✅ नई तहरीक : दुर्ग
छत्तीसगढ़ राज्य में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाएँ वर्ष 1975 से राज्य शासन के महिला बाल विकास विभाग के अधीन कार्यरत है। प्रदेशभर में 1 लाख से अधिक कार्यकर्ता सहायिका छग राज्य के सभी जिलों एवं विकासखण्डों में प्रत्येक गरीब, निम्न एवं मध्यम परिवारों तक अपनी पहुंच बनाए रखते हुए गर्भधारण से लेकर प्रसूती, गर्भवती महिला का टीकाकरण, जांच एवं डिलवरी आहार एवं पूरक पोषण, बच्चों का वजन एवं टीकाकरण, 0 से लेकर 6 वर्ष आयुवर्ग तक के बच्चों का पूरक पोषण आहार अनौपचारिक शिक्षा, शिक्षा आहार, कुपोषण से बचाव, सुपोषण, गोद भराई, अन्न प्रासन, बाल भोज, सुपोषण योजना, बाल मित्र बनाना, स्व सहायता समूह बनाना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह, शाला प्रवेश उत्सव सुपोषण चौपाल, बाल संदर्भ, नोनी सुरक्षा योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन, महतारी वंदन, पालक बैठक जैसी महत्वपूर्ण 16 योजनाओं का सफलतापूर्व क्रियान्वयन करती हैं।
इसके अलावा राशन कार्ड बनाना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा एवं मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा (स्मार्ट कार्ड) बनवाना, क्लोरिन, फाइलेरिया की गोली बांटना, पल्स पोलियों, निर्वाचन आयोग में बीएलओ. जनगणना, आर्थिक सर्वेक्षण, स्वच्छ भारत के तहत शौचालय का सर्वे, पशु एवं नगर सुराज, ग्राम सुराज, किशोरी बालिका की देखरेख, 11 से 18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को विटामिन गोली वितरण, रोज गृह भेंट, विधवा, परित्यक्ता सर्वे, मातृ मृत्यु दर रोकना अपने केन्द्र के तहत हितग्राहियों की देखरेख, संरक्षण और आयुष्मति योजना जैसे विभिन्न कार्यों को अंजांम देती हैं।
यही नहीं, सुपरवाईजर के माध्यम से परियोजना अधिकारी द्वारा राज्य शासन को रिपोर्ट भी भेजी जाती है। वतमान में राज्य सरकार की महतारी वंदन याजना जिसे कार्यकर्ताओं के द्वारा जनजन घर-घर पहुंचाकर रात दिन एक कर 70 लाख हितग्राहियो का लाभ पहुंचाया गया जिसके एवज में सरकार से हमें कोई मानदेय नहीं मिला।
ऐसे ही भारत सरकार द्वारा पोषण टकर एवं आंगनबाडी को ट्रेकर कर ऑन लाईन कार्य करने निकाला गया है जिसमें आंगनबाडी में आने वाली हितग्राहियो का आधार मोबाईल में लिंक करना, मोबाईल वेरीफिकेशन कर हितग्राही से ओटोपी. मांगकर उनके आधार का ई-केवाईसी किया जाता है। यह प्रक्रिया 01 से 10 बार करने के बाद ही पुर्ण होता है। हितग्राही उबकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर नाराज हो ओटीपी बताने से मना कर नाराजगी व्यक्त करते हैं।
हितग्राही आगंनबाडी में आकर हमसे पैसा मांगते है कि आपके द्वारा ओ.टी.पी. मांगने पर दिया गया अब हमारे खाते से राशि निकल गया। हमारे साथ गालीगलौच किया जाता है। बिना किसी संसाधन सुविधा और प्रशिक्षण के स्वंय के मोबाईल में आंन लाईन कार्य कर हम शासन के आदेश का पालन कर रहे है।
उल्लेखित कार्यों के लिए कार्यकर्ताओं को मात्र 10000/- रूपये एवं सहायिका को 5000/- रूपये जिसमें राज्य शासन 5500/- रूपये, केन्द्र सासन द्वारा 4500/- रूपये मानदेय राशि दिया जाता है। सभी कार्यकर्ता, सहायिका पूर्व में 4 घण्टा काय करती थी, लेकिन अब उसे बढ़ाकर 6 घण्टे कर दिया गया है। कई बार तो 8 से 10 घण्टे भी कार्य करने पड़ते है। हमें तो श्रम कानूनों के अंतर्गत कलेक्टर दर भी नहीं दिया जाता एवं ना हमारा वर्ग निर्धारित किया जाता है।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य के महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओं की दशा भारतवर्ष में सबसे दयनीय बन चुकी है। सबसे खास बात यह है कि छोटे से राज्य पांडेचेरी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को शासकीय कर्मचारी घोषित कर कार्यकताओं को ततीय श्रेणो और सहायिकाओं को चतुर्थश्रेणी कर्मचारी घोषित कर वेतन दिया जा रहा है। आंगन बाड़ी में विधवा, परित्यक्ता को अधिक प्राथमिक्ता दिया जाता है। सोच सकते है कि जिनके घर कोई पुरूष वर्ग कमाने वाला नहीं है महंगाई में वो महिला अपना घर 10000 एवं 5000 रुपए. में कैसे चलाएगी।
