रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी
बदफाली शिर्क है
'' अब्बास रदि अल्लाह अन्हू से रवायत है कि नबी-ए-करीम ﷺ ने फरमाया, मेरी उम्मत के सत्तर हजार लोग बिना हिसाब के जन्नत में जाएंगे। ये वो लोग होंगे, जो झाड़-फूंक नहीं करते हैं और न शगुन लेते हैं। यानी अच्छे-बुरे शगुन में यकीन नहीं करते और अपने रब पर भरोसा करते हैं। ''- सही बुखारी
(तशरीह : शगुन यानि फालतू बातों में यकीन करके उस काम को छोड़ देना। जैसे काली बिल्ली रास्ता काट जाने से काम खराब हो जाएगा या घर से दही पीकर निकलने से काम अच्छा होगा, ये सब शुगुन में आता है, ऐसी बातों का यकीन नहीं करना चाहिए, क्यूंकि होता वही है, जो अल्लाह चाहता है।)--------------------------------
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✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
ज्ञानवापी मस्जिद में वाके व्यास तहख़ाने में पूजा के ख़िलाफ़ मुस्लिम फ़रीक़ की अर्ज़ी पर सुप्रीमकोर्ट में समाअत हुई। इस दौरान अदालत ने कहा कि ज्ञानवापी व्यास जी तहख़ाने में पूजा जारी रहेगी। सुप्रीमकोर्ट ने पूजा पर पाबंदी लगाने से इनकार करते हुए मस्जिद कमेटी का पूजा पर पाबंदी का मुतालिबा मुस्तर्द कर दिया है।
मुस्लिम फ़रीक़ की दरख़ास्त पर हिंदू फ़रीक़ को भी नोटिस जारी किया गया था। सुप्रीमकोर्ट ने ये भी कहा कि हमारी मुदाख़िलत के बग़ैर स्टेट्स में कोई तबदीली नहीं की जाएगी। मुस्लिम फ़रीक़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले को चैलेंज किया और पूजा पर फ़ौरी पाबंदी लगाने का मुतालिबा किया था। गौरतलब है कि इस साल 31 जनवरी को वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के फ़ैसले के बाद व्यास जी तहख़ाने में पूजा शुरू की गई थी। उसके बाद मुस्लिम फ़रीक़ ने हाईकोर्ट में अपील की लेकिन अदालत ने पूजा पर पाबंदी लगाने से इनकार कर दिया।
मुस्लिम फ़रीक़ की दरख़ास्त पर हिंदू फ़रीक़ को भी नोटिस जारी किया गया था। सुप्रीमकोर्ट ने ये भी कहा कि हमारी मुदाख़िलत के बग़ैर स्टेट्स में कोई तबदीली नहीं की जाएगी। मुस्लिम फ़रीक़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले को चैलेंज किया और पूजा पर फ़ौरी पाबंदी लगाने का मुतालिबा किया था। गौरतलब है कि इस साल 31 जनवरी को वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के फ़ैसले के बाद व्यास जी तहख़ाने में पूजा शुरू की गई थी। उसके बाद मुस्लिम फ़रीक़ ने हाईकोर्ट में अपील की लेकिन अदालत ने पूजा पर पाबंदी लगाने से इनकार कर दिया।
