कराची : आईएनएस, इंडिया
साबिक सदर-ए-पाकिस्तान और आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ को कराची के फौजी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। साबिक फौजी डिक्टेटर की नमाज-ए-जनाजा में हाजिर सर्विस और रिटायर फौजी आफिसरान समेत सियासी शख्सियात ने भी शिरकत की। मलेर कैन्ट में नमाज-ए-जनाजा की अदायगी के बाद उन्हें कराची कंटोनमैंट बोर्ड के फौजी कब्रिस्तान में सपुर्द-ए-खाक किया गया। उनकी मय्यत देखकर मुझे उनकी वो तकरीर याद आ गई जो उन्होंने अपने दौरे इक्तेदार में मजार-ए-काइद से मुत्तसिल पार्क के इफ़्तिताह पर की थी।
`उस तकरीर के दौरान और उससे पहले और बाद में भी वो कई बार कराची से अपने ताल्लुक पर फखर करते थे। मुबस्सिरीन के मुताबिक कराची में बलदियाती हुकूमत चाहे नेअमत अल्लाह खान की हो या मुस्तफा कमाल की, परवेज मुशर्रफ ने मुकामी हुकूमतों की भरपूर मदद की और उन्हें वफाक से हर मुम्किन माली इमदाद पेश की। यही वजह है कि कराची में उनके चाहने वालों की तादाद मुल्क के दीगर हिस्सों से ज्यादा ही रही है। लेकिन 12 अक्तूबर 1999 से 18 अगस्त 2008 तक मस्नद इकतिदार पर रहने वाले परवेज मुशर्रफ का रोब-ओ-दबदबा और उनके अंदाज-ए-हुक्मरानी से आज उनका जनाजा यकसर मुख़्तलिफ था।
साबिक सदर-ए-पाकिस्तान और आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ को कराची के फौजी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। साबिक फौजी डिक्टेटर की नमाज-ए-जनाजा में हाजिर सर्विस और रिटायर फौजी आफिसरान समेत सियासी शख्सियात ने भी शिरकत की। मलेर कैन्ट में नमाज-ए-जनाजा की अदायगी के बाद उन्हें कराची कंटोनमैंट बोर्ड के फौजी कब्रिस्तान में सपुर्द-ए-खाक किया गया। उनकी मय्यत देखकर मुझे उनकी वो तकरीर याद आ गई जो उन्होंने अपने दौरे इक्तेदार में मजार-ए-काइद से मुत्तसिल पार्क के इफ़्तिताह पर की थी।
![]() |
आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ |
![]() |
आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ कराची के फौजी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक |
जनाजा गाह में एक ही बड़ा टेंट लगाया गया था जिसमें दो हजार के लगभग लोग शरीक थे। उनमें से भी 70 फीसद यूनीफार्म में मलबूस फौजी थे और बकीया 30 फीसद में से अक्सर रिटायर्ड फौजी, परवेज मुशर्रफ के इंतिहाई करीबी रफकाए कार और बाअज सियासी रहनुमा थे। नमाज जनाजा में मुत्तहदा कौमी मूवमैंट के रहनुमा मुस्तफा कमाल, डाक्टर फरोग नसीम, वफाकी वजीर सय्यद अमीन उल-हक, साबिक गवर्नर सिंध मुईन उद्दीन हैदर और साबिक वफाकी वजीर फवाद चौधरी, साबिक गवर्नर इमरान इस्माईल और दीगर ने शिरकत की।
फौज की नुमाइंदगी चेयरमैन जवाइंट चीफ आफ स्टाफ कमेटी जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने की जबकि इसके इलावा दो साबिक आर्मी चीफस अशफाक परवेज क्यानी और हाल ही में रिटायर होने वाले कमर जावेद बाजवा के अलावा फौज की खु़फिया एजेंसी के साबिक सरबराहान लेफिटनेंट शुजाअ पाशा और लेफ़्टिनेंट जनरल जहीर इस्लाम और साबिक डीजीआई एसपी आर लेफ्टिनेंट आसिम सलीम बाजवा भी नजर आए। जनाजे में शरीक अफराद को मोबाइल फोन अपनी गाड़ीयों में ही रखने की हिदायत की गई थी। जनाजे में शरीक एक सहाफी आदिल जव्वाद ने वाइस आफ अमरीका से गुफ़्तगु करते हुए कहा कि कहीं से ऐसा नहीं लग रहा था कि ऐसे शख़्स की तदफीन हो रही है जो एक वक़्त में मुल्क का मालिक था। उन्होंने बताया कि ज्यादा-तर वही अफराद जनाजा में शरीक थे, जो दौरान हयात या तो परवेज मुशर्रफ के बहुत करीब थे या फिर उनका फौज में साबिक सदर के साथ कोई ताल्लुक था। जनाजे में शरीक साबिक गवर्नर सिंध लेफ़्टीनेंट मुईन उद्दीन हैदर का कहना था कि जनरल मुशर्रफ ने बड़ी भरपूर जिंदगी गुजारी। मुत्तहदा कौमी मूवमेंट एमक्यूएम के रहनुमा डाक्टर फारूक सितार ये कहते सुनाई दिए कि परवेज मुशर्रफ मुश्किल फैसले लेने के माहिर थे और वो जो फैसला लेते, उस के असरात नजर आते थे।
फौज की नुमाइंदगी चेयरमैन जवाइंट चीफ आफ स्टाफ कमेटी जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने की जबकि इसके इलावा दो साबिक आर्मी चीफस अशफाक परवेज क्यानी और हाल ही में रिटायर होने वाले कमर जावेद बाजवा के अलावा फौज की खु़फिया एजेंसी के साबिक सरबराहान लेफिटनेंट शुजाअ पाशा और लेफ़्टिनेंट जनरल जहीर इस्लाम और साबिक डीजीआई एसपी आर लेफ्टिनेंट आसिम सलीम बाजवा भी नजर आए। जनाजे में शरीक अफराद को मोबाइल फोन अपनी गाड़ीयों में ही रखने की हिदायत की गई थी। जनाजे में शरीक एक सहाफी आदिल जव्वाद ने वाइस आफ अमरीका से गुफ़्तगु करते हुए कहा कि कहीं से ऐसा नहीं लग रहा था कि ऐसे शख़्स की तदफीन हो रही है जो एक वक़्त में मुल्क का मालिक था। उन्होंने बताया कि ज्यादा-तर वही अफराद जनाजा में शरीक थे, जो दौरान हयात या तो परवेज मुशर्रफ के बहुत करीब थे या फिर उनका फौज में साबिक सदर के साथ कोई ताल्लुक था। जनाजे में शरीक साबिक गवर्नर सिंध लेफ़्टीनेंट मुईन उद्दीन हैदर का कहना था कि जनरल मुशर्रफ ने बड़ी भरपूर जिंदगी गुजारी। मुत्तहदा कौमी मूवमेंट एमक्यूएम के रहनुमा डाक्टर फारूक सितार ये कहते सुनाई दिए कि परवेज मुशर्रफ मुश्किल फैसले लेने के माहिर थे और वो जो फैसला लेते, उस के असरात नजर आते थे।