अल्लामा इकबाल के कलाम ‘शिकवा’ का एक मशहूर शेर है,
‘दश्त तो दश्त है, दरिया भी न छोड़े हम ने,
बहरे जुल्मत में दौड़ा दिए घोड़े हमने’
क्या आप जानते हैं कि यह बहरे जुलमत कहां है और किसने वहां घोड़े दौड़ाए थे? अल्लामा इकबाल किस ओर इशारा कर रहे हैं?
बहरे जुल्मात अटलांटिक महासागर का पुराना नाम है, अरब इसे बहरे जुल्मात कहते थे। जुलमात का माना अंधेरा होता है। अटलांटिक महासागर बादलों से घिरा रहता है इसलिए उसका यह नाम पड़ा। वैसे भी अरब की चमकदार धूप के मुकाबले यूरोप अंधेरा सा लगता है। इसमें घोड़ा दौड़ाने वाले और कोई नहीं उक़्बा बिन नाफे और उनकी फौज थी, पर यह उकबा बिन नाफे कौन थे?
उकबा बिन नाफे इस्लामी इतिहास के हीरो, कुशल सैनिक , महान जंगजू और इंतेजामी आफिसर (प्रशासनिक अधिकारी) थे। वे मक्का में उस समय पैदा हुए, जब अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम हिजरत करके मदीना तशरीफ ले जा चुके थे। उनकी मुलाकात नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से न हो सकी इसलिए वे सहाबी नहीं हैं, हां इनके वालदैन जरूर सहाबी थे।
हजरत उमर रदिअल्लाहो अन्हों ने जब मिस्र फतह करने के लिए हजरत अमर बिन अलआस की कयादत में एक फौज रवाना की तो जवान उकबा बिन नाफे भी उसमें शामिल थे। मिस्र की लड़ाई में उनकी सलाहियत खुल कर सामने आई जिस के सबब उनकी तरक्की हुई और हजरत उमर के हुक्म के मुताबिक उन्हें सेना की एक टुकड़ी का कायद बना दिया गया।
मिस्र पर फतह पाने के बाद इस्लामी सेना लीबिया की ओर आगे बढ़ी और बरका व त्रिपोली पर फातेह हुई उसके बाद हजरत अमर बिन अलआस लीबिया की जिम्मेदारी उन्हें सौंप कर मिस्र वापस आ गए। हजरत उस्मान व हजरत अली रदि अल्लाहो अन्हों के जमाने में वे लीबिया की जिम्मेदारी संभालते रहे।
जब हजरत मुआविया खलीफा बनें तो उन्होंने पूरे अफ्रीका का गवर्नर उकबा बिन नाफे को बना दिया और उन्हें हुक्म दिया कि अफ्रीका को बाजंतीनी सेना से खाली कराओ। बाजंतीनी उस समय की सुपर पावर थी जिससे लड़ना आसान न था लेकिन उकबा बिन नाफे भी कम न थे। हजरत मुआविया का हुक्म बजा लाते हुए वे आगे बढ़े और ट्यूनीशिया पर फतह हासिल कर ली और इस्लामी फौज को मजबूत बुनियाद देने के लिए एक नया शहर बसाया जिस का नाम कैरवान रखा। शहर में एक शानदार मस्जिद बनाई जिसके साथ ताअलीम का एक मर्कज भी था, शहर और मस्जिद आज भी मौजूद हैं।
ट्यूनीशिया पर इस्लामी हुकूमत मजबूत करवे आगे बढ़े और अल्जीरिया व मोरक्को पर फतहयाब होते हुए अटलांटिक महासागर पहुंच गए और बिना रुके घोड़े दौड़ाते हुए सागर के अंदर जा पहुंचे और कहा
‘ऐ अल्लाह, मुझे नहीं पता कि इस महासागर के पार कोई आबादी है भी या नहीं, अगर मुझे पता होता कि आगे भी लोग रहते हैं तो मैं बराबर फतह के फरेरे उड़ाता और तेरी तौहीद के नारे बुलंद करता चला जाता।’
तरक्कीयाती कामों को तरजीह दी
उकबा बिन नाफे जीशान जंगजू ही नहीं, एक काबिल इंतेजामिया आफिसर भी थे। उन्होंने कैरवान शहर बसाने के इलावा कई छोटे शहर बसाए, मस्जिदें व स्कूल खोले, नहरों व सिंचाई का काम किया। मोरोक्को में वाके दुनिया की सबसे कदीम युनिवर्सिटी का नाम आपने सुना होगा, जिसे फातिमा अल फहरी नामी एक खातून ने बनाया था, फातिमा अल फहरी इन्हीं उकबा बिन नाफे अल फहरी के वंशजों में थीं और इसी कैरवान शहर में पैदा हुई थीं।
- ब-शुक्रिया मुहम्मद जाकिर हुसैन, भिलाई
तवारीख - इतिहास
अवराक - पन्ने