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मुस्लमान और ईसाई 22 जनवरी को ख़ुसूसी दुआ करें : वज़ीर-ए-आला : आसाम

गुवाहाटी : आईएनएस, इंडिया 

आयेध्या में राम मंदिर की इफ़्तिताही तक़रीब (उद्घाटन समारोह) प्राण प्रतिष्ठा की रस्म के लिए जारी तैयारियों के दौरान आसाम के वज़ीर-ए-आला हेमंता सरमा ने मुस्लिम और ईसाई बिरादरीयों से पीर को ख़ुसूसी दुआओं का एहतिमाम करने की अपील की है। उन्होंने कहा, अयोध्या ना सिर्फ हिंदूओं बल्कि हिन्दुस्तानी तहज़ीब की फ़तह की अलामत है। 
    वज़ीर-ए-आला हेमंता सरमा ने कहा कि मैं मुस्लमानों और ईसाईयों से अपील करता हूँ कि वो पीर को ख़ुसूसी दुआओं का एहतिमाम करें, ताकि हम, तमाम ज़ात और बिरादरीयां, अमन के साथ रह सकें। ये हिंदूओं की जीत नहीं है, बल्कि हिन्दुस्तानी तहज़ीब की जीत है। उन्होंने कहा, एक हमला-आवर (बाबर) ने हिन्दोस्तान की इबादत-गाह को तबाह किया। बाबर एक ग़ैर मुल्की था। आयोध्या में उस जगह पर एक अज़ीमुश्शान राम मंदिर तामीर किया जा रहा है जहां 1992 में बाबरी मस्जिद के ढांचा को मुनहदिम कर दिया गया था। 16वीं सदी का मुतनाज़ा (विवादित) ढांचा हिंदूओं और मुस्लमानों के दरमयान तनाज़ा का मर्कज़ था। कुछ हिंदूओं का मानना है कि ये जगह भगवान राम की जाए पैदाइश है और मुस्लमान हमला आवरों ने वहां एक मंदिर को गिरा कर मुतनाज़ा ढांचा तामीर किया। 
    22 जनवरी को आयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का प्रोग्राम होने जा रहा है जिसमें वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी समेत हज़ारों लोग शिरकत कर रहे हैं। इस मौक़ा पर आसाम की बीजेपी हुकूमत ने स्कूलों, कॉलिजों और यूनीवर्सिटीयों में छुट्टी का ऐलान कर दिया है। उनमें प्राईवेट इदारे भी शामिल हैं।

अब तल्ख़ी को ख़त्म कर आगे बढ़ने का वक़्त है : मोहन भागवत

अब तल्ख़ी को ख़त्म कर आगे बढ़ने का वक़्त है : मोहन भागवत
नई दिल्ली : 
आयोध्या में तामीर होने वाले राम मंदिर की इफ़्तिताही तक़रीब प्राण प्रतिष्ठा से पहले राष्ट्रीय स्वयम् सेवक संघ (आरएसएस) के सरबराह मोहन भागवत ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि पार्टियों और अपोज़ीशन के दरमयान जो ग़ैर ज़रूरी झगड़ा हुआ है, उसे ख़त्म किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह वक्त बिरादरीयों के दरमियान पैदा होने वाली तल्ख़ियों को ख़त्म करने का है। 
    अयोध्या को तनाज़आत (विवाद) से पाक जगह के तौर पर पहचाना जाना चाहिए। दरहक़ीक़त एक मज़मून में आरएसएस चीफ़ ने कहा कि हिन्दोस्तान की गुजिश्ता डेढ़ हज़ार साल की तारीख़ जद्द-ओ-जहद से भरी हुई है। हिन्दोस्तान पर लूटमार के लिए हमला किया गया। इन हमलों ने मुआशरे की मुकम्मल तबाही और तन्हाई को ही जन्म दिया। मुल्क के मुआशरे का हौसला पस्त करने के लिए उनके मज़हबी मुक़ामात को तबाह करना ज़रूरी था, इसी लिए ग़ैर मुल्की हमला आवरों ने हिन्दोस्तान में मंदिरों को भी तबाह किया। ऐसा कई बार किया गया। मोहन भागवत ने लिखा कि अयोध्या में राम मंदिर पर हमला इसी मक़सद के साथ किया गया था। मंदिरों पर हमलों के बाद भी हिन्दोस्तान में समाज के विश्वास, वफ़ादारी और हौसले में कभी कमी नहीं आई। इसी वजह से श्री राम की जाए पैदाइश पर बार-बार कब्जा करने और वहां मंदिर बनाने की कोशिशें मुसलसल जारी रही। मंदिर का मसला हिंदूओं के ज़हनों में रहा। 
    भागवत ने लिखा मज़हबी नुक़्ता-ए-नज़र से, श्री राम समाज की अक्सरीयत के पूजे जाने वाले देवता हैं और श्री राम चन्द्र की ज़िंदगी आज भी पूरे मुआशरे के ज़रीया क़बूल करदा तर्ज़-ए-अमल का एक आईडीयल है। इसलिए अब जो झगड़ा बिला-वजह पैदा हुआ है, उसे ख़त्म किया जाए। उनका मज़ीद कहना था कि मुआशरे के बाशऊर लोगों को देखना चाहिए कि झगड़ा मुकम्मल तौर पर ख़त्म हो जाये।


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