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सऊदिया की 110 साल की खातून ने लिया स्कूल में दाखिला

3 सफर उल मुजफ्फर 1445 हिजरी
पीर, 21 अगस्त, 2023
अकवाले जरीं
‘नमाजों में एक नमाज ऐसी है, जो किसी से छूट जाए तो गोया उसका घर-बार सब बर्बाद हो गया। वो नमाज, नमाजे असर है।’
- सहीह बुखारी
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समर कैंप में सीख कुरआन पढ़ना

रियाद : आईएनएस, इंडिया

उम्र बढ़ने के साथ उमूमन लोगों को अपनी सेहत की फिक्र रहती है मगर सउदी अरब की एक मुअम्मर बूढ़ी अम्मां 110 साल की उम्र के बावजूद पढ़ाई करने का खाब देख रही हैं। 
सऊदिया की 110 साल की खातून ने लिया स्कूल में दाखिला, 110-year-old Khatoon of Saudia took admission in school
- Image google

    बेशा गवर्नरी के महिकमा तालीम ने टवीटर पर एक वीडियो शाइआ कर अल कहतानी के बारे में तास्सुराती अलफाज तहरीर किए हैं। बयान में कहा गया है कि उनकी 110 साला उम्र भी उन्हें खवांदगी (शिक्षा) के लिए जारी मुहिम में शामिल होने से नहीं रोक सकी। ना खवांदा (निरक्षर) पीराना-साली (बुढ़ापे) के बावजूद पढ़ाई में खासी दिलचस्पी रखती हैं। तालीम-ए-बालगां (प्रौढ़ शिक्षा) का एहतिमाम करने वाले कैंप के मुंतजमीन का कहना है कि उनकी पढ़ाई के नताइज भी खासे अच्छे हैं। अलकहतानी के बारे में एक वीडीयो भी शाइआ की गई है, जिसमें उन्होंने नाख़्वान्दगी (निरक्षता) के खातमे के लिए की जाने वाली कोशिशों पर मुल्क और उसकी दानिशमंद कियादत के लिए इतमीनान और तशक्कुर (कृतज्ञता) के जजबात का इजहार किया है। 
    उनके फरजंद मुहम्मद मुसफिर अलकहतानी ने बताया कि मेरी वालिदा अल आमवाह में रहती हैं जो असीर के इलाके से मुंसलिक मराकज में से एक है। इस गर्मी में उन्होंने पढ़ाई के लिए एक समर कैंप में अपना रजिस्ट्रेशन कराया था। मेरी वालिदा ने तालीम के इस मौका पर खुशी महसूस की जिससे उन्होंने अपने मजहब के बारे में सीखा क्योंकि दीनी तालीम का हुसूल उनकी खाहिश थी। 
    उन्होंने कहा कि उनकी वालिदा ने इस मर्कज में कुरआन पढ़ा और वो हुकूमत की तरफ से बुजुर्गों बिल खुसूस बड़ी उम्र की खवातीन के लिए इस तरह के प्रोग्रामात शुरू करने पर हुकूमत की शुक्रगुजारी का इजहार किया। सऊदी अरब कीं इत्तिलाआत-ओ-मुवासलात के डायरेक्टर और बेशा एजूकेशन के सरकारी तर्जुमान खालिद अलसारी ने मंगल को लड़कों और लड़कियों की तालीम के हवाले से आगाही के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि मौसम-ए-गर्मा की मुहिम के आगाज का इस प्रोग्राम से किया गया है जिसका मकसद शहरियों और खवातीन में नाख़्वान्दगी को खत्म करना है। 

इम्तिहान में फेल होने पर छ: तलबा ने एक साथ कर ली खुदकुशी 

काहिरा : इम्तिहान में नाकामी का दुख हर तालिब-इल्म को होता है, मगर नाकामी पर अपनी जान पर खेल जाना सम­ा में नहीं आता। मिस्र में एक हाई स्कूल के छ: तलबा और तालिबात ने फेल होने पर अपनी जान ले ली। मिस्र के जुनूब (दक्षिण) में वाके सोहाज गवर्नरी की एक तालिबा ने इम्तिहानात के नताइज आने के कुछ देर बाद जहर पी कर खुद कुशी कर ली। 
    इसी तरह बया गवर्नरी के तोख शहर में दो तालिबात ने इमतिहान में नाकामी के बाद जहरीली गोलियां खा कर अपनी जान ले ली। गवर्नरी से मुंसलिक (लगे हुए) शहर कुफ्रÞ शुक्र में भी एक तालिबा ने इमतिहानात में नंबर कम आने पर कीड़े मार दवा पी कर खुदकुशी कर ली। उधर शिरकिया गवर्नरी में एक लड़की ने घर वालों के गुस्से के खौफ से हाई स्कूल के इम्तिहान में फेल होने पर अपने बेडरूम में गले में फंदा डाल कर खुदकुशी कर ली। बलबीस शहर में एक लड़की ने हाई स्कूल के इमतिहान में नाकामी के बाद अपनी जान ले ली। हुक्काम को एक हाई स्कूल की तालिबा की मौत की तसदीक करते हुए बताया कि लड़की ने इमतिहान में फेल होने पर जहर मिली दवा पी ली थी। उसे बे होशी के आलम में हस्पताल लाया गया जहां वो दम तोड़ गई। 


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