9 शाअबानुल मोअज्जम 1444 हिजरी
2 मार्च 2023
नासिक : आईएनएस, इंडिया
महाराष्ट्र में अदालत ने सड़क हादसे के बाद मारपीट के मुजरिम को ऐसी सजा सुनाई है, जिसका एहसास उसे जिंदगीभर रहेगा। अदालत ने मुजरिम को कैद की बजाय हर रोज दो दरख़्त लगाने और रोजाना पांच वक़्त की नमाज अदा करने का हुक्म दिया है। अदालत ने ये फैसला 12 साल पुराने केस में दिया है। महाराष्ट्र के नासिक जिÞला के मालेगांव की एक अदालत ने एक मुस्लिम शख़्स को सड़क हादसा तनाजा (विवाद) केस में मुजरिम करार दिया है। अदालत ने उसे 21 दिन तक हर रोज दो दरख़्त लगाने और पांच वक़्त नमाज पढ़ने का हुक्म दिया। मजिस्ट्रेट तेजवंत सिंह संधू ने 27 फरवरी को जारी एक हुक्म में नोट किया कि प्रोबेशन आफ आफंडर्ज एक्ट की दफआत मजिस्ट्रेट को ये इखतियार देती हैं कि वो मुजरिम को एक माकूल वार्निंग देने के बाद रिहा कर दे ताकि इस बात को यकीनी बनाया जा सके कि वो जुर्म का इआदा ना करे। अदालत ने कहा कि मौजूदा केस में महज तंबीया (चेतावनी) ही काफी नहीं होगी और ये जरूरी है कि मुजरिम को अपना जुर्म याद रहे ताकि वो उसे दुबारा ना करे। हुक्मनामे में कहा गया कि मेरे मुताबिक, मुंसिफाना वार्निंग देने का मतलब ये समझना है कि जुर्म किया गया था, मुल्जिम पर जुर्म साबित हो चुका है और उसे याद रखना चाहिए, ताकि वो दुबारा इस जुर्म को ना दोहराए। मुजरिम रऊफ पर 2010 के एक मुकद्दमे में एक शख़्स पर मुबय्यना (कथित) तौर पर हमला करने और सड़क हादसे के तनाजा पर शदीद चोट पहुंचाने का मुकद्दमा दर्ज किया गया था। मुकद्दमे में उसे मुजरिम करार देते हुए अदालत ने कहा कि समाअत के दौरान मुल्जिम रऊफ खान ने कहा था कि वो बाकायदा नमाज नहीं पढ़ता है। इसके पेश-ए-नजर अदालत ने उसे हुक्म दिया कि वो 28 फरवरी से 21 दिनों तक दिन में पांच मर्तबा नमाज अदा करे और सोनापुरा मस्जिद के अहाते में दरख़्त लगाए और दरख़्तों की देख-भाल करे। रऊफ के खिलाफ ताजीरात-ए-हिंद की दफा 323, 325, 504 और 506 (मुजरिमाना धमकी) के तहत मुकद्दमा दर्ज किया गया था, अदालत ने मुल्जिम रऊफ खान को आईपीसी सेक्शन 323 के तहत मुजरिम करार दिया और उसे दीगर इल्जामात से बरी कर दिया।
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2 मार्च 2023
नासिक : आईएनएस, इंडिया
महाराष्ट्र में अदालत ने सड़क हादसे के बाद मारपीट के मुजरिम को ऐसी सजा सुनाई है, जिसका एहसास उसे जिंदगीभर रहेगा। अदालत ने मुजरिम को कैद की बजाय हर रोज दो दरख़्त लगाने और रोजाना पांच वक़्त की नमाज अदा करने का हुक्म दिया है। अदालत ने ये फैसला 12 साल पुराने केस में दिया है। महाराष्ट्र के नासिक जिÞला के मालेगांव की एक अदालत ने एक मुस्लिम शख़्स को सड़क हादसा तनाजा (विवाद) केस में मुजरिम करार दिया है। अदालत ने उसे 21 दिन तक हर रोज दो दरख़्त लगाने और पांच वक़्त नमाज पढ़ने का हुक्म दिया। मजिस्ट्रेट तेजवंत सिंह संधू ने 27 फरवरी को जारी एक हुक्म में नोट किया कि प्रोबेशन आफ आफंडर्ज एक्ट की दफआत मजिस्ट्रेट को ये इखतियार देती हैं कि वो मुजरिम को एक माकूल वार्निंग देने के बाद रिहा कर दे ताकि इस बात को यकीनी बनाया जा सके कि वो जुर्म का इआदा ना करे। अदालत ने कहा कि मौजूदा केस में महज तंबीया (चेतावनी) ही काफी नहीं होगी और ये जरूरी है कि मुजरिम को अपना जुर्म याद रहे ताकि वो उसे दुबारा ना करे। हुक्मनामे में कहा गया कि मेरे मुताबिक, मुंसिफाना वार्निंग देने का मतलब ये समझना है कि जुर्म किया गया था, मुल्जिम पर जुर्म साबित हो चुका है और उसे याद रखना चाहिए, ताकि वो दुबारा इस जुर्म को ना दोहराए। मुजरिम रऊफ पर 2010 के एक मुकद्दमे में एक शख़्स पर मुबय्यना (कथित) तौर पर हमला करने और सड़क हादसे के तनाजा पर शदीद चोट पहुंचाने का मुकद्दमा दर्ज किया गया था। मुकद्दमे में उसे मुजरिम करार देते हुए अदालत ने कहा कि समाअत के दौरान मुल्जिम रऊफ खान ने कहा था कि वो बाकायदा नमाज नहीं पढ़ता है। इसके पेश-ए-नजर अदालत ने उसे हुक्म दिया कि वो 28 फरवरी से 21 दिनों तक दिन में पांच मर्तबा नमाज अदा करे और सोनापुरा मस्जिद के अहाते में दरख़्त लगाए और दरख़्तों की देख-भाल करे। रऊफ के खिलाफ ताजीरात-ए-हिंद की दफा 323, 325, 504 और 506 (मुजरिमाना धमकी) के तहत मुकद्दमा दर्ज किया गया था, अदालत ने मुल्जिम रऊफ खान को आईपीसी सेक्शन 323 के तहत मुजरिम करार दिया और उसे दीगर इल्जामात से बरी कर दिया।
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