पर कुरआन इसी महीना में नाज़िल होना शुरू हुआ। फिर रफ्ता रफ्ता 23 साल में आसमानी दुनिया से फरिश्ते जिब्राइल अलैहिस्सलाम के जरिए हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पर भेजा गया। 
    उन्होंने कहा कि कुरआन इंसानियत को सीधा रास्ता बताने वाली किताब है। रोजा रखने से इंसान को तहम्मुल (संयम), इंसानियत और इंसानी हसासियत (मानवीय संवेदना) का एहसास, माफ करना, बर्दाश्त करना, भूख का असल मतलब पता चलता है। रोजा तकवा सिखाता है जो सिर्फ अल्लाह के डर से पैदा होता है।


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