✅ नई तहरीक : दुर्ग
स्वर्गीय दाऊ वासुदेव चंद्राकर अविभाजित दुर्ग जिला (बालोद बेमेतरा जिला शामिल था के बड़े किसान नेता थे, किसानों के हित में समय-समय पर आंदोलन कर उनकी समस्याओं के निदान करने हेतु संघर्षरत रहकर प्रशासन से अपनी बात मनवा लेना उनके सबल नेतृत्व में शामिल था। उनके जीवन में जिले की खेती की भूमि किसानो के लिए कभी प्यासी नहीं रही। उनका मानना था कि इंसानों के साथ-साथ किसानों को भी खेती के लिए पानी अनिवार्य है, जिसे पूरा किया जाना अति आवश्यक है।
विगत दिनों उनकी पुण्यतिथि पर समर्थकों ने उनके कार्यों, उनकी जीवन शैली और उनके व्यक्तित्व को याद करते हुए कहा-जनहित में वे इतने मुखर थे कि कांग्रेस शासन होने के बावजूद भी बिना किसी झिझक सार्वजनिक रूप से बयान देने में पीछे नहीं हटते थे। यही कारण था कि उनके एक आह्वान पर हजारों लोग उपस्थित हो जाया करते थे और शासन, प्रशासन को तत्काल ध्यान देना पड़ता था। उनकी संगठन क्षमता का अंदाजा इस बात का सबूत है कि मरते दम तक वे जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। विधायक के रूप में मध्य प्रदेश के सदन में अपनी बात रखने की जो गंभीरता रहती थी उसे पूरा सदन सुनता था। उन्हें विधानसभा का जामवंत भी कहा जाता था।
वे अविभाजित मध्य प्रदेश में लगभग 19 साल मार्केटिंग फेडरेशन के अध्यक्ष रहे। उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त था परंतु उनकी सादगी वा सरल स्वभाव के कारण पता ही नहीं चलता था कि दाऊ जी बड़े पद पर हैं। उन्हें राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता था। ऐसा कोई भी मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता नहीं था, जिसका दुर्ग प्रवास हो और वो दाऊजी के निवास पहुंचकर उनसे मिला न हो, जिले का ऐसा कोई भी नेता नहीं, जिन्होंने उनके सान्निंध्य का लाभ न उठाया हो। उनकी शख्सियत किंग मेकर की थी। आज की तारीख में ऐसा कोई नेतृत्व नहीं और ना होगा। जिले के कांग्रेसजन से उनके आत्मीय और सामाजिक संबंध इतने प्रगाढ़ थे कि सभी उनका सम्मान करते थे।
