पीएम मोदी ने किया मस्जिद उमर अली सैफ उद्दीन का दौरा, यहां नजर आती है हिदूस्तानी मुगल आर्किटेक्चर की झलक

 रबि उल अल 1446 हिजरी 

  फरमाने रसूल ﷺ   

कोई शख्स अगर किसी वक्त की नमाज भूल गया या उसे अदा करते वक्त सोता रह गया, तो उस नामज़ का कफ़्फ़ारा ये है कि जब उसे याद आए, वह उस नमाज़ को पढ़ ले।

- सहीह मुस्लिम

✅ ब्रूनेई, नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया 

पीएम मोदी ने ब्रूनेई के उमर अली सैफ उद्दीन मस्जिद का दौरा किया। उनके साथ मुतअद्दिद (कई) अमाइदीन सल्तनत और सरकारी अहलकार भी मौजूद थे। 
    उमर अली सैफ उद्दीन मस्जिद ब्रूनेई के दार-उल-हकूमत (राजधानी) की एक शानदार मस्जिद है। ये मुल्क की दो सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। ब्रूनेई के 28वें सुलतान और मौजूदा बादशाह सुलतान हसन अलबोलकीह के वालिद के नाम पर मस्जिद का नाम रखा गया है। ये मस्जिद ब्रूनेई में इस्लामी अक़ीदे की अलामत है। मस्जिद की तामीर में तक़रीबन पाँच साल लगे। उस वक़्त उसकी लागत पौंड 1 मिलियन से ज़्यादा थी। मस्जिद का तामीराती काम 4 फरवरी 1954 को शुरू हुआ था। इसकी तामीर में 1,500 टन कंक्रीट और 700 टन स्टील इस्तिमाल किया गया है। मस्जिद का इफ़्तिताह (उदघाटन) 26 सितंबर 1958 को सुलतान उमर अली सैफ उद्दीन सोम की 42 वीं सालगिरह की तक़रीब के साथ किया गया था। इसके फ़न तामीर में हिन्दुस्तानी मुग़ल आर्किटेंक्चर को भी शामिल किया गया है। ये मुल्क में सबसे ज़्यादा फोटोग्राफी का आईकन है। समझा जाता है कि इस डिज़ाइन को सबसे पहले सुलतान उमर अली सैफ उद्दीन ने तसव्वुर किया था और फिर उसे कमीशंड आर्कीटेक्ट रोडलफ़ो ने तैयार किया था, जो एक इतालवी मुजस्समा साज़ था।

पोप फ्रांसिस पहुंचे जकार्ता की इस्तिक़लाल मस्जिद 



जकार्ता : 
पोप फ्रांसिस ने जुमेरात को मुस्लमानों और कैथोलिक मसीहियों को दावत दी कि वो मौसमियाती तब्दीलियों और इंतिहापसंदी के ख़तरात से निमटने के लिए आलमी रहनुमाओं पर दबाव डालें। वो जकार्ता में जुनूब मशरिक़ी एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद का दौरा कर रहे थे। इस मौक़ा पर उन्होंने मुख़्तलिफ़ मज़हबी अक़ाइद की मुशतर्का (साझ़ा) बुनियादों के बारे में बात की। 
    दुनिया के सबसे ज़्यादा आबादी वाले मुस्लिम अक्सरीयती मुल्क इंडोनेशिया के दौरे पर मज़हबी इशारात से भरपूर एक दिन में पोप ने क़ौमी इमाम-ए-आला नस्र उद्दीन उमर और दीगर मुक़ामी मज़हबी रहनुमाओं के साथ एक मुशतर्का आलामीया (साझा घोषणा पत्र) जारी किया जिसमें बढ़ती गर्मी से निमटने के लिए फ़ैसलाकुन इक़दाम का मुतालिबा किया गया। ये मस्जिद वसती (मध्य) जकार्ता में तक़रीबन 22 एकड़ पर मुहीत एक गुंबद वाली इमारत है। 


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