शअबान उल मोअज्जम -1445 हिजरी
हदीसे नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम
'' हजरत अबुदर्दा रदि अल्लाहो ताअला अन्हु फरमाते हैं कि जिसने अपने भाई को सबके सामने नसीहत की, उसने उसे जलील किया और जिसने तन्हाई में नसीहत की, उसने उसे संवार दिया। (तन्हाई की नसीहत ज्यादा असर करती है, हर शख्स उसे कबूल कर लेता है और उस पर अमल करने की कोशिश करता है। और जाहिर है कि अमल करने से वह संवर जाएगा। ''
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✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
सय्यद शाबान बुख़ारी जामा मस्जिद के 14वें इमाम बन गए। शाही इमाम अहमद बुख़ारी ने रात दस बजे शाहजहानी जामा मस्जिद की रिवायत के मुताबिक़ बाकायदा शाबान बुखारी की दस्तार कर उनके 14वें इमाम होने का ऐलान किया।
शाही इमाम सय्यद अहमद बुख़ारी ने अज़ीमुश्शान जामा मस्जिद के सेहन में मुनाक़िदा दस्तारबन्दी तक़रीब में अपने बेटे को अपना जां नशीन क़रार दिया। सय्यद अहमद बुख़ारी ने कहा कि ये दुआ की रात है, ये गुनाहों से बख़शिश की रात है, सबको ख़ामोशी से दुआ करनी चाहिए और बाद में सबको अपने अपने घरों को जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 400 साल की रिवायत को बरक़रार रखते हुए तमाम लोगों की मौजूदगी में शाबान बुख़ारी को जां नशीन मुक़र्रर करता हूँ। अली बुख़ारी नायब इमाम होंगे। सय्यद शाबान बुख़ारी ने अपने वालिद का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि ये उनके लिए बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। इस मौके पर उन्होंने अपने वालिद की अच्छी सेहत और लंबी उम्र की दुआ की। आवाम से उन्होंने कहा कि वे उनके लिए दुआ करें कि बुज़ुर्गों के नक़श-ए-क़दम पर चलते हुए उन्हें इस ज़िम्मेदारी को निभाने की हिम्मत मिले।
जामा मस्जिद के 13 वें शाही इमाम, अहमद बुख़ारी उस वक़्त तक सरबराह रहेंगे, जब तक वो नए इमाम और जां नशीं शाबान बुख़ारी को ज़िम्मेदारी सौंपने का फ़ैसला नहीं करते। जामा मस्जिद के शाही इमाम की दस्तारबन्दी प्रोग्राम में हिन्दोस्तान और बैरून-ए-मुल्क से कई लोगों को मदऊ किया गया था जिनके साथ सियासत की मारूफ़ शख़्सियात भी थीं। इस मौके पर जामा मस्जिद के अहाते में आम लोगों की बड़ी तादाद भी जमा थी। मुख़्तलिफ़ मार्केट वेल्फेयर एसोसिशन की जानिब से पांच सौ किलो मिठाई तक़सीम की गई।
अब चूंकि रमजानुल मुबारक अनकरीब है, इसलिए माना जा रहा है कि सैयद शाबान बुखारी जामा मस्जिद में अपने वालिद सैयद अहमद बुखारी की गैर-मौजूदगी में इमामत किया करेंगे।
शाही इमाम सय्यद अहमद बुख़ारी ने अज़ीमुश्शान जामा मस्जिद के सेहन में मुनाक़िदा दस्तारबन्दी तक़रीब में अपने बेटे को अपना जां नशीन क़रार दिया। सय्यद अहमद बुख़ारी ने कहा कि ये दुआ की रात है, ये गुनाहों से बख़शिश की रात है, सबको ख़ामोशी से दुआ करनी चाहिए और बाद में सबको अपने अपने घरों को जाना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि 400 साल की रिवायत को बरक़रार रखते हुए तमाम लोगों की मौजूदगी में शाबान बुख़ारी को जां नशीन मुक़र्रर करता हूँ। अली बुख़ारी नायब इमाम होंगे। सय्यद शाबान बुख़ारी ने अपने वालिद का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि ये उनके लिए बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। इस मौके पर उन्होंने अपने वालिद की अच्छी सेहत और लंबी उम्र की दुआ की। आवाम से उन्होंने कहा कि वे उनके लिए दुआ करें कि बुज़ुर्गों के नक़श-ए-क़दम पर चलते हुए उन्हें इस ज़िम्मेदारी को निभाने की हिम्मत मिले।
जामा मस्जिद के 13 वें शाही इमाम, अहमद बुख़ारी उस वक़्त तक सरबराह रहेंगे, जब तक वो नए इमाम और जां नशीं शाबान बुख़ारी को ज़िम्मेदारी सौंपने का फ़ैसला नहीं करते। जामा मस्जिद के शाही इमाम की दस्तारबन्दी प्रोग्राम में हिन्दोस्तान और बैरून-ए-मुल्क से कई लोगों को मदऊ किया गया था जिनके साथ सियासत की मारूफ़ शख़्सियात भी थीं। इस मौके पर जामा मस्जिद के अहाते में आम लोगों की बड़ी तादाद भी जमा थी। मुख़्तलिफ़ मार्केट वेल्फेयर एसोसिशन की जानिब से पांच सौ किलो मिठाई तक़सीम की गई।
मुगल बादशाह शाहजहां बुखारा से आया था बुखारी परिवार
29 साला शाबान बुखारी का ताअल्लुक उज्बेकिस्तान के बुखारा शहर के मजहबी रहनुमा सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी के खानदान से है। सैयद अब्दुल गफूर बुखारी को मुगल बादशाह शाहजहां ने उजबेकिस्तान के शहर बुखारा बुलवाया था। शाहजहां के बुलावे पर यहां आकर सैयद अब्दुल गफूर बुखारी ने जामा मस्जिद के इमाम-ओ-खतीब की जिम्मेदारी संभाली। इसकी शुरुआत 25 जुलाई 1956 को ईद की नमाज अदा कराने से हुई जिसके बाद से बुखारी खानदान से ही जामा मस्जद के इमाम-ओ-खतीब की जिम्मेदारी संभालने का रिवाज चला आ रहा है। सैयद शाबान बुखारी जामा मस्जिद के चौदहवें इमाम मुकर्रर हुए। शब-ए-बरआत यानि 14 शाबानुल मोअज्जम, 25 फरवरी को उनकी दस्तारबंदी कर उन्हें इमाम मुकर्रर किया गया। फिलहाल हालांकि सैयद अहमद बुखारी ही जामा मस्जिद के इमाम रहेंगे। सैयद शाबान बुखारी एमेटी यूनिवर्सिटी के तलबा रहे हैं। उनकी अहलिया गैर मुस्लिम है।अब चूंकि रमजानुल मुबारक अनकरीब है, इसलिए माना जा रहा है कि सैयद शाबान बुखारी जामा मस्जिद में अपने वालिद सैयद अहमद बुखारी की गैर-मौजूदगी में इमामत किया करेंगे।
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