छत्तीसगढ़ की महिलाओं के श्रम के साथ इतना, बड़ा खिलवाड़ और किसी राज्य में नहीं दिखलायी दे रहा है जितना कि छत्तीसगढ़ में। इस बात को लेकर अनेक बार छत्तीसगढ़ की आगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं द्वारा बूढ़ातालाब में भीषण गर्मी, बारिश और कड़ाके ठंड में छोटे-छोटे बच्चों को लेकर धरने पर बैठ आंदोलन किया गया और तनख्वाह कटवाया गया लेकिन शासन को तरस नहीं आया। आज भी छत्तीसगढ़ की हजारों आंगनबाड़ी की महिलाएं बेबस और विवश है।
13 को एक दिवसीय प्रदर्शन
अपनी मांगों को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओं द्वारा 13 अगस्त को एक दिवसीय ध्यानाकर्षण धरना प्रदर्शन रखा गया है जिसमे जिले की महिला की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाएं सहित राजधानी सहित सभी जिलो में ध्यानाकर्षण धरना पर बैठेगी और छत्तीसगढ़ सरकार से अपनी मांगो के लिए गुहार लगायेंगी। अगर इसके बाद भो सरकार का दिल नहीं पसीजा तो 01 सितंबर आंगनबाड़ी की लाखो महिला कार्यकर्ता और सहायिकाएं 1 दिवसीय प्रांत स्तरिय धरना प्रदर्शन करने हेतु मजबूर होंगी।
प्रमुख मांग एवं समस्या
जिला अध्यक्ष गीता बाग् ने अपनी मांगों के संदर्भ में बताया किकार्यकर्ता सहायिकाओं को तत्काल शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए।मध्यप्रदेश की तर्ज पर प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत मानदेय वृद्धि की जाएपर्यवेक्षक भर्ती तत्काल निकाली जाए. आयु सीमा बंधन हटाते हुए 50 प्रतिशत में पदोन्नति दी जाए। सहायिकाओं को शत-प्रतिशत पदोन्नत किया जाए, उम्र का बंधन हटाया जाए।पोषण ट्रेकर एप में आने वाली समस्या :पोषण ट्रेकर एप में वर्जन का बार-बार बदलना।5 जी मोबाईल नहीं होने से नए वर्जन का सपोर्ट नहीं करना। 5 जी मोबाईल दिया जाए एवं नेट खर्च बढ़ाया जाए।नये वर्जन का सही प्रशिक्षण नहीं मिल पाना।आधार कार्ड हितग्राहियों का अपलोड नहीं होना।हितग्राही द्वारा ओटीपी बताने से इंकार किया जाना, कई हितग्राहीयों के खाते से पैसे का निकलना।हितगाहीयों के मोबाईल से आधार लिंक नहीं होना।फेस कैप्चर बार-बार करने पर फेस मिसमेच होने का ऑप्शन आना।पोषण आहार को ले जाने में हितग्राही द्वारा अनाकानी करना।कार्यकर्ता व सहायिका की सेवा समाप्ति पर 10 लाख दिया जाए।सम्मान सुविधा प्रणाली को बंद किया जाय।कार्यकर्ता व सहायिका को गंभीर बिमारी होने पर मेडिकल छुट्टी के साथ मानदेय दिया जाए।प्रभार में दिये गये कार्यकर्ता व सहायिका को प्रोत्साहन राशि दिया जाएछग. महिला कोष की तरह कार्यकर्ता व सहायिका को विभागीय ऋण उपलब्ध कराई जाए।ईधन की राशि समय सीमा पर डाली जाए। सभी केन्द्रों में 01 सिलेण्डर व 01 चूल्हा उपलब्ध कराया जाए।आरटीई के तहत 03 से 06 साल के बच्चों को स्कूल में भर्ती किया जा रहा है जिसके कारण आंगनबांडी में बच्चे कम हो रहे है। इसके लिए ठोस निर्णय लिया जाए ताकि आंगनबाड़ी में बच्चों की कमी ना हो।सुपोषण चौपाल की राशि एवं मातृत्व वंदना की राशि प्रत्येक माह दी जाए।आंगनबाड़ी में शासन द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली प्रशिक्षण राशि को खर्च किया जाए।