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गुजरात : सड़क पर नमाज़ पढ़ने पर ट्रक ड्राईवर को किया गिरफ़्तार

गुजरात : सड़क पर नमाज़ पढ़ने पर ट्रक ड्राईवर को किया गिरफ़्तार

अहमदाबाद : आईएनएस, इंडिया

    गुजरात पुलिस ने बनास कानिठा ज़िला में सड़क पर नमाज़ पढ़ने वाले ट्रक ड्राईवर को गिरफ़्तार कर लिया। ड्राईवर की शिनाख्त बाचा ख़ान (37) के तौर पर हुई है। पुलिस ने बताया कि उसे सोशल मीडीया पर एक वीडीयो वाइरल होने के बाद गिरफ़्तार किया गया। जिसमें ड्राईवर पालनपुर शहर के क़रीब एक चौराहे पर खड़े अपने ट्रक के आगे नमाज़ पढ़ते हुए नज़र आता है। पुलिस ने बताया कि वाक़िया 12 जनवरी को एक मसरूफ़ चौराहे के क़रीब हाईवे पर पेश आया। ख़ान ने अपना ट्रक रोका और नमाज़ पढ़ने लगा। इसी दौरान किसी ने वीडीयो रिकार्ड कर के वाइरल कर दिया जिसके बाद पुलिस ने मुआमले में मुदाख़िलत की। ख़ान के ख़िलाफ़ ताज़ीरात-ए-हिंद (आईपीसी) की दफ़ा 283 (अवामी रास्ते में ख़तरा),186 (सरकारी मुलाज़िम के फ़राइज़ की अंजाम दही में रुकावट) और 188 (सरकारी मुलाज़िम के ज़रीया जारी हुक्म की ना-फ़रमानी) के तहत एफ़आईआर दर्ज की गई थी।

मुफ़्ती शेख़ अबू बकर ने अकलीयती स्कालरशिप की खामियां दूर करने वज़ीर-ए-आज़म को लिखा मकतूब

तिरुअनंतपुरम : ऑल इंडिया सुन्नी जमईयत-उल-उलमा के बानी मुफ़्ती-ए-आज़म शेख़ अबू बकर अहमद ने वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी और अकलीयती उमूर की वज़ीर स्मृति ईरानी को ख़त लिखकर अकलीयती बिरादरीयों के लिए आला तालीमी वज़ाइफ़ में संगीन खामियों को उजागर किया है। मुफ़्ती-ए-आज़म ने तलबा, बिलख़सूस तहक़ीक़ी तलबा (शोध छात्रों) को मुतास्सिर करने वाले मसाइल पर मौलाना आज़ाद नेशनल स्कालरशिप को बंद करने के फ़ैसले को वापिस लेने का मुतालिबा किया है। 
    मुफ़्ती शेख़ अबूबकर अहमद का कहना है कि मौजूदा मंज़र-नामा तलबा को दी गई यक़ीन दहानियों और फ़ंडज़ की हक़ीक़ी तक़सीम के दरमयान फ़र्क़ को ज़ाहिर करता है, जो माली इमदाद की उम्मीद के साथ मुल्क के अहम इदारों में तालीम हासिल करने वालों को मुतास्सिर कर रहा है। अक़ल्लीयती वज़ारत ने क़ौमी अक़ल्लीयती इक़तिसादी तरक़्क़ी कार्पोरेशन को वज़ाइफ़ की तक़सीम का काम सौंपा है। कार्पोरेशन ने वज़ारत से फ़ंडज़ हासिल करने के लिए अपनी जद्द-ओ-जहद का एतराफ़ किया है। उन्होंने मज़ीद कहा कि जहां जेआरएफ़ और ओसी, एससी, एसटी के लिए नेशनल फैलोशिप जैसी स्कालरशिपस में इज़ाफ़ा हुआ है, वहीं अक़ल्लीयती स्कालरशिप में कमी या वाजिबात की अदम अदाइगी इमतियाज़ी सुलूक (भेदभाव) का सवाल उठाती है। ख़त में ईसाई, मुस्लिम, सिख और पार्सी बिरादरीयों से ताल्लुक़ रखने वाले तलबा की हालत-ए-ज़ार पर भी ज़ोर दिया गया है। इन मसाइल को हल करने और तालीम तक रसाई में दरपेश चैलेंजों को कम करने के लिए फ़ौरी इक़दाम पर-ज़ोर दिया गया है।


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