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महाराष्ट्र में हजूमी तशद्दुद, मस्जिद में तोड़फोड़,

मोहर्रम-उल-हराम - 1446 हिजरी

हदीस-ए-नबवी ﷺ

जिसने अस्तग़फ़ार को अपने ऊपर लाज़िम कर लिया अल्लाह ताअला उसकी हर परेशानी दूर फरमाएगा और हर तंगी से उसे राहत अता फरमाएगा और ऐसी जगह से रिज़्क़ अता फरमाएगा जहाँ से उसे गुमान भी ना होगा।

- इब्ने माजाह

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महाराष्ट्र : भीड़ ने मस्जिद में किया हमला
✅ महाराष्ट्र : आईएनएस, इंडिया 
मीडीया इत्तिलाआत के मुताबिक़ राज्य सभा के साबिक़ रुक्न पार्लियामेंट और छत्रपति शिवा जी महाराज के वारिस संभाजी राजे छत्रपति ने हज़ारों हामीयों के साथ क़िला की तरफ़ मार्च किया, जिसकी वजह से तशद्दुद भड़कने का ख़दशा बढ़ गया। इतवार को सुबह तक़रीबन 9:40 बजे संभाजी राजे के क़िले में पहुंचने से कब्ल ही उनके हामियों (समर्थकों) ने एक मस्जिद पर पथराव शुरू कर दिया और आस-पास के मुक़ामी मुस्लिम बाशिंदों पर भी हमला किया। 
    गौरतलब है कि ये मस्जिद विशाल गढ़ के रास्ते पर है जो किले से 6 किलोमीटर दूर है। मुक़ामी लोगों ने इल्ज़ाम लगाया है कि किले की ज़मीन पर उसके महल होने के दावे अजीब और फर्जी हैं। उसी बीच एक निजी मीडीया इदारे ने दावा किया है कि, वज़ीर-ए-आला एकनाथ शिंदे ने इंतिहापसंद ग्रुपों को यक़ीन दिलाया है कि वो पीर को ढाँचों को मुनहदिम (ढहा) देंगे। गुजिश्ता साल ज़िलई इंतिज़ामीया ने किले का सर्वे किया और दावा किया कि उन्हें 160 इमारतें मिली हैं जिनमें एक मस्जिद, मकानात और दुकानें शामिल हैं जो गै़रक़ानूनी तौर पर तामीर की गई थीं। 
    इस वाकिये में बच्चों समेत कम अज़ कम 40 लोगों पर हमला किया गया है। इस हवाले से एएसआई एमआईएम के सरबराह रुक्न पार्लियामेंट असद उद्दीन उवैसी ने महाराष्ट्र की हुकूमत पर हमला किया और उनसे क़सूरवारों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने ये भी कहा कि ये वाक़िया बाबरी मस्जिद के इन्हिदाम से मिलता-जुलता है। उवैसी ने अपने आफिशियल सोशल अकाउंट पर वीडीयो शेयर करते हुए लिखा कि' 6 दिसंबर जारी है'', मज़ीद लिखा कि एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फड़नवीस आपकी हुकूमत में एक मस्जिद पर हुजूम ने हमला किया, जो क़ानून की हुक्मरानी पर हमला है; लेकिन आपकी हुकूमत को कोई फ़िक्र नहीं है। उन्होंने मज़ीद कहा कि महाराष्ट्र के मुस्लमानों को आने वाले इंतिख़ाब में जवाब देना चाहिए। 
    एमआईएम के उम्मीदवारों की जीत को यक़ीनी बनाते हुए आइन्दा इंतिख़ाबात में ऐसे हजूमी तशद्दुद, सियासी लीडरों और पार्टियों को रोकें, जो उन्हें सरपरस्ती और हिमायत फ़राहम करते हैं और उन जमातों की ख़ामोशी को याद रखें जो ये दावा कर रही हैं कि वो जीत रहे हैं। 


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