शअबान उल मोअज्जम -1445 हिजरी
अकवाल-ए-जरीं
'' हजरत अब्दुलाह बिन उमर रदिअल्लाहो ताअला अन्हुमा से रिवायत है कि मैंने रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) से सुना, आप (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) फरमाते हैं कि जब तुम्हारा कोई आदमी इंतेकाल कर जाए तो उसे ज्यादा देर तक घर पर मत रखो और उसे कब्र तक पहुंचाने और दफनाने में जल्दी करो ''- बैहकी शुअबुल ईमान
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✅ लंदन, इस्लामाबाद : आईएनएस, इंडिया
इस हफ़्ते जारी होने वाले जमहूरीयत के इंडेक्स (लोकतंत्र सूचकांक) पर पाकिस्तान की दर्जाबंदी में नुमायां कमी देखी गई है। इसकी वजह गुजिश्ता साल होने वाली कई पेश-रफ़्त को बताया जा रहा है, जिनकी बिना पर उसे आमिराना हुकूमत (निरंकुश सरकार) के तौर पर दर्जाबंदी की गई है जबकि मुल्क में हालिया दिनों में आम इंतिख़ाबात हुए हैं।इकानामस्ट इंटेलीजेंस यूनिट के ताज़ा-तरीन इंडेक्स के मुताबिक़ 2023 मैं दुनिया-भर में जमहूरीयत के मेयार में उमूमी (सामान्य) तौर पर तनज़्ज़ुली (गिरावट) देखने में आई जहां आलमी आबादी का सिर्फ आठ फ़ीसद हिस्सा मुकम्मल जमहूरीयत में रह रहा है। अलबत्ता पाकिस्तान, जिसे पहले हाइब्रिड हुकूमत के तौर पर देखा जाता था, आलमी दर्जा में 11 दर्जे तनज़्ज़ुली के बाद मुकम्मल तौर पर नए ज़ुमरे में दाख़िल हो गया। इकोनामस्ट के डेमोक्रेसी इंडैक्स 2023 ने कहा कि पाकिस्तान ने खित्ते में किसी भी मुल्क के मुक़ाबले में सबसे ज़्यादा तनज़्ज़ुली (गिरावट) रिकार्ड की है, जिसका स्कोर 0.88 से 3.25 तक गिर गया जिसके नतीजे में आलमी रैंकिंग टेबल में ये 11 दर्जे गिर कर 118 वें नंबर पर आ गया है।
इंतिख़ाबी अमल और हुकूमती अदम फ़आलीयत (सरकारी तंत्र की निष्क्रियता) से अदलिया (न्याय पालिका) की आज़ादी बुरी तरह नुकसान पहुंचा है। इंडेक्स में मज़ीद कहा गया कि पाकिस्तान वाहिद एशियाई मुल्क है, जिसकी तनज़्ज़ुली हुई और उसे हाइब्रिड हुकूमत से आमिराना हुकूमत में दुबारा दर्जाबंदी की गई। इंडैक्स इस बात पर क़ायम रहा कि फ़ौज पाकिस्तान में ताक़त का हामिल एक अहम इदारा है और मज़ीद कहा कि उसने साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान की पाकिस्तान तहरीक इन्साफ़ (पीटीआई) को कमज़ोर करने के लिए अपना असर-ओ-रसूख़ इस्तिमाल किया। उसने ये भी याद दिलाया कि इमरान ख़ान पर बदउनवानी के इल्ज़ामात में फ़र्द-ए-जुर्म आइद किया जा कर अगस्त में उन्हें क़ैद किया गया था। उसने मज़ीद कहा कि इससे मक़बूलियत के बावजूद इमरान ख़ान की पाकिस्तानीयों में खासतौर पर शहरी तबक़ात में अपनी पार्टी को चलाने या एक मूसिर (प्रभावशाली) रहनुमा बनने की सलाहीयत मुतास्सिर हुई।
फ़ौज ने इमरान ख़ान की क़ैद के ख़िलाफ़ होने वाले एहतिजाज को दबाया और पीटीआई रहनुमा की हिमायत करने पर मार्शल ला के तहत शहरीयों पर मुक़द्दमात बनाने की कोशिश की।
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