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दस रोजा तकरीरी प्रोग्राम से मुस्तफीद हुए अकीदतमंद, पढ़ी गई दुआए आशूरा

मोहर्रम-उल-हराम - 1446 हिजरी

हदीस-ए-नबवी ﷺ

तुम में से सबसे ज्यादा मुझे वो शख्स अजीज है, जिसकी आदत व अखलाख अच्छे हों। 

- बुखारी शरीफ

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मुहर्रम, ताजिया, कर्बला, नई तहरीक, तहरीक


✅ नई तहरीक : खैरागढ़ 

शोहदा-ए-कर्बला की याद में तकरीरी प्रोग्राम के अलावा शहर में जगह-जगह लंगर, फातेहा ख्वानी और कुरआन ख्वानी का एहतेमाम किया गया। यौमे आशूरा पर जामा मस्जिद में पेश ईमाम मोहम्मद फखरुद्दीन मिस्बाही ने खुसूसी नवाफिल अदा कराए। जिसके बाद दुआए आशूरा पढ़ी गई। फातिहा ख्वानी और सलात-ओ-सलाम का नजराना पेश कर मुल्क, रियासत और शहर के अम्नो-अमान और खुशहाली की दुआए की गई। इस मौके पर हाफिज मोहिब्बुल हक, हाफिज मुख्तार आलम, हाजी असगर अली, हाजी नासिर मेमन, हाजी रिज़वान मेमन, हाजी तनवीर मेमन, हाजी इमरान मेमन, हाजी मोहसिन अली, हाजी जाहिद अली, हाजी मुर्तजा, साबिक सदर व नपा के नायब सदर अब्दुल रज्जाक खान, जामा मस्जिद के सदर अरशद हुसैन, नायब सदर जफर हुसैन खान, खलील कुरैशी, कासिम कुरैशी, खजांची इदरीश खान, लुकमान अली, कदीर कुरैशी, हबीब अशरफी, फारूख मेमन, सलाम खान, रियाजुद्दीन कुरैशी, डॉ. मकसूद अहमद, नाजिम खान, कय्यूम कुरैशी, शम्सुल होदा खान, सेक्रेटरी अल्ताफ अली, जफर उल्लाह खान, अय्यूब सोलंकी, रफीक सरधारिया, जुनैद खान, सादिक मोतीवाला, तारिक अमान, कलीम अशरफी, सलीम सोलंकी, युनुस सोलंकी, सैय्यद सौकत अली, शाकिर खान, गुलाम मुस्तफा, याकूब सोलंकी, नदीम मेमन, समीर कुरैशी, इरफान वारसी, नसीम कादरी, वसीम कादरी, जमीर खान, ईनायत रसूल, सोहेल खान, अय्यूब अली, जमील मेमन, अरमानुल हक, सुलेमान खान, रहमान खान व राजा सोलंकी समेत कसीर तादाद में मआशरे के लोग मौजूद थे। 

शोहदा-ए-कर्बला को किया याद, की खिराजे अकीदत पेश 

मोहर्रम उल हराम की नौवीं व दसवीं तारीख को जामा मस्जिद के इमाम-ओ-खतीब हाफिज फखरुद्दीन ने खानदाने हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के वाकेआत पर रोशनी डाली। मजहब-ए-इस्लाम में 10 मोहर्रम, यौमे आशूरा की खास अहमियत है। आज ही दिन पैगम्बर हजरत आदम अलैहिस्सलाम, हजरत ईब्राहीम अलैहिस्सलाम, हजरत मूसा अलैहिस्सलाम, हजरत युसुफ अलैहिस्सलाम, हजरत नूह अलैहिस्सलाम, हजरत युनुस अलैहिस्सलाम अलैहिस्सलाम, हजरत याकूब व हजरत अय्यूब अलैहिस्सलाम की दुआएं अल्लाह ताअला ने कबूल फरमाई थी। पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद मुस्तुफा  के नवासों (हजरत ईमाम हसन व हजरत ईमाम हुसैन अलैहिस्सलाम) ने मैदान-ए-करबला (ईराक) में इस्लाम की हिफाजत के लिए अपने पूरे खानदान की कुर्बानी दी थी। ये उसी शहादत का नतीजा है कि पूरी दुनिया में मजहबे ईस्लाम फलफूल रहा है।
    इस मौके पर जामा मस्जिद में मआशरे की जानिब से हजरत ईमाम हसन व हजरत ईमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की याद में दस रोजा तकरीरी प्रोग्राम मुनाकिद किया गया था। इस दौरान शहर की मुख्तलिफ तंजीमों की जानिब से जगह-जगगह शर्बत, शीरीनी व खिचड़ा वगैरह तकसीम किए गए। 9 व 10 मोहर्रम पर आम लंगर का इंतजाम किया गया था जिससे कसीर तादाद में अकीदतमंद मुस्तफीद हुए।
 


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