Top News

दो अमरीकी ख़वातीन गाजा के बच्चों की मदद के लिए कर रही अनूठी कोशिश

 रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी

मस्जिद की तरफ कदम बढ़ाने का सवाब

'' हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रदि अल्लाहु अन्हु से रवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया, जो शख्स जमात के लिए मस्जिद की तरफ चले तो उसका एक कदम एक गुनाह मिटाता है और दूसरा कदम उसके लिए एक नेकी लिखता है। जाने में भी और वापस लौटने में भी। '' 
- अहमद तबरानी

--------------------------------------------

दो अमरीकी ख़वातीन गाजा के बच्चों की मदद के लिए कर रही अनूठी कोशिश
- file photo

✅ वाशिंगटन : आईएनएस, इंडिया

    दो पाकिस्तानी अमरीकी ख़वातीन गाजा में प्रोफेशनल सहाफियों (पत्रकारों) के एक ग्रुप की मदद से पनाह गज़ीन कैम्पों में ताज़ा खाने पहुंचा रही हैं। यही नहीं, वे कैम्पों में बच्चों को जंग के सदमे से निकालने के लिए मुख्तलिफ प्रोग्राम भी कर रही हैं। ये सब वाशिंगटन डीसी के एक मीडीया ग्रुप अल हया की मदद से किया जा रहा है। 
    जंग से तबाह-हाल गाजा में जहां लोगों तक बुनियादी ज़रूरी इमदाद पहुंचाना इंतिहाई दुशवार हो गया है, अमरीकी रियासत वर्जीनिया की दो पाकिस्तानी अमरीकी ख़वातीन की एक तंज़ीम वहां के लोगों को ख़ुराक और बच्चों को जंग के ट्रामा से निकालने के लिए खेल, तफ़रीह और आर्ट थेरेपी के मौके फ़राहम कर रही है। यतीम बच्चों को खेल के मैदान तामीर करने के मिशन में मसरूफ़ ग्लोबल फ़लाही इदारे ब्लूम चैरिटी की फाउंडर दोनों बहनों ने अपने इस मिशन को एक इंतिहाई मुनफ़रद (अनूठे) और तख़लीक़ी तरीक़े से गाजा तक बढ़ाया है। फ़ोन पर बात करते हुए चैरिटी की को-फाउंडर उज़्मा अहमद ने कहा कि बच्चों का हक़ है कि उनका बचपन हंसते-खेलते और ख़ुशी के साथ गुज़रे। दुनिया-भर में इस हक़ से महरूम बच्चों को हँसने-खेलने, ख़ुश रखने के लिए खेल के मैदान फ़राहम करना हमारे इदारे ब्लूम चैरिटी का बुनियादी मिशन है और यही मिशन हमें जंग से तबाह-हाल ग़ज़ा के बच्चों तक ले गया है। 
    उज़्मा की बहन अमीना शम्स ने कहा कि गाजा जंग शुरू होने के पहले दिन से हमें अंदाज़ा हो गया था कि हमें इस पर काम करना होगा। लेकिन हमारे सामने पहला सवाल ये था कि हमारी आर्गेनाईज़ेशन सिर्फ यतीमख़ानों में बच्चों को खेलकूद की सहूलयात पहुंचाने और उनकी मैंटल हैल्थ पर काम करती है, ऐसे में गाजा में बमबारी और तबाही के माहौल में हम कैसे अपना मिशन अंजाम दे सकते हैं और ये कि गाजा में जाए बग़ैर हम ये काम कर कैसे सकते हैं, लेकिन हमें ये यक़ीन था कि अगर हमें वहां पहुंचने का कोई रास्ता मिल गया तो हम इन बच्चों की मैंटल हैल्थ और उन्हें सदमे से निकालने के लिए कुछ ना कुछ ज़रूर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आखिरकार हमें ये रास्ता मिल ही गया। 
    अमीना शम्स ने कहा कि हमारा राबिता ओहाईओ में फ़लस्तीनीयों की मदद के लिए हाल ही में क़ायम की गई एक तंज़ीम हील फ़लस्तीन से हुआ ,जो गाजा के जख्मियों और जलने और कटने के शिकार मरीज़ों को ईलाज के लिए मिस्र के रास्ते उनके रिश्तेदारों के हमराह अमरीका लाती है। यही इदारा हमारे लिए गाजा के लोगों और बच्चों से राबते का पहला ज़रीया बना। अमीना शम्स ने मज़ीद कहा कि हमने इस इदारे के साथ एक एमओयू साइन किया जिसके तहत हमने हील की जानिब से उन मरीज़ों के मेडिकल ईलाज के बाद उन्हें नफ़सियाती ईलाज फ़राहम करना शुरू किया और इस वक़्त ब्लूम फिलाडेल्फिया में गाजा से पहुंचने वाली एक माँ और बेटी, न्यूयार्क सिटी में दो बहनों, और बोस्टन में दो भाईयों को नफ़सियाती ईलाज फ़राहम कर रहा है। ये सब मरीज़ जलने और कटने जैसे ज़ख़मों में मुबतला हो कर अमरीका पहुंचे थे। 
    उज़्मा ने कहा कि हम बज़ात-ए-ख़ुद गाजा नहीं जा सके, लेकिन हम इस इदारे के ज़रीये वहां तक पहुंचे जिसका अमला गाजा में मौजूद था। वाशिंगटन में फ़लस्तीनीयों के लिए काम करने वाले एक मीडीया ग्रुप 'अल हया' के जर्नलिस्ट्स उस वक़्त गाजा में मुख़्तलिफ़ फ़लाही इदारों के साथ इमदादी सरगर्मीयां अंजाम दे रहे हैं। हमने गाजा में बच्चों की मैंटल हैल्थ से मुताल्लिक़ अपने प्रोजेक्ट के लिए इस इदारे को फ़ंडज़ फ़राहम किए, जिसने गाजा में मौजूद अपनी सहाफियों की एक टीम के ज़रीये ग़ज़ा के पनाह गुनीज कैम्पों में हमारे तफ़रीही प्रोजेक्टस पर अमल दरआमद किया है।


Post a Comment

if you have any suggetion, please write me

और नया पुराने