Top News

बाबा साहिब डाक्टर भीम राव आंबेडकर की यौम-ए-पैदाइश पर बाबा-ए-क़ौम अली हुसैन आसिम बिहारी को भी किया याद

शव्वाल -1445 हिजरी

हदीसे नबवी ﷺ 
तकदीर का लिखा टलता नहीं

'' हजरत अबु हुरैरह रदि अल्लाहो अन्हुमा ने फरमाया-अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल करो और अल्लाह ताअला से मदद चाहो, और हिम्मत मत हारो और अगर तुम पर कोई वक्त पड़ जाए तो यूं मत कहो कि अगर मैं यूं करता तो ऐसा हो जाता, ऐसे वक्त में यूं कहो कि अल्लाह ताअला ने यही मुकद्दर फरमाया था और जो उसे मंजूर हुआ, उसने वहीं किया। '' 
- मुस्लिम शरीफ

------------------------------------

अली हुसैन आसिम बिहारी पर लिखी उर्दू किताब 
के अंग्रेज़ी वर्ज़न का हुआ रस्म इजरा
बाबा साहिब डाक्टर भीम राव आंबेडकर की यौम-ए-पैदाइश पर बाबा-ए-क़ौम अली हुसैन आसिम बिहारी को भी किया याद

✅एमडब्ल्यू अंसारी : भोपाल
गुजिशता रोज़ बाबा साहिब डाक्टर भीम राव आंबेडकर और बाबा-ए-क़ौम अली हुसैन आसिम बिहारी का यौम-ए-पैदाइश पूरे मुल्क में मनाया गया। सारी ज़िंदगी ग़रीबों, मज़लूमों को इंसाफ़ दिलाने, ज़ात पात, ऊंच-नीच और आपसी भेदभाव को ख़त्म करने के लिए वक़्फ़ करने वाले दोनों अज़ीम रहनुमा, देश रत्न तक़रीबन हम अस्र हैं और उनकी हयात व ख़दमात की बात करें तो दोनों रहनुमाओं में बड़ी हद तक यकसानियत पाई जाती है। दोनों की ज़िंदगी पैदाइश से लेकर वफ़ात तक यकसाँ रही है।
    काबिल-ए-ज़िक्र है कि अक़ल्लीयत, एससी, एसटी, ओबीसी ने बाबा साहिब डाक्टर भीम राव आंबेडकर के 133वें और बाबा-ए-क़ौम अली हुसैन आसिम बिहारी के 135वें यौम-ए-पैदाइश के मौक़ा पर दो-रोज़ा पुर वक़ार तक़रीब का एहतिमाम किया था। इस मौक़ा पर तमाम मुक़र्ररीन ने अपनी तक़ारीर में दोनों रहनुमाओं को याद करते हुए उनके ख़्यालात को अवामुन्नास तक पहुंचाने की बात कही। इसी दरमयान आईपीएस रिटायर्ड डीजीपी, छत्तीसगढ़ मुहम्मद वज़ीर अंसारी की बाबा-ए-क़ौम अली हुसैन आसिम बिहारी पर लिखी गई उर्दू किताब के अंग्रेज़ी वर्ज़न का रस्म इजरा भी अमल में आया।
    प्रोग्राम से ख़िताब करते हुए भंते शाक्य पुत्र सागर थेरो ने कहा कि बाबा साहिब के दिए हुए आईन (संविधान) को बचाना इस वक़्त की सबसे बड़ी ज़रूरत है। उसी से हमारी तहज़ीब-ओ-सक़ाफ़्त महफ़ूज़ रहेगी, हम सब महफ़ूज़ रहेंगे और मुल्क महफ़ूज़ रहेगा। उन्होंने कहा कि दोनों ही अज़ीम रहनुमाओं ने ज़ात-पात को ख़त्म करने की बात कही लेकिन आज़ादी के इतने साल बाद भी ये ख़त्म नहीं हुई है। आज हमें अह्द करना चाहीए कि हम उनकी इस मुहिम को ज़रूर आगे बढ़ाएंगे और समाज से ज़ातपात को ख़त्म करेंगे। इस दौरान ज़ाती मर्दुम-शुमारी की और मुल्क में तमाम मज़ाहिब के लोगों की शराकत की बात कही गई जो आज जमहूरी निज़ाम में आबादी के तनासुब से नहीं हो पा रहा है। 
    प्रोग्राम में दीगर मुक़र्ररीन ने भी अपने ख़िताब में दोनों अज़ीम रहनुमाओं के नक़श-ए-क़दम पर चलते हुए उनकी ज़िंदगी से लोगों को वाक़िफ़ कराने की बात कही। नीज़ ये भी कहा गया कि आईन की दफ़ा 341; के सदारती आर्डर को ख़त्म करने के लिए मुल्की सतह पर पर तहरीक और मूवमेंट चलाई जाना चाहीए और जो भी नेता या पार्टी इसे ख़त्म ना करने की बात कहे, उनका बाईकॉट करना चाहीए। आने वाले इंतिख़ाबात में आईन को बचाते हुए हमें ये फ़िक्र करना है कि मनु वादी, पूंजीवादी अनासिर पार्लियामेंट मैं ना जाएं, चाहे उनका ताल्लुक़ किसी भी पार्टी से हो। यहां तक कि झूटे, मक्कार और कम पढ़े लोग भी पार्लीमैंट में ना जाने पाएं। यहां तक कि जराइमपेशा लोग, जिनके ख़िलाफ़ मुक़द्दमात दर्ज हैं, ऐसे लोग भी हरगिज़ ऐवान में ना जाने पाएं। 
    प्रोग्राम से ख़िताब करते हुए एएमयू ओल्ड ब्वायज एसोसीएशन के सदर आज़म अली ख़ान ने कहा कि आज मुस्लमानों के बीच बाबा साहिब डाक्टर भीम राव और बाबा-ए-क़ौम अली हुसैन आसिम बिहारी जैसी शख़्सियत की सख़्त ज़रूरत है। नीज़ आपने ये भी कहा कि बाबा साहिब की शख़्सियत से सभी लोग वाक़िफ़ हैं, लेकिन बाबा-ए-क़ौम अली हुसैन आसिम बिहारी की शख़्सियत से बहुत से लोग नावाक़िफ़ हैं। हमें उनकी शख़्सियत को मुतआरिफ़ कराने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा, उन पर पीएचडी होना चाहिए और दोनों शख़्सियात के नाम से तालीमी इदारे और लाइब्रेरी खुलनी चाहीए।
    प्रोग्राम में खासतौर पर भंते शाक्य पुत्र सागर, मुंतज़िम जीपी मोहरा, एडवोकेट हाजी मुहम्मद हारून, आईपीएस एमडब्लयू अंसारी, एएमयू ओल्ड ब्वॉयज़ एसोसीएशन के सदर आज़म अली ख़ान, भोपाल मेयर मालती राय, एमएलए भगवान दास सबिनानी, राहुल कोठारी, सभाजीत यादव के अलावा मेहमान-ए-ख़ोसूसी के तौर कई मोअज़्ज़िज़ीन मौजूद रहे। सभी ने मजमा से ख़िताब करते हुए एक आवाज़ में दोनों अज़ीम रहनुमाओं के तालीमी मिशन को आगे बढ़ाने की बात कही।

Post a Comment

if you have any suggetion, please write me

और नया पुराने