आसाम : नमाज़-ए-जुमा के लिए दी जाने वाली सहूलत पर सरकार ने चलाई क़ैंची

सफर-उल-मुजफ्फर 1446 हिजरी 

  फरमाने रसूल ﷺ  

जो आदमी इस हाल में फौत हुआ के वह अल्लाह ताअला और आख़ेरत पर इमान रखता हो तो उससे कहा जाएगा, त जन्नत के आठ  दरवाज़ों में से जिस दरवाज़े से दाखिल होना चाहता है, दाखिल हो जा।

- मसनद अहमद

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✅ गोहाटी : आईएनएस, इंडिया 

आसाम हुकूमत ने जुमा के दिन असेंबली मुलाज़मीन को नमाज़ के लिए दी जाने वाली दो घंटे की छुट्टी पर पाबंदी लगाने का फ़ैसला किया है। रियासत के सीएम हेमंता बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया के ज़रीये ये जानकारी दी। आसाम के वज़ीर-ए-आला सरमा ने कहा कि ये रिवाज मुस्लिम लीग के सय्यद साद ने 1937 में शुरू किया था। आसाम हुकूमत के वज़ीर और बीजेपी लीडर पियूष एक्का ने कहा कि आसाम असेंबली ने हर जुमा को नमाज़-ए-जुमा के लिए 2 घंटे के लिए छुट्टी मुल्तवी करने की रिवायत को ख़त्म कर दिया है। 
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    मीडीया रिपोर्टस में दी गई मालूमात के मुताबिक़ अब मुस्लिम एमएलए को जुमा के दिन नमाज़ के लिए वक़फ़ा नहीं मिलेगा। ये इंतिज़ाम असेंबली के अगले इजलास से नाफ़िज़ उल-अमल होगा। असेंबली से बीजेपी एमएलए विश्व अजीत फुकन ने कहा कि अंग्रेज़ों के दौर से ही आसाम असेंबली में नमाज़-ए-जुमा के लिए दो घंटे का वक़फ़ा दिया जाता था। जिसमें मुस्लिम एमएलए जुमा को नमाज़-ए-जुमा अदा करते थे, लेकिन अब इस उसूल को तबदील कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि आसाम असेंबली पीर से जुमेरात सुबह 9.30 बजे काम करना शुरू कर देती है लेकिन जुमा को नमाज़ के लिए दो घंटे का वक़फ़ा देने सुबह 9 बजे काम शुरू होता था, अब इसमें तबदीली आई है और अब जुमा को भी असेंबली का काम आम दिनों की तरह सुबह 9.30 बजे शुरू होगा।
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आख़िर कितना परेशान किया जाएगा मुसलमानों को, आईयूडीएफ़ के रुक्न का सवाल
आसाम हुकूमत की जानिब से नमाज़-ए-जुमा के लिए मिलने वाले दो घंटा के वकफे को ख़त्म किए जाने के फैसले के बाद एआईयूडीएफ़ समेत तमाम अपोज़ीशन जमातों ने बरहमी (नाराजगी) का इज़हार किया है। एआईयूडीएफ़ के रुक्न असेंबली मुजीब अर रहमान ने इल्ज़ाम लगाया कि वज़ीर-ए-आला हेमंता बिस्वा सरमा ऐवान की रवायात शिकनी की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने असेंबली कैंटीन में सूअर के गोश्त की दस्तयाबी पर भी सवाल उठाए। 
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    मुजीब अलरहमान ने सीएम सरमा से पूछा कि आप मुस्लमानों पर आख़िर कितना जुल्म करेंगे, उन्होंने कहा कि जुमा को नमाज़ के लिए दो घंटे का वक्फा दिए जाने का सिलसिला 1936 से जारी है। 90 साल हो गए, कई हुकूमतें और वुज़राए आला आए, लेकिन उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई। हम नहीं जानते कि मौजूदा वज़ीर-ए-आला सरमा को क्या परेशानी है। वो मुस्लमानों को बाहर निकालना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ऐवान में सेक्यूलारिज्म बरक़रार रखें। हर शख़्स को अपने मज़हबी अक़ीदे पर अमल करने का हक़ है। 
    उन्होंने कहा कि आप तादाद अज़दवाज (बहू विवाह) को ख़त्म करना चाहते हैं। आप मुस्लमानों की शादी और तलाक़ को ख़त्म करना चाहते हैं। मुस्लमानों पर आख़िर कितना ज़ुलम करेंगे आप। आप सबके साथ यकसाँ सुलूक करें। पूरा मुलक आपको देख रहा है। 



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