रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी
अल्लाह पर करें भरोसा
अब्दुल्लाह बिन मसूद रदि अल्लाहो अन्हू से रवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया बदफाली शगुन में यकीन करना शिर्क है किसी को बदफाली शगुन का वहम हो तो अल्लाह सुब्हानहु ताअला पर भरोसा करे अल्लाह सुब्हानहू उस भरोसे की वजह से उसे दूर फर देंगे- सुनन इब्ने माजा
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रमजान महीने के आखिरी अशरे में शहर की हर मस्जिद में
इबादत कर रहे मोतकिफ
इबादत कर रहे मोतकिफ
✅ नई तहरीक : भिलाई
रमजान मुबारक महीने का आखिरी अशरा (दस दिन) जारी है, जो 21वी शब से शुरू होता है। इस दौरान रोजेदार मस्जिदों में एतकाफ पर बैठते हैं। शहर की तमाम मस्जिदों में अमूमन 2 या 2 से ज्यादा लोग एतकाफ पर बैठते हैं, जो शहर में अमन व सलामती के लिए दुआएं करते हैं और मस्जिद में रह कर ही इबादत करते है।इस बारे में शेखुल हदीस हज़रत मौलाना जकरिया रहमतुल्लाह अलैह ने अपने रिसाले फजाइले रमजान में एतेकाफ की हदीसो को जमा करके उनके फायदे लिखे हैं। मौलाना जकरिया कहते हैं कि मोतकिफ (एतेकाफ में बैठने वाले) की मिसाल एैसी है, जैसे कोई शख्स किसी के दर पर जा पडे, जब तक उसकी दरख्वास्त कुबूल ना हो ना हटे। मोतकिफ अल्लाह को राजी करने बैठ रहा है। इब्ने कासिम रहमतुल्लाह अलैह कहते हैं, बैठने वाला अल्लाह की पाक जात से अपने-आप को जोड़ कर रखे। दुनिया से जहन हटा कर ऐसी याद व ज़िक्र में खो जाए कि उसकी मोहब्बत में वो उसको पा ले।
दारुल कजा के मुफ्ती मोहम्मद सोहेल ने बताया कि इसके कुछ आदाब है। एतिकाफ में बैठने वाले को यह ख्याल रखना चाहिए कि मस्जिद के एक हिस्से या मस्जिद के हद से बाहर ना निकले। नमाज़ के समय पर जमात से नमाज पढ़े। दीन के अलावा दुनियावी बातें ना करें। ज्यादा वक्त तिलावते कुरआन, नफिल नमाज़ ओर जिक्र-ओ-अजकार में गुजारे। कुछ देर आराम भी करें। कोशिश करे कि तहज्जुद की नमाज जरूर पढ़ें। एतकाफ के लिए मोहल्ले से एक शख्स के भी बैठ जाने से सबकी तरफ हो अदा हो जाएगा। इसलिए उसको चाहिए कि वो सबकी तरफ से अल्लाह को मनाने बैठा है।
मरकजी मस्जिद पावर हाउस, कैंप 2, मदरसा जामिया अरबिया के इमाम हाफिज कासिम और मस्जिद आयशा हाउसिंग बोर्ड के इमाम मौलाना फैसल अमीन ने बताया कि औरतें भी रमजान माह में आखिरी अशरा में अपने घरों में ऐतेकाफ कर सकती हैं। घर पर जहां नमाज़ पढ़ने की जगह हो, वहां बैठकर या घर के किसी कोने पर बैठे ओर इबादत में मशगूल रहे। उस जगह से कहीं जाना-आना ना करें, तस्बीह, तिलावते कुरआन, नफिल नमाज़, फ़र्ज़ नमाज़, खाना सभी उसी जगह करें।
आज अलविदा जुमा
इस साल रमजान महीने का आखिरी जुमा 5 अप्रैल को है। इसे देखते हुए शहर की तमाम मस्जिदों में खास तैयारियां की गई हैं। अलविदा जुमा में नमाज पढ़ने और माहे रमजान को विदाई देने हजारों की तादाद में शहर की मस्जिदों में लोग जमा होंगे। ऐसे में शहर की तमाम मस्जिदों में नमाजियों की बढ़ती तादाद और गर्मी के मौसम को देखते हुए तैयारियां की जा रही हैं।For the latest updates of islam
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