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अमरीकी कांग्रेस में इस्लाम को अजीम मजहब मानने की करारदाद पेश

3 सफर उल मुजफ्फर 1445 हिजरी
पीर, 21 अगस्त, 2023
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अकवाले जरीं
‘नमाजों में एक नमाज ऐसी है, जो किसी से छूट जाए तो गोया उसका घर-बार सब बर्बाद हो गया। वो नमाज, नमाजे असर है।’
- सहीह बुखारी
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न्यूयार्क : आईएनएस, इंडिया 

अमरीकी कांग्रेस में इस्लाम को अजीम मजहब तस्लीम किए जाने के हवाले से करारदाद (प्रस्ताव) पेश की गई है। करारदाद रियासत टेक्सास के नुमाइंदे की तरफ से पेश की गई है। करारदाद के ताईद कुनुन्दगान (समर्थकों) में कांग्रेस मेंबरान अलहा उमर, राशिदा तलेब और आंडरे कारसन शामिल हैं। 
अमरीकी कांग्रेस में इस्लाम को अजीम मजहब मानने की करारदाद पेश

    करारदाद के मतन में कहा गया है कि लफ़्ज ‘इस्लाम’ का मतलब ‘खुदा की मर्जी’ के सामने सर तस्लीम खम करना और ‘अमन’ है। गैरमुल्की मीडीया के मुताबिक करारदाद में वाजेह किया गया है कि कुरआन मुसलमानों और गैर मुस्लिमों के दरमियान रवादारी की बात करता है। करारदाद के मतन के मुताबिक अमरीका में मुस्लमानों की तादाद 35 लाख बताई गई है।

अब बंगला देश में कुरान-ए-पाक के नुस्खे जलाए गए, हजारों अफराद ने किया मुजाहिरा 

सिलहट, ढाका : बंगला देश में कुरान-ए-पाक के दर्जनों नुस्खों को नजर-ए-आतिश किए जाने के बाद हजारों मुश्तइल (उत्तेजित) अफराद ने मुजाहरा किया जिसके नतीजे में मुतअद्दिद (कई) पुलिस अहलकार जखमी हो गए। गैर मुल्की न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने बताया कि कुरान-ए-पाक की बे-हुरमती के इल्जाम में करीब 10 हजार की मुश्तईल भीड़ ने 2 अफराद पर हमला कर दिया। भीड़ को मुंतशिर (छितर-बितर) करने के लिए पुलिस को आँसू गैस का इस्तिमाल और रबड़ की गोलियां चलानी पड़ी। 
    इस दौरान हुई झड़पों में 14 पुलिस अहलकार जखमी हो गए। इस हवाले से पुलिस ने बताया कि उन्होंने कुरान-ए-पाक के नुस्खे़ इसलिए नजर-ए-आतिश किए थे क्योंकि वो बहुत पुराने थे, जबकि उनमें से कुछ में प्रिंटिंग की गलतियां थीं। पुलिस ने कहा कि मुल्जिमान स्कूल के प्रिंसिपल नूर अल रहमान और महबूब-ए-आलम हैं। पुलिस ने नजर-ए-आतिश किए गए कुरआन के 45 नुस्खे अपने कब्जे में ले लिए हैं। बाअज उलमा के नजदीक कुरान-ए-पाक के इन नुस्खों को, जो अब काबिल-ए-इस्तिमाल नहीं हैं, उन्हें एहतिराम के साथ दफन करना जायज है। गौरतलब है कि गुजिश्ता महीने स्वीडन और डेनमार्क में कुरान-ए-पाक की बे-हुरमती करने के बाद मुतअद्दिद मुस्लिम ममालिक में मुजाहिरों किए गए थे। स्वीडन और डेनमार्क ने बे-हुरमती की मुजम्मत की, लेकिन आजादी इजहार और इजतिमा से मुताल्लिक अपने कवानीन के तहत कोई कार्रवाई नहीं की।


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