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क़ानूनी तौर पर तबदीली मज़हब के लिए हर हिन्दुस्तानी आजाद : हाई कोर्ट

 शव्वाल -1445 हिजरी

हदीसे नबवी ﷺ 
तकदीर का लिखा टलता नहीं

'' हजरत अबु हुरैरह रदि अल्लाहो अन्हुमा ने फरमाया-अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल करो और अल्लाह ताअला से मदद चाहो, और हिम्मत मत हारो और अगर तुम पर कोई वक्त पड़ जाए तो यूं मत कहो कि अगर मैं यूं करता तो ऐसा हो जाता, ऐसे वक्त में यूं कहो कि अल्लाह ताअला ने यही मुकद्दर फरमाया था और जो उसे मंजूर हुआ, उसने वहीं किया। '' 
- मुस्लिम शरीफ

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क़ानूनी तौर पर तबदीली मज़हब के लिए हर हिन्दुस्तानी आजाद : हाई कोर्ट
✅ इलाहाबाद : आईएनएस, इंडिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक हुक्म में कहा कि मुल्क में कोई भी शख़्स मज़हब तबदील करने के लिए आज़ाद है, ब शर्त ये कि क़ानूनी तरीका-ए-कार पर अमल किया जाए। अदालत ने कहा कि इसके लिए एक हलफ़नामा और अख़बार में इश्तिहार देना ज़रूरी है, ताकि ये यक़ीनी बनाया जा सके कि मज़हब की तबदीली पर अवाम को कोई एतराज़ नहीं है। ये यक़ीनी बनाना भी ज़रूरी है कि कोई धोका दही या गै़रक़ानूनी मज़हबी तबदीली ना हो। यहां तक कि तमाम सरकारी आई डी पर नया मज़हब ज़ाहिर होना चाहिए। 
    ये तबसरा जस्टिस प्रशांत कुमार की बेंच ने किया। दरख़ास्त गुज़ार वारिस अली ने अदालत में बताया कि उसने शिकायत कनुंदा की बेटी से शादी की है जिससे उसकी एक बेटी है। दोनों साथ रहते हैं। शिकायत कनुंदा ने इस्मतदरी और पाक्सो एक्ट समेत मुख़्तलिफ़ दफ़आत के तहत मुक़द्दमा दर्ज किया है। दर्ज मुक़द्दमे को कुलअदम क़रार देने के लिए हाईकोर्ट में मुक़द्दमा दायर कर दिया गया है। दरख़ास्त गुज़ार का कहना है कि उसने अपनी मर्ज़ी से अपना मज़हब तबदील किया है। रियास्ती हुकूमत के वकील ने अदालत से इस बात की तसदीक़ के लिए वक़्त मांगा है कि क्या मज़हब की तबदीली शादी की ख़ातिर की गई थी या क़ानूनी तरीका-ए-कार पर अमल करते हुए अपनी मर्ज़ी से की गई थी। 
    इस पर अदालत ने केस की अगली समाअत लिए 6 मई की तारीख़ मुक़र्रर की है। उतर प्रदेश में मज़हब की तबदीली को रोकने के लिए एक्ट 2021 नाफ़िज़ किया गया था। ये एक्ट ग़लतबयानी, ज़बरदस्ती, ग़ैर ज़रूरी असर-ओ-रसूख़, ज़बरदस्ती, लालच या धोका दही के ज़रीया या शादी के ज़रीया एक मज़हब से दूसरे मज़हब में गै़रक़ानूनी तबदीली को रोकता है। एक्ट के सेक्शन 8 के मुताबिक़, तबदीली से 60 दिन पहले एक डिक्लेरेशन फ़ार्म डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या एडीशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को देना होगा। सेक्शन 9 तबदीली के बाद ऐलान से मुताल्लिक़ है।


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