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सुप्रीम कोर्ट तय करेगा मुस्लिम लड़कियों की शादी की उम्र

12 रमजान-उल मुबारक, 1444 हिजरी
मंगल, 4 अपै्रल, 2023
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नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
सुप्रीमकोर्ट मुस्लिम लड़कियों की शादी की उम्र के मुआमले पर गौर करेगा। मुस्लिम पर्सनल ला, लड़की की बलूगत यानी 15 साल की उम्र के बाद शादी की इजाजत देता है। सुप्रीमकोर्ट ने हादिया अकीला और सफीना जहां के मुआमले में अपने 2018 के फैसले में कहा था कि सही मुस्लिम शादी के लिए बलूगत का हुसूल एक शर्त है। 

सुप्रीम कोर्ट तय करेगा मुस्लिम लड़कियों की शादी की उम्र

    ये कानूनी मुआमला इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद पैदा हुआ है। हाईकोर्ट ने 16 साला मुस्लिम लड़की की शादी को गै़रकानूनी करार देते हुए उसे नारी निकेतन भेज दिया था। सुप्रीमकोर्ट इस बात का भी जायजा लेगा कि अगर मुस्लिम पर्सनल ला और पार्लियामेंट की जानिब से पास कानून में तसादुम (टकराव) हुआ तो क्या होगा, किसको काबुल इतलाक समझा जाएगा, जबकि प्रोहेबेशन आफ चाइल्ड मैरिज ऐक्ट और मुस्लिम पर्सनल ला के दरमियान तनाजा है, जो एक मुस्लिम लड़की को 15 साल की उम्र में बलूगत को पहुंचने पर शादी करने की इजाजत देता है। लड़की की तरफ से पेश होने वाले वकील दुष्यंत पराशन ने जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस एम त्रिवेदी की बेंच को बताया कि वो अब बालिग हो चुकी है। उसे शेल्टर होम से रिहा कर दिया गया है। वो लड़के के साथ रह रही है। बेंच ने पाराशर से कहा कि वो लड़की की तरफ से हलफनामा दाखिल करें। 


    अदालत ने मुआमले की मजीद समाअत दो हफ़्तों के बाद की। समाअत के दौरान लड़की के वकील पाराशर ने कहा कि केस में कानून का एक अहम सवाल शामिल है। पर्सनल ला एक मुस्लमान लड़की को 15 साल की उम्र में बलूगत को पहुंचने पर अपनी पसंद के लड़के से शादी करने की इजाजत देता है। दूसरी तरफ पार्लियामेंट के जरीये मंजूर किए गए कवानीन में बच्चों की शादी की मुमानअत एक्ट 2006, इंडियन मेजर्टी एक्ट 1875 है। उन्होंने कहा कि ऐसी सूरत-ए-हाल में जहां इन्फिरादी मजहबी हुकूक शामिल हों, कौन सा कानून लागू होगा, बेंच ने कहा कि वो कानून के सवाल को खुला छोड़ रहे हैं और इस पर गौर करेंगे।



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