28 जिल हज्ज, 1444 हिजरी
पीर, 17 जुलाई, 2023
अकवाले जरीं
‘जो कोई नजूमी (ज्योतिष) के पास जाए और उससे कुछ मुस्तकबिल के बारे में सवाल करे तो उसकी चालीस रातों की इबादत कबूल नहीं होती।’
- मुस्लिम
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कहा, हाईकोर्ट का फैसला हकायक और कानून की बुनियाद पर दुरुस्त नहीं
नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
शाही ईदगाह केस में नया मोड़ आया है। शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी ने सुप्रीमकोर्ट में दरखास्त दायर कर दी है। ईदगाह कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस हुक्म को चैलेंज किया है, जिसमें उसने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुआमले में मथुरा की ट्रायल कोर्ट में जारी तमाम मुकद्दमात को अपने पास मुंतकिल कर दिया था और कहा था कि इस केस से मुताल्लिक तमाम मुआमलात अब हाईकोर्ट में होंगे।
ईदगाह मस्जिद कमेटी की जानिब से सुप्रीमकोर्ट में दायर दरखास्त में हाईकोर्ट के 26 मई के हुक्म पर रोक लगाने का मुतालिबा किया गया है। दरखास्त में कहा गया है कि हाईकोर्ट का फैसला हकायक और कानून की बुनियाद पर दुरुस्त नहीं है। यही नहीं, हाईकोर्ट का फैसला दरखास्त गुजार की अपील के कानूनी हक की नफी करता है, क्योंकि इससे मुकद्दमे की अपील के दो मराहिल खत्म हो जाते हैं।
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मालूम हो कि हिंदू फरीक पहले ही इस मुआमले में सुप्रीमकोर्ट में पिटीशन दाखिल कर चुका है। अयोध्या में बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि तनाजा की तरह मथुरा में भी तनाजा (विवाद) है। हिंदूओं का दावा है कि मुगल सुलतान शहंशाह औरंगजेब आलमगीर ने मंदिर को गिरा कर वहां मस्जिद बनाई थी। 1670 में मथुरा में भगवान केशव देव के मंदिर को मुनहदिम (ढहाने) का हुक्म-जारी किया गया। उसके बाद मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई। मथुरा में कुल 13.37 एकड़ जमीन की मिल्कियत को लेकर तनाजा चल रहा है, दरहकीकत श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास तकरीबन 10.9 एकड़ और शाही ईदगाह के पास ढाई एकड़ के मालिकाना हुकूक हैं। हिंदू फरीक ईदगाह को गै़रकानूनी तौर पर कबजा करके बनाया गया ढांचा करार देता है। हिंदू फरीक शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि के हवाले करने का मुतालिबा कर रहा है। जबकि मुस्लिम फरीक हिन्दुओं के इन दावों को दरकिनार कर रहा है और उनका कहना है कि ये झूट पर मबनी और हकायक से दूर बयानिया है।