शअबान उल मोअज्जम-1445 हिजरी
हदीसे नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम
'' हजरत अबुदर्दा रदि अल्लाहो ताअला अन्हु फरमाते हैं कि जिसने अपने भाई को सबके सामने नसीहत की, उसने उसे जलील किया और जिसने तन्हाई में नसीहत की, उसने उसे संवार दिया। (तन्हाई की नसीहत ज्यादा असर करती है, हर शख्स उसे कबूल कर लेता है और उस पर अमल करने की कोशिश करता है। और जाहिर है कि अमल करने से वह संवर जाएगा। ''
---------------------------------
जामिया अरबिया, पावर हाउस, कैंप-2 का सालाना जलसा, हाफिजे कुरआन की हुई दस्तारबंदी
✅ नई तहरीक : भिलाई
मर्कज़ी मस्जिद, मदरसा जामिया अरबिया, पावर हाउस, कैंप-2 का गुजिश्ता दिनों सालाना जलसा मुनाकिद हुआ। मेहमाने खुसूसी हज़रत मौलाना अब्दुल्लाह अजहरी थे। जलसे से खिताब करते हुए मौलाना अब्दुल्लाह अजहरी ने कहा कि कुरान-ए-पाक अल्लाह की किताब है, जो तमाम इंसानियत के लिए हिदायत है और सीधा रास्ता बताने वाली है।तकरीर आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि अल्लाह के नबी हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने इंसानी जिंदगी बेहतर ढंग से बसर करने की गरज से बेहतरीन मुआशरा कायम किया। आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने भूखों को खाना खिलाने, यतीमों को कपड़े पहनाने, गरीब, बेवा और बेसहारों की मदद करने के साथ-साथ सादगी से जिंदगी गुजारने की तालीम और आखिरत के लिए तैयारी करने की तालीम दी।
हज़रत मौलाना अब्दुल्ला ने आगे कहा कि जिसका पड़ोसी भूखा हो ओर वो पेट भरकर खाए, वो मोमिन नहीं। उन्होंने मां की गोद को बच्चे के लिए पहला मदरसा बताते हुए कहा कि बच्चे की तालीम व तर्बियत मां की गोद से होती है।
उन्होंने कहा कि अल्लाह के नेक बंदे औलिया-ए-कराम सभी की मां ने उनकी बेहतरीन तरीके से तबिर्तयत की है। अल्लाह ओर उसके पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को पाक-ओ-साफ ओर ईमानदारी वाली जिंदगी सिखाई है जिससे वे अल्लाह के नेक बंदे बन गए। लेकिन हमारी जिंदगी इससे दूर हो रही है।
आज हम सभी को इंसाफ से पाक दामन के साथ लोगों का हक अदा करना, अच्छी तालीम हासिल करने के साथ एक अच्छा इंसान बनना है। पूरे आलम में खुशहाली और अमन कायम हो, इसके लिए हर एक को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। आज हालत यह है कि बुराई को बुरा नहीं समझा जा रहा है। हक उदुली की जा रही है। विरासत में बहन का हक अदा नहीं कर रहा। झूठ-फरेब आम हो गया है।
मौलाना अब्दुल्लाह अजहरी ने आगे कहा कि कुरान को तर्जुमा के साथ समझकर पढ़ो तो ही कुरआन सही माने में समझ में आ सकेगा। इस मौके एक हाफिज-ए-कुरान की दस्तारबंदी की गई। इस दौरान शहर के उलेमा मौलाना इनामुल हक, मौलाना शकील, मौलाना दिलशाद, मुफ्ती सोहेल, मुफ्ती सलीम, हाफिज शोएब, हाफिज कासिम, नाजिम मदरसा हाफिज अमान, हाफिज महफूज, हाफिज अहमद, मौलाना साबिर, सदर मोहम्मद असलम, नायब सदर इमामुद्दीन पटेल, सेक्रेटरी सैय्यद असलम, नायब सेकेट्री मोहम्मद अकरम, निजामुद्दीन अंसारी, हाफ़िज़ इनाम, हाफिज युसूफ, मोहम्मद अजमत, नायब खजांची मोहम्मद आजम, जफर कुरैशी, अजहर कुरैशी, हाफ़िज़ मोनू, सईद अहमद, मोहम्मद नासिर, साहिल, सोहेल, अब्दुल्लाह समेत मस्जिद कमेटी के ओहदेदार मौजूद थे।