मोहर्रम-उल-हराम - 1446 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
जिसने अस्तग़फ़ार को अपने ऊपर लाज़िम कर लिया अल्लाह ताअला उसकी हर परेशानी दूर फरमाएगा और हर तंगी से उसे राहत अता फरमाएगा और ऐसी जगह से रिज़्क़ अता फरमाएगा जहाँ से उसे गुमान भी ना होगा।
- इब्ने माजाह
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✅ इंदौर : आईएनएस, इंडिया
मध्य प्रदेश के कमाल उद्दीन मस्जिद मामले में आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया (एएसआई) ने इंदौर हाईकोर्ट में अपनी सर्वे रिपोर्ट पेश कर दी है। मालूमात के मुताबिक़ रिपोर्ट में मस्जिद के सतूनों पर हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां और निशानात का ज़िक्र किया गया है। तहक़ीक़ात के दौरान श्री कृष्णा, शिव, ब्रह्मा समेत 94 देवी देवताओं की मूर्तियां मिली हैं।
एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हाल ही में अहाते से चांदी, ताँबा, एलूमीनीयम और स्टील के कुल 31 सिक्के मिले हैं जो 10वीं सदी के हैं। इसके अलावा ये भी दावा किया गया है कि कुछ सिक्के उस वक़्त के हैं, जब परमार बादशाह मालवा पर हुकूमत कर रहे थे। 11 मार्च को इंदौर हाईकोर्ट ने एएसआई की निगरानी में कमाल उद्दीन मस्जिद के साईंसी सर्वे का हुक्म दिया था। इस दौरान एएसआई ने मुख़्तलिफ़ किस्म की बाक़ियात (अवशेष) को कब्जे में लिया है, जिसमें खुदाई के दौरान मस्जिद की दीवारें, सतून और देवी देवताओं की मुबय्यना मूर्तियां मिली हैं। एएसआई ने तक़रीबन 2000 सफ़हात की रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट के मुताबिक़, एएसआई टीम ने सर्वे के दौरान मुजस्समा साज़ी के टुकड़ों और मुजस्समे की अक्कासी के साथ आर्कीटेक्चर मेंबरान को भी पाया। सतूनों पर शेर, हाथी, घोड़ा, कुत्ते, बंदर, साँप, कछवा, हंस और दीगर परिंदे कुंदा हैं। खिड़कियों, सतूनों और इस्तिमाल शूदा शहतीरों पर चार मुसल्लह देवताओं के मुजस्समे तराशे गए थे।
क्या है तारीख
राजा भोज 1000-1055 एडी परमार ख़ानदान का सबसे बड़ा हुकमरान था। परमार ख़ानदान 11वीं सदी में यहां हुकूमत करता था। उसने धार में एक यूनीवर्सिटी क़ायम की। बाद में ये भोज शाला के नाम से मशहूर हुई। कहा जा रहा है कि अलाउद्दीन खिलजी ने 1305 में भोज शाला को तबाह कर दिया। 1401 ईसवी में दिलावर ख़ान गौरी ने भोज शाला के एक हिस्से में मस्जिद बनवाई। 1875 में खुदाई के दौरान यहां से सरस्वती की मूर्ती मिली थी। बाद में मेजर कंकेड उसे लंदन ले गए। हिंदू फ़रीक़ उसे सरस्वती मंदिर होने का दावा करता है। इसके सबूत के तौर पर हिंदू फ़रीक़ की जानिब से हाईकोर्ट में तसावीर भी पेश की गईं। फ़िलहाल ये भोज शाला मर्कज़ी हुकूमत के तहत है और इसकी हिफ़ाज़त एएसआई करती है। एएसआई ने 7 अप्रैल 2003 को एक हुक्म जारी किया था जिसके मुताबिक़ हिंदूओं को हर मंगल को भोज शाला में पूजा करने की इजाज़त है। मुस्लमानों को हर जुमा को यहां नमाज़ पढ़ने की इजाज़त है।
सर्वे रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश, 22 जुलाई को होगी समाअत
भोपाल : आरक्योलाजीकल सर्वे आफ़ इंडिया (एएसआई) ने सर्वे रिपोर्ट 15 जुलाई को हाईकोर्ट की इंदौर बेंच को सौंप दी है। सर्वे इस बात का जायज़ा लेने के लिए था कि भोज शाला मस्जिद है या मंदिर। मामले की समाअत (सुनवाई) 22 जुलाई को होगी।
भोज शाला के मंदिर-ओ-मस्जिद के हवाले से काफ़ी अर्से से तनाज़ा (विवाद) जारी है, यहां मंगल के रोज पूजा की जाती है जबकि जुमा के रोज नमाज़ अदा की जाती है। ये तनाज़ा जब हाईकोर्ट की इंदौर बेंच तक पहुंचा तो हाईकोर्ट ने इसका एएसआई के ज़रीये सर्वे करने की हिदायत दी। एएसआई ने 22 मार्च से सर्वे शुरू किया जो 27 जून तक जारी रहा। ये सर्वे कुल 98 दिनों तक किया गया। एएसआई की दरख़ास्त पर हाईकोर्ट ने 10 दिन का इज़ाफ़ी वक़्त दिया था।
सर्वे के दौरान एएसआई को 1700 से ज़ाइद मुबय्यना (कथित) बाक़ियात (अवशेष) मिले हैं। भोज शाला के मंदिर होने का दावा करने वाले 'भोज शाला मुक्ती यज्ञ के अहलकारों का कहना है कि सर्वे के दौरान एएसआई को जो बाक़ियात मिले हैं, जो भोज शाला के मंदिर होने का सबूत हैं। मिलने वाली 37 मूर्तियों में कृष्ण, हनुमान, शिव, ब्रह्मा, वाग्देवी, गणेश, पार्वती, भैरवनाथ वग़ैरा की मूर्तियां शामिल है।