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सऊदी ख़वातीन के लिए खत्म नहीं हुआ शरई ड्रेस कोड, शरियत के मुताबिक हो लिबास

रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी

विसाल (7 रमजान) 
हज़रत सय्यद हाशिम पीर अलैहिर्रहमा,बीजापुर
हज़रत मौलाना बदरुद्दीन क़ादरी अलैहिर्रहमा

बंदों के हुकूक की माफी के लिए सिर्फ तौबा काफी नहीं

'' हजरत अबु हरैरह रदि अल्लाहो अन्हु से रियायत है कि नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने इरशाद फरमाया, जिसके जिम्मे उसके मुसलमान भाई का कोई हक हो, चाहे वो आबरू का हो या किसी और चीज का, उसे आज ही माफ करा लेना चाहिए। इससे पहले कि न दीनार होगा और न दिरहम होगा। (इससे मुराद कयामत का दिन है, यानी वहां हुकूक की अदायगी के लिए रुपया-पैसा न होगा।) '' 
- बुखारी शरीफ 

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सऊदी ख़वातीन के लिए खत्म नहीं हुआ शरई ड्रेस कोड, शरियत के मुताबिक हो लिबास
✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया

25 फरवरी को सोशल मीडिया में दावा किया गया कि सऊदी अरब के वली अहद शहज़ादा मुहम्मद बिन सलमान ऑल सऊद ने सऊदी ख़वातीन से ये कहा है कि उन्हें अपनी मर्ज़ी का लिबास पहनने की आज़ादी है। ग्लोबल आई न्यूज़ की इस पोस्ट, जिसे 80 लाख से ज़्यादा अफ़राद ने देखा था, शहज़ादा सलमान की तस्वीर, स्याह बुर्क़ों में मलबूस ख़वातीन के एक ग्रुप की तस्वीर के साथ पेश की गई है। पोस्ट के अलफ़ाज़ थे- अब से सिर्फ सऊदी अरब की ख़वातीन ही ये फ़ैसला कर सकती हैं कि वो क्या लिबास पहनेंगी। हालांकि वली अहद का कोई ऐसा हालिया इंटरव्यू या बयान नहीं मिल सका जिसमें सऊदी ख़वातीन के ड्रेस कोड के बारे कोई बात की गई हो। 
    अगरचे सऊदी अरब में ख़वातीन के लिबास के बारे में कोई क़ानून नहीं है, लेकिन उनसे ये तवक़्क़ो की जाती है कि वो शरीयत के मुताबिक़ लिबास पहनें। शहज़ादा सलमान ने 19 मार्च 2018 को एक इंटरव्यू में ये वाजेह किया कि शरीयत में ये क़वानीन बहुत वाजेह और तयशुदा हैं कि औरतें मर्दों की तरह मुहज़्ज़ब और शरीफ़ाना लिबास पहनें। हालांकि, इसमें खासतौर पर स्याह इबाया या सर को ढांपने के लिए काले रंग के स्कार्फ की वज़ाहत नहीं की गई है। ये फ़ैसला मुकम्मल तौर पर ख़वातीन पर छोड़ दिया गया है कि वो किस किस्म का मुहज़्ज़ब और एहतिराम वाला लिबास पहनने का इंतिख़ाब करती हैं। 
सऊदी ख़वातीन के लिए खत्म नहीं हुआ शरई ड्रेस कोड, शरियत के मुताबिक हो लिबास

    ख़वातीन पर फ़ैसला छोड़ने की बात करते हुए, प्रिंस सलमान लिबास की किस्म की बजाय रंग के इंतिख़ाब की तरफ़ इशारा कर रहे थे, जो उनके बाक़ौल शरई क़ानून के ज़रीये मर्दों और औरतों, दोनों के लिए मुक़र्रर किया गया है। सऊदी अरब के नेकी के फ़रोग़ और बुराई की रोक-थाम के कमीशन ने जो मज़हबी पुलिस के तौर पर भी काम करता है, 1980 और 2010 के अशरे के शुरुआत में ख़वातीन के ड्रेस कोड और सनफ़ी अलहदगी के सख़्त ज़ाबते नाफ़िज़ किए थे। अगरचे सऊदी अरब में मज़हबी पुलिस अब भी मौजूद है, लेकिन सऊदी शाह सलमान ने 2015 में ख़वातीन के लिए लाज़िमी तौर पर बुर्क़ा पहनने की पाबंदी ख़त्म कर दी थी और 2019 में उन्होंने ख़वातीन को गाड़ी चलाने, रंगदार लिबास पहनने और मलबूसात के मुख़्तलिफ़ अंदाज़ और डिज़ाइन के इंतिख़ाब की इजाज़त दे दी है। इसके बावजूद, सऊदी अरब में ख़वातीन के लिए अपने लिबास का इंतिख़ाब अब भी महदूद है और बहुत से डिज़ाइन उनके लिए ममनूआ हैं, जिनमें ऐसे मलबूसात शामिल हैं जिनसे जिस्म का ज़्यादातर हिस्सा ज़ाहिर होता हो, वो लिबास जो घुटने या कुहनी को ना ढाँपते हों, या बहुत तंग और ऐसे बारीक मलबूसात (कपड़े) जिनसे जिस्म नज़र आए। 
    सऊदी अरब में आने वाली ग़ैर मुल्की ख़वातीन के लिए भी ड्रेस कोड मुक़र्रर है, और उन्हें ऐसा लिबास पहनने की इजाज़त नहीं है, जिन पर इन्सानी तस्वीरें, इन्सानी ख़ाके, या ऐसी इबारतें और निशानात हों, जिनसे उमूमी शाइस्तगी की नफ़ी होती हो। सोशल मीडीया की हालिया पोस्टों पर शाइआ होने वाली वीडीयोज़ ये ज़ाहिर करती हैं कि ज़्यादातर सऊदी शवातीन शरई लिबास की पाबंदी करती हैं, जबकि कुछ ने सर और चेहरों को ढाँपना तर्क कर दिया है और वो जदीद लिबास भी ज़ेब-ए-तन कर रही हैं। लेकिन ज़्यादा-तर ख़वातीन अब भी अपने जिस्म को मुकम्मल तौर पर ढाँप रही हैं।


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