सफर उल मुजफ्फर - 1446 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
ह्य अल्लाह ताअला जिसके साथ खैर व भलाई करना चाहता है, उसे बीमारी की तकलीफ और दीगर मुसीबतों में मुब्तिला कर देता है।ह्य
- सहीह बुख़ारी
✅ नई तहरीक : भोपाल
मुल्क की आजादी के 75 से भी ज्यादा सालों के बावजूद मुल्क को आज़ाद कराने वाले अज़ीम मुजाहिदीन की कुर्बानियों के तज़किरे तो हमारे बीच हैं, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बग़ैर वतन की बेलौस ख़िदमत की लेकिन अफ़सोस कि कौम की नई नसल अपने अकाबिरीन और उनकी कुर्बानियों को भूलती जा रही है, या यूं कहें कि चंद फिरकापरस्त ताक़तें और मनुवादी व पूंजीवादी अनासिर और ताक़तें अज़ीम मुजाहिदीन-ए-आज़ादी की तारीख़ को मिटाना चाहती हैं। जिन शख़्सियात के कारनामे नौजवान नसल को बताई जानी चाहिए, उन्हें सफ़हा हस्ती से मिटाने की कोशिशें की जा रही हैं। अगर हमने उनकी तारीख़ को महफ़ूज़ नहीं किया और मौजूदा नसल को उनके बारे में नहीं बताया तो यक़ीनन हमारे नौजवान उन अज़ीम मुजाहिदीन को भूल जाएंगे जिसक कसूरवार हम ही होंगे।
आज के सियासी लीडरान भी ख़ुदनुमाई में मुबतला हैं। फ्लेक्स-ओ-पोस्टर पर जंग-ए-आज़ादी में शामिल मुजाहिदीन के बजाय अपने ही फ़ोटो लगाए जाते हैं। ज़रूरत इस बात की है कि हम किसी ना किसी तरह आज़ादी के मतवालों की तारीख़ अपने बच्चों और नौजवानों के सामने लाते रहें, उन्हें बताते रहें कि किस तरह आज़ादी के मतवालों ने मुल्क के लिए क़ुर्बानियां दी हैं। हमारे लिए खुसूसन कौम के नौजवानों के लिए उन तमाम मुजाहिदीन को याद करना बहुत ज़रूरी हो गया है जिनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।
आज के सियासी लीडरान भी ख़ुदनुमाई में मुबतला हैं। फ्लेक्स-ओ-पोस्टर पर जंग-ए-आज़ादी में शामिल मुजाहिदीन के बजाय अपने ही फ़ोटो लगाए जाते हैं। ज़रूरत इस बात की है कि हम किसी ना किसी तरह आज़ादी के मतवालों की तारीख़ अपने बच्चों और नौजवानों के सामने लाते रहें, उन्हें बताते रहें कि किस तरह आज़ादी के मतवालों ने मुल्क के लिए क़ुर्बानियां दी हैं। हमारे लिए खुसूसन कौम के नौजवानों के लिए उन तमाम मुजाहिदीन को याद करना बहुत ज़रूरी हो गया है जिनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।
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इन ख़्यालात का इज़हार अर्जुन एवार्ड याफताह, ओलंपियन जलाल उद्दीन रिज़वी ने किए। वे यहां बेनजीर अंसार एजूकेशनल एंड सोशल वेल्फेयर सोसायटी की जानिब से मुनाकिद एक ख़ुसूसी प्रोग्राम के दौरान मीडीया से ख़िताब कर रहे थे। अंसार एजूकेशनल सोसायटी की जानिब से स्कूली तलबा व तालिबात को मुल्क की आजादी के लिए अपनी जाने कुर्बान कर देने वाले मुजाहेदीन से मुतआर्रुफ कराने मुजाहिद-ए-आजादी के खुसूसी स्टीकर्स बनवाकर तकसीम किए। गौरतलब है कि अंसार एजूकेशन सोसायटी सालों से खैर के कामों को अंजाम दे रही है।
स्कूल इंतिज़ामिया का कहना है कि स्टीकर्स के ज़रीये बच्चे मुल्क के अज़ीम सपूतों की तारीख़ से वाक़िफ़ हो रहे हैं, नीज़ उन्हें तारीख़ पढ़ने का शौक़ पैदा हो रहा है। यक़ीनन सोसाइटी का ये क़दम लायक़ तहसीन है।
बेनज़ीर अंसार एजूकेशनल ऐंड सोशल वेल्फेयर सोसाइटी के इस इक़दाम की चारों तरफ़ पज़ीराई हो रही है। सोसाइटी के सदर आईपीएस रिटायर्ड डीजीपी (छत्तीसगढ़) एमडब्लयू अंसारी का कहना है कि ग़रीब तलबा-ओ-तालिबात, नीज़ सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए सोसाइटी की जानिब से ये स्टीकर्स मुफ़्त फराहम किए जा रहे हैं। उन्होंने स्टीकर्स के लिए स्कूल इंतेजामिया और मुजाहिदीन-ए-आजादी की हालात-ए-जिंदगी में शौक रखने वाले बच्चों से अंसार एजूकेशनल सोसायटी के ऑफ़िस सेक्रेटरी या सोसाइटी के दफ़्तर में राबिता करने कहा है। उन्होंने कहा कि स्टीकर्स तकसीम करने का काम अगस्त के पूरे महीने में जारी रहेगा।
स्कूल इंतिज़ामिया का कहना है कि स्टीकर्स के ज़रीये बच्चे मुल्क के अज़ीम सपूतों की तारीख़ से वाक़िफ़ हो रहे हैं, नीज़ उन्हें तारीख़ पढ़ने का शौक़ पैदा हो रहा है। यक़ीनन सोसाइटी का ये क़दम लायक़ तहसीन है।
बेनज़ीर अंसार एजूकेशनल ऐंड सोशल वेल्फेयर सोसाइटी के इस इक़दाम की चारों तरफ़ पज़ीराई हो रही है। सोसाइटी के सदर आईपीएस रिटायर्ड डीजीपी (छत्तीसगढ़) एमडब्लयू अंसारी का कहना है कि ग़रीब तलबा-ओ-तालिबात, नीज़ सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए सोसाइटी की जानिब से ये स्टीकर्स मुफ़्त फराहम किए जा रहे हैं। उन्होंने स्टीकर्स के लिए स्कूल इंतेजामिया और मुजाहिदीन-ए-आजादी की हालात-ए-जिंदगी में शौक रखने वाले बच्चों से अंसार एजूकेशनल सोसायटी के ऑफ़िस सेक्रेटरी या सोसाइटी के दफ़्तर में राबिता करने कहा है। उन्होंने कहा कि स्टीकर्स तकसीम करने का काम अगस्त के पूरे महीने में जारी रहेगा।
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