✒ रियाद : आईएनएस, इंडियासऊदी अरब के वली अहद बिन सलमान ने आरटी अरबिया के जरीया कराए गए सर्वे के मुताबिक साल 2023 में सबसे ज्यादा बा-असर अरब लीडर का खिताब जीत कर मुसलसल तीसरे साल भी अपना ये एजाज बरकरार रखा है।
सर्वे में सऊदी वली अहद ने 366,403 वोट हासिल किए, जो सर्वे के कुल वोटों का 69.3 फीसद है। सर्वेअरबिया पर 15 दिसंबर को शुरू हुआ और सात जनवरी की शाम तक जारी रहा। सऊदी वली अहद शहजादा मुहम्मद बिन सलमान की अरब दुनिया में मकबूलियत की अक्कासी करने वाले इस सर्वे में मुत्तहदा अरब अमीरात के सदर अल शेख मुहम्मद बिन जाएद 17.9 फीसद के साथ लेकर दूसरे नंबर पर रहे। जबकि फलस्तीनी सदर महमूद अब्बास 3.9 फीसद वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे। सऊदी वली अहद शहजादा मुहम्मद बिन सलमान ने मुसलसल तीसरे साल अपनी बरतरी बरकरार रखी है।
वाजेह रहे कि गुजिश्ता साल के मुकाबले में वोटिंग के मजमूई फीसद में कमी की वजह मगरिब की जानिब से दुनिया-भर में चैनल पर लगाई गई पाबंदीयां हैं।
मुहम्मद बिन सलमान के नाम से बनेगा स्टेडीयम
रियाद : अल कुदया इन्वेस्टमेंट कंपनी के बोर्ड आफ़ डायरैक्टर्ज़ ने सऊदी अरब बिन सलमान के नाम 45 हजार सिटिंग कैपेसिटी वाला स्टेडियम बनाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि यह दुनिया का पहला मुकम्मल तौर पर अनूठा स्टेडियम होगा जिसकी छत को ज़रूरत के मुताबिक हटाया और दुबारा लगाया जा सकेगा। सऊदी प्रेस एजेंसी के मुताबिक़ शहज़ादा मुहम्मद बिन सलमान स्टेडियम सऊदी अरब के सबसे बड़े खेलों, तफ़रीही और सक़ाफ़्ती प्रोग्रामों की मेज़बानी करेगा।अल कुदया शहर में वाके रियाद से सिर्फ 40 मिनट की मुसाफ़त (दूरी) पर होगा जिसका मकसद दुनियाभर से लोगों को अपनी तरफ़ राग़िब करना है। ये सऊदी किंग कप, एशीयन कप और मुम्किना तौर पर 2034 एशीयन गेम्ज़ समेत खित्ते के कुछ बड़े खेलों के मुक़ाबलों की मेज़बानी करने के लिए भी तैयार है। लोग स्टेडियम में एक ही दिन में फुटबाल, बॉक्सिंग, स्पोर्टस, महफ़िल-ए-मौसीक़ी और थिएटर परफामेंर्स से लुत्फ अंदोज़ हो सकेंगे। स्टेडियम अपनी आब-ओ-हवा पर क़ाबू पाने वाली सहूलयात में सारा साल तक़रीबात की मेज़बानी कर सकेगा जहां बराह-ए-रस्त स्टेडियम के नीचे बनाई गई एक माहौल दोस्त ठंडा करने वाली झील के ज़रीये तवानाई के इस्तिमाल को कम किया जाएगा।
आलमी अदालत इन्साफ़ तीन जज अरब के
रियाद : आलमी अदालत इन्साफ़ (अंतरराष्ट्रीय न्यायालय) में जुनूबी अफ़्रीक़ा की तरफ़ से इसराईल के ख़िलाफ़ गाजा में नसल कुशी के इल्ज़ामात के दरख़ास्त की समाअत (सुनवाई) जारी है। केस की समाअत करने वाले पंद्रह रुक्नी (सदस्ययीय) बेंच में तीन अरब जज भी शामिल हैं । जस्टिस मुहम्मद बनूना 1943 में मराक़श में पैदा हुए और 2006 में वो पहली बार बैन-उल-अक़वामी अदालत इन्साफ़ के रुक्न मुंतख़ब हुए। बनूना 2001 से 2006 के दरमयान न्यूयार्क में अक़वाम-ए-मुत्तहिदा (संयुक्त राष्ट्र) में मराक़श के सफ़ीर (दूत) और मुस्तक़िल (लगातार) मंदूब (प्रतिनिधि) थे। उनका बैन-उल-अक़वामी क़ानून और बैन-उल-अक़वामी अदालतों में अदलिया के शोबे में तवील कैरीयर रहा है। वो अक़वाम-ए-मुत्तहिदा में कई ओहदों पर फ़ाइज़ रहे।जस्टिस नवाफ़ सलाम 1953 में पैदा हुए। वो बैन-उल-अक़वामी अदालत इन्साफ़ के जज हैं। उन्होंने 1992 में पेरिस के इंस्टीटियूट आफ़ पोलीटिक्ल साईंसिज़ से डाक्टरेट की, हारवर्ड ला स्कूल से क़ानून में मास्टर डिग्री और सूरबोन यूनीवर्सिटी से तारीख़ में डाक्टरेट की डिग्री हासिल की। जस्टिस सलाम ने 2007 से 2017 तक न्यूयार्क में लेबनान के सफ़ीर और अक़वाम-ए-मुत्तहिदा में मुस्तक़िल मंदूब के तौर पर ख़िदमात अंजाम दी। सोमाली जज अब्दुह अहमद यूसुफ़ 1948 में शुमाल मशरिक़ी क़स्बे बोंतलानद में पैदा हुए। उन्होंने 2009 में बैन-उल-अक़वामी अदालत इन्साफ़ में शमूलीयत इख़तियार की और 2018 से 2021 तक अदालत के सदर के तौर पर ख़िदमात अंजाम दीं। अब्दुह अहमद यूसुफ़ बैन-उल-अक़वामी क़ानून के शोबे के माहिर हैं और इंस्टीटियूट आफ़ इंटरनैशनल ला के रुक्न हैं। वो मुतअद्दिद ओहदों पर फ़ाइज़ रहे, जिनमें क़ानूनी मुशीर और दफ़्तर बराए बैन-उल-अक़वामी मयारात और क़ानूनी उमूर बराए यूनेस्को के डायरेक्टर और दीगर ओहदे शामिल हैं।