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गाजा : जंग मुतास्सिरीन की मदद के लिए बनेगा आरजी बंदरगाह, अमरीका ने भेजा सामान

रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी

विसाल (7 रमजान) 
हज़रत सय्यद हाशिम पीर अलैहिर्रहमा,बीजापुर
हज़रत मौलाना बदरुद्दीन क़ादरी अलैहिर्रहमा

बंदों के हुकूक की माफी के लिए सिर्फ तौबा काफी नहीं

'' हजरत अबु हरैरह रदि अल्लाहो अन्हु से रियायत है कि नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने इरशाद फरमाया, जिसके जिम्मे उसके मुसलमान भाई का कोई हक हो, चाहे वो आबरू का हो या किसी और चीज का, उसे आज ही माफ करा लेना चाहिए। इससे पहले कि न दीनार होगा और न दिरहम होगा। (इससे मुराद कयामत का दिन है, यानी वहां हुकूक की अदायगी के लिए रुपया-पैसा न होगा। ''
- बुखारी शरीफ 

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गाजा : जंग मुतास्सिरीन की मदद के लिए बनेगा आरजी बंदरगाह, अमरीका ने भेजा सामान

वाशिंगटन : आईएनएस, इंडिया

अमरीका ने गाजा से मुत्तसिल (लगे हुए) जगह पर अपनी आरिज़ी बंदरगाह के लिए सामान अमरीका से रवाना कर दिया है। ये जहाज़ अमरीकी सदर जो बाईडन के उस ऐलान के बाद रवाना किया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि गाजा में इन्सानी बुनियादों पर इमदादी सामान की तरसील का एहतिमाम बहरी रास्तों से भी किया जाएगा। 
    अमरीकी फ़ौज ने इतवार के रोज़ इस पेश-रफ़्त के बारे में बाज़ाबता तौर पर एक बयान जारी किया है। पिछले पाँच माह से ज़्यादा अर्से से इसराईल ने गाजा की तबाह कर दी गई पट्टी को मुसलसल मुहासिरे में ले रखा है। ज़मीनी मुहासिरे के अलावा इसराईल की तरफ़ से खड़ी की गई रुकावटों की वजह से गाजा में इन्सानी बुनियादों पर इमदादी सामान की तरसील तक़रीबन नामुमकिन हो चुकी है। अक़वाम-ए-मुत्तहिदा इस सूरत-ए-हाल को गाजा में क़हतज़दगी (आकाल) के ख़तरे के साथ देख रहा है। इस तनाज़ुर (क्रम) में अमरीका ने तक़रीबन एक हफ़्ता कब्ल फ़िज़ाई रास्ते से गाजा में इन्सानी बुनियादों पर खुराक गिराने का एहतिमाम किया था। पहले रोज़ 38000 अफ़राद के खाने का एहतिमाम किया गया था। बाद में दो रोज़ कब्ल अमरीका की तरफ़ से एक एयर ड्राप के ज़रीये 40000 खाने के पैकेट गाजा में गिराए गए। उधर अमरीकी रियासत वर्जीनिया से एक जहाज़ रवाना किया गया है जो आरिज़ी बंदरगाह की तामीर से मुताल्लिक़ सामान और लाजिस्टक की दूसरी सहूलयात से लदा हुआ है।
    बताया गया है कि ग़ज़ा के लिए बहरी रास्ते से इमदादी सरगर्मियां शुरू करने से पहले आरिज़ी बंदरगाह बनाया जाएगा। अमरीकी सदर जो बाईडन ने अपने स्टेट यूनीयन ख़िताब में भी कहा था कि अमरीकी बहरीया भी गाजा में इन्सानी इमदाद के लिए ब-रू-ए-कार आएगी। अमरीका और दूसरे मुल्कों की तरफ़ से इमदादी सामान की फ़िज़ाई और बहरी रास्ते से तक़सीम पर तन्क़ीद भी की जा रही है कि ये सारा एहतिमाम ज़मीनी रास्ते से इमदादी सामान की मुंतकली के निज़ाम का मुतबादिल नहीं हो सकता है। ताहम अमरीका इस सिलसिले में ग़ैरमामूली कमिटमैंट दिखा रहा है। ताहम इस बारे में अभी ये कहना भी मुश्किल है कि अमरीका की नई आरिज़ी तामीर की जाने वाली बंदरगाह का इस्तिमाल इन्सानी बुनियादों पर इमदादी नौईयत का ही रहेगा या ये एक फ़ौजी ज़रूरत के साथ साथ होशियों के हमलों के दौरान इसराईल के लिए लाजिस्टक का भी इमकान पैदा करेगा। अमरीकी हुक्काम के मुताबिक़ अमरीका इबतिदाई तौर क़बरस की मदद से गाजा के लिए सामान की बहरी तरसील के इमकानात को देख रहा है। गाजा में इस वक़्त 23 लाख फ़लस्तीनी बे-घर हैं और 80 फ़ीसद आबादी क़हत की ज़द में है।

गाजा के लिए इमदाद का सामान लेकर अरब का तीसरा जहाज़ रवाना

गाजा : जंग मुतास्सिरीन की मदद के लिए बनेगा आरजी बंदरगाह, अमरीका ने भेजा सामान
दुबई : मुत्तहदा अरब अमीरात ने पीर को गाजा के मुतास्सिरीन के लिए तीसरा बहरी जहाज़ मिस्री पोर्ट रवाना किया है। बहरी जहाज़ पर साढे़ चार हज़ार टन से ज़्यादा इमदादी सामान लदा है जो रफा क्रासिंग के ज़रीये गाजा भेजा जाएगा। 
    अमीरात की सरकारी ख़बररसां एजेंसी के मुताबिक़ सदर शेख़ मुहम्मद बिन ज़ाएद ऑल नहयान की हिदायत पर गाजा मुतास्सिरीन के लिए इमदादी मुहिम चलाई जा रही है। अमीराती जहाज़ पर खाने-पीने की इश्याय, शेल्टरज़ का सामान दवाईयां और बच्चों के लिए ख़ुराक मौजूद है। तीसरा बहरी जहाज़ रमज़ान उल-मुबारक की आमद पर भेजा गया है ताकि गाजा के मुतास्सिरीन की ज़रूरीयात को पूरा करने में किरदार अदा किया जा सके। इससे कब्ल अमीरात ने पहले बहरी जहाज़ से हज़ार 16 टन और दूसरे बहरी जहाज़ के ज़रीये चार हज़ार 303 टन इमदादी सामान गाजा के लिए रवाना किया था। 
    गाजा के मुतास्सिरीन को तिब्बी सहूलतों फ़राहम करने के लिए एक फ़ील्ड हस्पताल भी क़ायम किया गया है। फ़ील्ड हस्पताल 150 से ज़्यादा बिस्तरों पर मुश्तमिल है, जहां जख्मियों का ईलाज किया जा रहा है। हस्पताल में मुख़्तलिफ़ किस्म के ऑप्रेशनों की सहूलत भी है। याद रहे कि अमीरात के सदर शेख़ मुहम्मद बिन ज़ाएद ने गुजशता नवंबर को फ़लस्तीनी अवाम के लिए इमदादी कार्रवाईयों के आग़ाज़ का हुक्म दिया था। 


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