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छत्तीसगढ़ में अब आसान नहीं होगा मजहब तब्दील करना, बिल तैयार, जल्द होगा असेंबली में पेश

शअबान उल मोअज्जम-1445 हिजरी

अकवाल-ए-जरीं

'' हजरत अब्दुलाह बिन उमर रदिअल्लाहो ताअला अन्हुमा से रिवायत है कि मैंने रसूल अल्लाह  (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) से सुना, आप  
(सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम)  फरमाते हैं कि जब तुम्हारा कोई आदमी इंतेकाल कर जाए तो उसे ज्यादा देर तक घर पर मत रखो और उसे कब्र तक पहुंचाने और दफनाने में जल्दी करो ।"
- बैहकी शुअबुल ईमान

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छत्तीसगढ़ में अब आसान नहीं होगा मजहब तब्दील करना, बिल तैयार, जल्द होगा असेंबली में पेश

मजहब तब्दील करने से दो महीना पहले देनी होगी इत्तेला
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के हुक्म पर पुलिस लगाएगी नीयत, वजह और मकसद का पता 
गै़रक़ानूनी तौर पर मज़हब तबदील करने वालों को हो सकती है दो  से 10 साल की क़ैद और 25 हज़ार जुर्माना

✅ रायपुर : आईएनएस, इंडिया 

छत्तीसगढ़ में तबदीली मज़हब पर पाबंदी लगाने की तैयारीयां की जा रही हैं। रियासत में तबदीली मज़हब मुख़ालिफ़ बिल का मुसव्वदा तैयार हो गया है जिसे जल्द ही छत्तीसगढ़ असेंबली में पेश किया जाएगा। ये इत्तिला ज़राइआ के हवाले से आई है। 
    ज़राइआ (सूत्रों) ने बताया कि छत्तीसगढ़ असेंबली में बिल की हतमी (अंतिम) पेशकश से कब्ल बिल में कुछ तरामीम (सुधार) की जा सकती हैं। अब तबदीली मज़हब की इत्तिला 60 दिन पहले देना होगी। अगर हम बिल के ख़ाका को देखें तो जो शख़्स अपना मज़हब तबदील करना चाहता है, उसे अपनी तफ़सीलात ज़िला मजिस्ट्रेट को कम अज़ कम 60 दिन पहले देना होंगी। उसके बाद पुलिस मज़हब तबदील करने की असल नीयत, वजह और मक़सद का अंदाज़ा लगाने के लिए तहक़ीक़ात करेगी। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में मजहब तब्दील करने के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। अब जो शख़्स दूसरा मज़हब इख़तियार करना चाहता है, उसे कम अज़ कम 60 दिन पहले अपनी ज़ाती मालूमात एक फ़ार्म में कलेक्टर के पास जमा करानी होंगी। उसके बाद डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट पुलिस से तबदीली की असल नीयत, वजह और मक़सद का अंदाज़ा लगाने के लिए कहेगा। 
    मुसव्वदे में कहा गया है कि ना सिर्फ मज़हब तबदील करने बल्कि मज़हब तबदील कराने वाले शख़्स को भी एक फ़ार्म भरकर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पास जमा कराना होगा। मुसव्वदे में ये भी कहा गया है कि एक मज़हब से दूसरे मज़हब में तबदीली ज़बरदस्ती, ग़ैर ज़रूरी असर-ओ-रसूख़, रग़बत या किसी धोकादही के ज़रीये या शादी के ज़रीये नहीं हो सकती। अगर ज़िला मजिस्ट्रेट को इसकी इत्तिला मिलती है तो वो इस तबदीली को गै़रक़ानूनी क़रार देगा। यही नहीं, मज़हब तबदील करने वाले हर शख़्स की रजिस्ट्रेशन ज़िला मजिस्ट्रेट के पास रहेगी। 
    बिल में कहा गया है कि मज़हब की तबदीली पर एतराज़ की सूरत में ख़ून या गोद लेने वाले शख़्स से ताल्लुक़ रखने वाला शख़्स उसके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करा सकता है। ये केस ग़ैर ज़मानती होगा जिसकी सुनवाई सेशन कोर्ट में होगी। अदालत मज़हब की तबदीली के शिकार को 5 लाख रुपय तक का मुआवज़ा दे सकती है। नाबालिगों, ख़वातीन या दर्ज फ़हरिस्त ज़ातों या दर्ज फ़हरिस्त क़बाइल से ताल्लुक़ रखने वाले अफ़राद को गै़रक़ानूनी तौर पर मज़हब तबदील करने वालों को कम अज़ कम दो साल और ज़्यादा से ज़्यादा 10 साल की क़ैद हो सकती है। इसके साथ इस पर कम अज़ कम 25 हज़ार रुपय का जुर्माना भी आइद किया जाएगा। इजतिमाई (सामुहिक) मज़हबी तबदीली पर कम से कम तीन साल और ज़्यादा से ज़्यादा 10 साल की सज़ा और 50,000 रुपय जुर्माना होगा। इन तमाम सूरतों में मजहब तब्दील करने वाले शख्स पर ये जिम्मेदारी होगी कि ये तबदीली गै़रक़ानूनी नहीं थी। 
    ये क़ानून उन लोगों पर लागू नहीं होता, जो अपने साबिक़ा (पूर्व) मज़हब में वापस आना चाहते हैं। इसका मतलब है कि ये क़ानून घर वापिस आने वाले लोगों पर लागू नहीं होगा। 


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