सबसे उम्र दराज एलेजांद्रा मारिसा रोड्रिक्स, 60 साल की उम्र में जिसके सिर पर सजा मिस यूनिवर्स का ताज

शव्वाल -1445 हिजरी

हदीस-ए-नबवी ﷺ

'' बाप की खुशनूदी में अल्लाह की रजा और बाप की नाराजगी में अल्लाह का गजब है। '' 

- मिश्कवात (जिल्द 2, सफा 419)

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लंदन : आईएनएस, इंडिया 

60 साल की उम्र में मिस यूनीवर्स का ताज सर पर सजाने वाली ख़ातून ने कहा है कि उम्र किसी किस्म की कोई कमज़ोरी नहीं बल्कि एक असासा (संपत्ति) है। बर्तानवी अख़बार के मुताबिक़ एलेजांद्रा मारिसा रोड्रिक्स ने दो रोज़ कब्ल मिस यूनिवर्स का टाइटल अपने नाम कर एक नई तारीख़ रक़म की है। यही नहीं, दक़यानूसी सोच को चैलेंज करते हुए उन्होंने दुनिया को हैरान भी कर दिया है। मुक़ाबला हुस्न की तारीख़ में एलेजांद्रा पहली ऐसी खातून हैं जिन्होंने 60 साल की उम्र में ये खिताब अपने नाम किया है। 
    यही नहीं एलेजांद्रा ने इस तास्सुर को भी रद्द कर दिया है जिसमें लोग ख़ूबसूरती को उम्र से जोड़ते हैं। एज़ाज़ हासिल करने के बाद उन्होंने कहा कि मैं हुस्न के मुक़ाबलों में एक नई शुरूआत पर बहुत पुरजोश हूँ, हम एक ऐसे मरहले का आग़ाज़ कर रहे हैं जो सिर्फ ख़वातीन की जिस्मानी ख़ूबसूरती तक मूहदूद नहीं बल्कि इक़दार का मजमूआ भी है। उन्होंने इस उम्र के लोगों की नुमाइंदा बनने पर ख़ुशी का इज़हार भी किया कि मेरे ख़्याल में जजेस ने मेरे एतिमाद और जज़बे को देखा। अब वो मिस अर्जनटाइन के मुक़ाबले में हिस्सा लेने के लिए पुरअज़म हैं। 
    ख़्याल रहे कि इससे क़बल मिस यूनीवर्स के मुक़ाबले में सिर्फ वही ख़वातीन हिस्सा लेने की अहल थीं जिनकी उम्र 18 से 28 बरस तक हो। मिस यूनीवर्स के टाइटल का एहतिमाम करने वाले इदारे ने 2024 के शुरू में ऐलान किया था कि मुक़ाबले में हिस्सा लेने वाली ख़वातीन के लिए उम्र की हद ख़त्म कर दी गई है और 18 साल से ज़ाइद उम्र की कोई भी ख़ातून मुक़ाबले में हिस्सा ले सकती हैं। एलेजांद्रा ख़ूबसूरती के मेयार को तबदील करने वाली पहली ख़ातून नहीं हैं बल्कि 47 साला हैडी क्रूज़ 2024 के मिस यूनीवर्स के मुक़ाबले में डोमीनेकिन रिपब्लिक की नुमाइंदगी कर रही हैं। एलेजांद्रा ने एक इंटरव्यू में बताया कि हुस्न के मुक़ाबलों में शिरकत करना चाहती थी ताहम कमउमरी में ही माँ बनने के बाद में इस ख़ाब को अमली जामा पहनाने के काबिल नहीं थी हालांकि वो मिस यूनीवर्स के प्लेटफार्म से मौक़ा मिलने पर मेरी अंदरूनी आवाज़ ने मुझे कहा कि इसके लिए निकल पड़ूँ और इसके बारे में सुनने के बजाय अमली तजुर्बा करूँ। 
    अगरचे बाअज़ नाक़िदीन की जानिब से उन पर शकूक का इज़हार भी किया गया है ताहम इस तास्सुर को लेकर आगे बढ़ने के लिए पुरअज़म हैं कि उम्र कोई कमज़ोरी नहीं बल्कि असासा भी बन सकती है। उनके बाक़ौल मैं अक्सर दूसरों की बातों पर ध्यान नहीं देती और अपने एहदाफ़ पर तवज्जा मर्कूज़ रखती हूँ क्योंकि कोई भी आपके ख़ाब नहीं जी सकता।

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