सफर उल मुजफ्फर, 1447 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
जिस शख्स का मकसद आखेरात की बेहतरी हो, अल्लाह ताअला उसके दिल को गनी कर देता है, उसके बिखरे हुए कामों को समेट देता है और दुनिया ज़लील हो कर उसके पास आती हैं।
- तिर्मीज़ी शरीफ
शहरे बालोद की आवाम ने निहायत ही मसर्रत के साथ हिंदुस्तान की यौम ए आज़ादी का जश्न मनाया। इस मौके पर मआशरे के लोगों ने जामा मस्जिद कैंपस में यौमे आजादी की तकरीब का एहतेमाम किया।मस्जिद कैंपस में यौम आज़ादी की 79वी सालगिरह पर मआशरे की जानिब से मुनाकिद तकरीब में सुबह 7:30 बजे पेश ईमाम शकील रज़ा चिश्ती ने परचम कुशाई कर लोगों को जश्ने यौम ए आज़ादी की मुबारक बाद पेश की। तकरीब से खिताब करते हुए उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 आज़ादी का दिन भी जुमा था। और इत्तेफाक से आज भी बरोजे जुमा है। उन्होंने आगे कहा कि मुल्क की आजादी के लिए मुसलमानों ने भी सबके साथ मिलकर अपना खून बहाया है। मुश्किल से मिली इस आज़ादी की हमे हर क़ीमत पर हिफाज़त करनी है। मुल्क के दुश्मनों के लिए मुसलमान हमेशा सीना तानकर खड़ा रहा है। दुश्मनों का नापाक मंसूबा मुसलमान कभी कामयाब होने नहीं देगा।
इस मौके पर नायब इमाम मुस्ताक पटेल, इज़हार अहमद, हाजी खलील अहमद, उस्समान उल्लाह, इजराइल, अरमान अश्क, मोहम्मद अबरार सिद्दीकी, हाकिम ताज, स्माइल खान, रहीम मोहम्मद, हसनात सिद्दीकी, ऑल मुस्लिम वेलफेयर फाउंडेशन के दुर्ग संभाग सदर हाजी जाहिद अहमद खान और प्रदेश कार्यसमिति समिति के अराकीन व सीनियर एडवोकेट मोहम्मद आदिल हामिद सिद्दीकी के साथ मआशरे समाज के लोग कसीर तादाद में मौजूद थे।
आखीर में इंतजामिया मस्जिद कमेटी के सदर शाहीद अहमद खान की जानिब से लोगों में मिठाई तकसीम की गई।