जिल हज्ज-1445 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
क्या मैं तुम्हें जहन्नुमी लोगों के बारे में ना बताऊं, आप ﷺ ने फरमाया-हर सख्त मिजाज़, बद अखलाक और तकब्बुर करने वाला जहन्नुमी है।
- सहीह बुख़ारी
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✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया
उर्दू के सफे अव़्वल के मशहूर तरीन शायर मरहूम जिगर मुरादाबादी का ये शेअर ''जान ही दे दी जिगर ने आज पा-ए-यार पर, उम्रभर की बेक़रारी को क़रार आ ही गया'' उस ख़ुशनसीब सूडानी हाजी पर बिल्कुल फिट बैठी जो मदीना मुनव्वरा की पुरनूर फ़िज़ाओं में दाख़िल होते ही ख़ालिके हक़ीक़ी से जा मिला। मस्जिद नबवी ﷺ में नमाज़ जनाज़ा अदा की गई।
सबक़ न्यूज़ के मुताबिक़ 67 साला आदिल उसमान शिकाक सूडान के इलाक़े नहर अलनेल के रिहायशी थे। बरसों से इफ़तार दस्तर-ख़्वान का एहतिमाम करना इलाक़े में उनकी शिनाख़्त बन चुका था। अहले इलाक़ा उन्हें एक नेक, ख़ुदातरस और रहमदिल इन्सान के तौर पर जानते थे। हर एक से ख़ंदापेशानी से मिला करते और कभी किसी सवाली को रद्द ना किया। आदिल उसमान के भाई अहमद शिकाक ने बताया कि इस बात का यक़ीन नहीं आ रहा कि हमारा भाई हमेशा के लिए हमसे दूर चला गया है, वो तो सफ़र हज पर गए थे मगर वहां से ही सफ़र आख़िरत पर रवाना हो गए। कल हमसे अल-विदा होते वक़्त उनकी आँखों में ख़ाना-ए-काअबा के दीदार की ख़ुशी देखी थी, मगर अब वो हमेशा के लिए अहले मदीना बन गए हैं।
अहमद शिकाक ने मज़ीद बताया कि सऊदी एयर लाईन की उडान मिस्र से मदीना मुनव्वरा के लिए रवाना हुई थी। जब जहाज़ मदीना की फ़िज़ाओं में दाख़िल हुआ तो साथ बैठे मुसाफ़िरों ने महसूस किया कि भाई के साथ कुछ मसला है, जिस पर जहाज़ के अमले को मतला किया गया, जिन्होंने फ़ौरी तिब्बी इमदाद फ़राहम की। उसी दौरान जहाज़ मदीना मुनव्वरा एयरपोर्ट पर लैंड कर गया। जहाज़ के लैंड करते ही तिब्बी अमला पहुंच गया और भाई को हस्पताल मुंतक़िल किया गया मगर इत्तिला मिली कि वो ख़ालिके हक़ीक़ी से जा मिले हैं।
सूडानी हज मिशन और मदीना हज इंतिज़ामीया के मुताबिक़ नमाज़ जनाज़ा मस्जिद नबवी ﷺ में अदा की गई और उन्हें मस्जिद नबवी ﷺ से मुत्तसिल क़ब्रिस्तान में सपुर्द-ए-ख़ाक कर दिया गया।
सबक़ न्यूज़ के मुताबिक़ 67 साला आदिल उसमान शिकाक सूडान के इलाक़े नहर अलनेल के रिहायशी थे। बरसों से इफ़तार दस्तर-ख़्वान का एहतिमाम करना इलाक़े में उनकी शिनाख़्त बन चुका था। अहले इलाक़ा उन्हें एक नेक, ख़ुदातरस और रहमदिल इन्सान के तौर पर जानते थे। हर एक से ख़ंदापेशानी से मिला करते और कभी किसी सवाली को रद्द ना किया। आदिल उसमान के भाई अहमद शिकाक ने बताया कि इस बात का यक़ीन नहीं आ रहा कि हमारा भाई हमेशा के लिए हमसे दूर चला गया है, वो तो सफ़र हज पर गए थे मगर वहां से ही सफ़र आख़िरत पर रवाना हो गए। कल हमसे अल-विदा होते वक़्त उनकी आँखों में ख़ाना-ए-काअबा के दीदार की ख़ुशी देखी थी, मगर अब वो हमेशा के लिए अहले मदीना बन गए हैं।
अहमद शिकाक ने मज़ीद बताया कि सऊदी एयर लाईन की उडान मिस्र से मदीना मुनव्वरा के लिए रवाना हुई थी। जब जहाज़ मदीना की फ़िज़ाओं में दाख़िल हुआ तो साथ बैठे मुसाफ़िरों ने महसूस किया कि भाई के साथ कुछ मसला है, जिस पर जहाज़ के अमले को मतला किया गया, जिन्होंने फ़ौरी तिब्बी इमदाद फ़राहम की। उसी दौरान जहाज़ मदीना मुनव्वरा एयरपोर्ट पर लैंड कर गया। जहाज़ के लैंड करते ही तिब्बी अमला पहुंच गया और भाई को हस्पताल मुंतक़िल किया गया मगर इत्तिला मिली कि वो ख़ालिके हक़ीक़ी से जा मिले हैं।
सूडानी हज मिशन और मदीना हज इंतिज़ामीया के मुताबिक़ नमाज़ जनाज़ा मस्जिद नबवी ﷺ में अदा की गई और उन्हें मस्जिद नबवी ﷺ से मुत्तसिल क़ब्रिस्तान में सपुर्द-ए-ख़ाक कर दिया गया।
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