रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी
विसाल 7 रमजान
हज़रत सय्यद हाशिम पीर अलैहिर्रहमा,बीजापुर
हज़रत मौलाना बदरुद्दीन क़ादरी अलैहिर्रहमा
बंदों के हुकूक की माफी के लिए सिर्फ तौबा काफी नहीं
हजरत अबु हरैरह रदि अल्लाहो अन्हु से रियायत है कि नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने इरशाद फरमाया, जिसके जिम्मे उसके मुसलमान भाई का कोई हक हो, चाहे वो आबरू का हो या किसी और चीज का, उसे आज ही माफ करा लेना चाहिए। इससे पहले कि न दीनार होगा और न दिरहम होगा। (इससे मुराद कयामत का दिन है, यानी वहां हुकूक की अदायगी के लिए रुपया-पैसा न होगा।)- बुखारी शरीफ
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✅ लंदन : आइरएनएस, इंडिया
बर्तानवी हुकूमत ने गुजिश्ता जुमेरात को इंतिहापसंदी के हवाले से क़ानूनसाज़ी में तरामीम (संशोधन) के लिए तजावीज़ पेश की है। मौजूदा कानून के मुताबिक़ बर्तानवी इक़दार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने या सरगर्म होने को इंतिहापसंदी माना जाता है। नए कानून के बाद इसमें नफ़रत पर मबनी (आधारित) नज़रियात (दृष्टिकोण) की तरवीज (उन्नति), अदम बर्दाश्त (असहिष्णुता) या तशद्दुद, दूसरों की आज़ादी और जमहूरीयत को नुक़्सान पहुंचाने के नकात (बिंदु) शामिल हो जाएंगे।ख़्याल रहे कि जुमेरात को बर्तानिया ने यहूदीयों और मुस्लमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत पर मबनी जराइम में इज़ाफे़ के बाद इंतिहापसंदी की नई तारीफ़ मुतआरिफ़ करवाई थी, जिसके बारे में नाक़िदीन (आलोचकों) का कहना था कि ये आज़ादी इज़हार राय पर असरअंदाज़ हो सकती है। और इसका मक़सद बुनियादी हुक़ूक़ और आज़ादी को तबाह करना है, या बर्तानिया की आज़ाद पार्लियामानी जमहूरीयत को हटाना या नुक़्सान पहुंचाना है, या जानबूझ कर दीगर अनासिर के लिए ऐसा माहौल पैदा करना है कि वो ये नताइज हासिल कर सकें।
ब्रिटेन के इस्लामी गुप्स के तर्जुमान ने एक बयान में कहा कि इंतिहापसंदी की जिस नई तारीफ़ से मसले का हल तलाश करने की कोशिश की जा रही है, वो हमारी तकसीरी जमहूरीयत के अहम संगे बुनियाद पर हमला करती है, जो बोलने की आज़ादी है। ब्रिटेन के मुस्लिम गुप केज इंटरनेशनल, फ्रेडज़ आफ़ अल अकसा, दी मुस्लिम एसोसीएशन आफ़ ब्रिटेन, मुस्लिम इंगेजमेंट डेवलपमेंट और फाईव पलरज़ का कहना है कि ये तजावीज़ शहरी आज़ादीयों पर हमला हैं।
तन्ज़ीमों का ये भी कहना है कि ये क़ानून की पासदारी करने वाले ऐसे लोगों को इंतिहापसंद क़रार देता है, जो हुकूमत की पालिसी की मुख़ालिफ़त करते हैं। किसी भी शख़्स को मज़हब या सियासी रंग से मुबर्रा होते हुए मौजूदा हुकूमत पर तन्क़ीद की आज़ादी होनी चाहिए।