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सीजेआई ने पूछा कि क्या अब वहां पूजा हो रही है, जिस पर मुस्लिम फ़रीक़ की जानिब से हुज़ैफ़ा अहमदी ने इत्तिफ़ाक़ किया और कहा कि ये 31 जनवरी से हो रहा है। इस पर पाबंदी लगाई जाए वर्ना बाद में कहा जाएगा कि ये पूजा अरसा-ए-दराज़ से चल रही है। अगर पूजा की इजाज़त दी जाएगगी तो इससे मसाइल पैदा होंगे। सुप्रीमकोर्ट ने मस्जिद कमेटी की दरख़ास्त पर नोटिस जारी किया। अहमदी ने कहा कि मेरा अंदेशा है कि हर-रोज़ पूजा हो रही है। ये मस्जिद काम्प्लेक्स है, तह-ख़ाने में इबादत नहीं करनी चाहिए। अहमदी ने कहा कि मान लेते हैं कि वो क़बज़े में था, उसने 30 साल तक कुछ नहीं किया। 30 साल बाद उबूरी रीलीफ़ की बुनियाद कहाँ है, सुप्रीमकोर्ट ने ये भी पूछा कि दूसरा ताला किस ने खोला, क्या कलेक्टर ने, अहमदी ने कहा कि उन्हें हुक्म पर अमल दरआमद के लिए एक हफ़्ते का वक़्त दिया गया है। उसने रुकावटें हटाने के लिए लोहे के कंटेनर मंगवाए, ताले वग़ैरा खोले और पूजा शुरू की। तह-ख़ाने में पूजा का कोई सबूत नहीं है।☑ दिल्ली की 150 साल पुरानी सुनहरी मस्जिद पर मंडराने लगा है बुलडोज़र का ख़तरा
मुक़द्दमे में एतराफ़ किया गया है कि 1993 से 2023 तक तह-ख़ाने को ताला लगा हुआ था और कोई पूजा नहीं की गई थी। चीफ़ जस्टिस ने पूछा कि क्या तहख़ाने और मस्जिद जाने का एक ही रास्ता है, जिसके जवाब में अहमदी ने कहा कि तहख़ाना जुनूब में है और मस्जिद का रास्ता शुमाल में है। सीजेआई ने कहा कि कलेक्टर कहते हैं कि दूसरा ताला रियासत का है। अहमदी ने कहा कि ये सच है कि वो 1993 तक क़बज़े में थे। पहला ताला व्यास फ़ैमिली के पास था। अहमदी ने कहा, नहीं ऐसा नहीं है। तहख़ाने में होने वाली पूजा से पहले कोई क़बज़ा नहीं है। अहमदी ने कहा कि आहिस्ता-आहिस्ता हम मस्जिद पर कंट्रोल खो रहे हैं। ये कहना ग़लत है कि जुनूबी तहख़ाने का दाख़िली दरवाज़ा अलग है और मस्जिद अहाते का अलग। ये कहना दरुस्त नहीं है कि जब हम व्यास तहख़ाना में दाख़िल होते हैं तो हम मस्जिद में दाख़िल नहीं होते। ये मंदिर नहीं है। यहां दिन में पाँच वक़्त नमाज़ अदा की जाती है। बाएं जानिब एक बड़ा मंदिर का अहाता है, जहां क़दीम ज़माने से पूजा की जाती रही है। तमाम कम्यूनिटीज़ मंदिरों और मसाजिद के साथ शाना बशाना पुरअमन तौर पर मौजूद हैं। अब इस मख़सूस जगह पर इतना इसरार क्यों, रियास्ती हुकूमत ने निचली अदालत के हुक्म को चार घंटे के अंदर लागू किया।☑ मास्टर प्लान के तहत होगा लुतरा शरीफ में तरक्कीयाती काम, बैठक में लिए गए मुतअदिद्द अहम फैसले
इसके साथ ही मुस्लिम फ़रीक़ ने इबादत-गाहों के क़ानून 1991 का हवाला देते हुए अर्ज़ी को ख़ारिज करने का मुतालिबा भी किया, ताहम अदालत ने मुस्लिम फ़रीक़ का मुतालिबा मुस्तर्द करते हुए हिंदू फ़रीक़ को व्यास जी तहख़ाने में पूजा करने का हक़ दे दिया। मुस्लिम फ़रीक़ ने व्यास जी तहख़ाने में इबादत की इजाज़त देने के फ़ैसले पर रोक लगाने का मुतालिबा किया। वकील हुज़ैफ़ा अहमदी ने कहा कि निचली अदालत ने एक हफ़्ते के अंदर पूजा शुरू करने का हुक्म दिया है। लेकिन यूपी इंतिज़ामीया ने तहख़ाने को रात को ही इबादत के लिए खोल दिया, जिससे तशवीश बढ़ती है।For the latest updates of islam
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