28 जिल हज्ज, 1444 हिजरी
पीर, 17 जुलाई, 2023
अकवाले जरीं‘जो कोई नजूमी (ज्योतिष) के पास जाए और उससे कुछ मुस्तकबिल के बारे में सवाल करे तो उसकी चालीस रातों की इबादत कबूल नहीं होती।’
- मुस्लिम
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खुरतूम : आईएनएस, इंडिया सूडान के दार-उल-हकूमत खुरतूम में फौज और नियम फौजी दस्तों के दरमयान लड़ाई एक-बार फिर शिद्दत इखतियार कर गई है, जिससे शहर में इंटरनेट समेत राब्ते के दूसरे जराइआ मुनकते हो गए हैं, जबकि इन्सानी हुकूक के इदारों ने सूरत-ए-हाल की मजीद खराबी का खदशा जाहिर किया है।
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file photo |
न्यूज एजेंसी एएफपी ने खुरतूम में मौजूद सोर्स का हवाला देते हुए बताया है कि जुमे को धमाकों की आवाजें सुनी गईं जिसके बाद इंटरनेट और मोबाइल सर्विस बंद हो गई और जुमे को पूरा दिन ही शहर के जुनूबी हिस्से के अलावा आर्मी हेडक्वार्टर के करीब से धुएं के बादल उठते दिखाई देते रहे। सोर्स के मुताबिक फौज और नियम फौजी दस्तों के एक-दूसरे पर हमलों में हर किस्म के हथियार इस्तिमाल किए जा रहे हैं, जबकि दरिया-ए-नील के किनारे कायम शहर ओमडरमन में जंगी जहाजों और ड्रोन्ज की परवाजें भी देखी गईं। 15 अप्रैल से सूडानी फौज और नियम फौजी दस्तों के दरमयान लड़ाई जा रही है। सूडानी फौज की जानिब से आर्मी चीफ अबदालफताह अल्बरहा जबकि नियम फौजी दस्तों की कमांड उन्ही के नायब रहने वाले मुहम्मद हमदान डाजीव कर रहे हैं।
झड़पों के दौरान अब तक कम से कम तीन हजार अफराद हलाक हो चुके हैं जिसके दौरान खुरतूम और मशरिकी शहर डारफुर में बदतरीन तसादुम (टकराव) हुआ। अकवाम-ए-मुत्तहिदा का कहना है कि दार-उल-हकूमत के 10 लाख 70 हजार से जाइद रिहायशियों को नक़्ल-ए-मकानी करना पड़ी है क्योंकि इस पर मुसलसल फिजाई हमले जारी रहे जबकि टैंक गलियों में फिरते रहे जिसके दौरान लूटमार के वाकियात भी हुए। आलमी इदारा सेहत के ओहदेदार ने जुमे को बताया कि 20 लाख 40 हजार से जाइद अपने मुल्क के अंदर ही बे-घर हो चुके हैं और जिन इलाकों में वो मौजूद हैं, वो गैर महफूज हैं और वहां सामान की फराहमी भी बहुत कम है। उनके मुताबिक झड़पों के बाद पहले से ही नाकाफी सहूलतों सेहत के शोबे को शदीद मुश्किलात का सामना है और 80 फीसद हस्पताल फआल नहीं रहे। Must Read
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खुरतूम से जुनूबी हिस्से की तरफ जाने वाली बड़ी सड़क पर वाके शहर को मौसमियाती का भी सामना है। रिफ्यूजी काउंसिल ने खबरदार किया है कि जुमे को शुरू होने वाली बारिश से सेलाब आ गया है जिसके बाइस जहां रिहायशी मुश्किल में हैं। वहीं खुरतूम से जान बचा कर पहुंचने वाले दो लाख साठ हजार अफराद के मसाइब में भी इजाफा हुआ है। इमदादी तंजीमें जो कई बार इन इलाकों में सामान की फराहमी के लिए राहदारी फराहम करने का मुतालिबा कर चुकी हैं, ने खबरदार किया है कि जून में शुरू होने वाला बारिशों का सिलसिला सैलाबी पानी से फूटने वाले बीमारियों का बाइस भी बन सकता है।
शोबा सेहत के कारकुनों और इमदादी तन्जीमों के अहलकारों के दरमयान जुमेरात को होने वाली मुलाकात में बताया गया कि मुल्क की 18 में से 11 रियास्तों में खसरा वबाई शक्ल इखतियार कर गया है जबकि हैजे और आलूदा पानी से लगने वाली दीगर बीमारियों के 300 से जाइद केसिज सामने आ चुके हैं और सात अम्वात भी हो चुकी हैं। हिलाल अह्मर के ओहदेदार पाएरे डूबीस का कहना है कि जुनूबी सूडान के इलाके में शुमाली बॉर्डर की बंदिश से सामान नहीं पहुंच पा रहा और बाजार खाली पड़े हैं जिससे सूरत-ए-हाल में मजीद खराबी पैदा हुई है। उनके मुताबिक जब से लड़ाई शुरू हुई है, एक लाख 60 हजार से जाइद अफराद ने जुनूबी सूडान की तरफ नक़्ल-ए-मकानी की है। ख़्याल रहे, सऊदी अरब और अमरीका की सालसी कोशिशों से सूडानी फौज और नियम फौजी दस्तों के दरमयान जंग बंदी के मुआहिदा भी हुआ, ताहम उसकी खिलाफवरजी की इत्तिलाआत भी सामने आती रहीं।
शोबा सेहत के कारकुनों और इमदादी तन्जीमों के अहलकारों के दरमयान जुमेरात को होने वाली मुलाकात में बताया गया कि मुल्क की 18 में से 11 रियास्तों में खसरा वबाई शक्ल इखतियार कर गया है जबकि हैजे और आलूदा पानी से लगने वाली दीगर बीमारियों के 300 से जाइद केसिज सामने आ चुके हैं और सात अम्वात भी हो चुकी हैं। हिलाल अह्मर के ओहदेदार पाएरे डूबीस का कहना है कि जुनूबी सूडान के इलाके में शुमाली बॉर्डर की बंदिश से सामान नहीं पहुंच पा रहा और बाजार खाली पड़े हैं जिससे सूरत-ए-हाल में मजीद खराबी पैदा हुई है। उनके मुताबिक जब से लड़ाई शुरू हुई है, एक लाख 60 हजार से जाइद अफराद ने जुनूबी सूडान की तरफ नक़्ल-ए-मकानी की है। ख़्याल रहे, सऊदी अरब और अमरीका की सालसी कोशिशों से सूडानी फौज और नियम फौजी दस्तों के दरमयान जंग बंदी के मुआहिदा भी हुआ, ताहम उसकी खिलाफवरजी की इत्तिलाआत भी सामने आती रहीं।