शअबान उल मोअज्जम-1445 हिजरी
हदीसे नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम
'' हजरत अबुदर्दा रदि अल्लाहो ताअला अन्हु फरमाते हैं कि जिसने अपने भाई को सबके सामने नसीहत की, उसने उसे जलील किया और जिसने तन्हाई में नसीहत की, उसने उसे संवार दिया। (तन्हाई की नसीहत ज्यादा असर करती है, हर शख्स उसे कबूल कर लेता है और उस पर अमल करने की कोशिश करता है। और जाहिर है कि अमल करने से वह संवर जाएगा। ''
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✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया
हरमैन शरीफ़ैन की इंतिज़ामीया में दीनी उमूर के सरबराह शेख़ डाक्टर अबदुर्रहमान अल सदीस ने कहा है कि हरमैन शरीफ़ैन की सलामती सुर्ख़ लकीर है, जहां तलबीह लब्बैक अल्लाह हुम्मा लब्बैक के अलावा कोई नारा काबिल-ए-क़बूल नहीं।तफ़सीलात के मुताबिक़ हरमैन इंतिज़ामीया की जानिब से यौम तासीस (फाउंडेशन डे) के मौके़ पर ख़ुसूसी तक़रीब से ख़िताब में शेख़ सदीस ने मज़ीद कहा हरमैन शरीफ़ैन में अमन-ओ-अमान की गहरी जड़ें हैं। अमन-ओ-अमान को हरम शरीफ से मरबूत कर दिया गया है जबकि अमन-ओ-अमान हरम से ही वाबस्ता है। हरमैन शरीफ़ैन के ज़ाइरीन को चाहिए कि इस रब्त का ख़्याल रखें। उन्होंने मज़ीद कहा कि हरमैन शरीफ़ैन जाए इबादत (इबादत की जगह) है, ये नारेबाज़ी और शोर के लिए नहीं ना ही इसमें इबादत के अलावा कोई और काम किया जा सकता है। उन्होंने हरमैन शरीफ़ैन के ज़ाइरीन को हिदायत करते हुए कहा कि जज़बात में आकर मस्जिद हराम, मस्जिद नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम और मुक़द्दस मुक़ामात में इबादत के अलावा किसी और चीज़ में अपना वक़्त सर्फ ना करें।
ज़ाइरीन हरमैन शरीफ़ैन इबादत के लिए आते हैं, उन्हें चाहिए कि इसी में अपना वक़्त गुज़ारें। शेख़ अब्दुर्रहमान अल सदीस के मुताबिक़ ज़ाइरीन हरमैन को चाहिए कि वो इंतिज़ामीया की हिदायत पर अमल करते हुए सिक्योरिटी अहलकारों के साथ तआवुन करें ताकि अपने मनासिक आसानी और सहूलत के साथ अंजाम दे सकें। हरमैन इंतिज़ामीया ने ज़ाइरीन के लिए रुहानी और पुरअम्न माहौल मुहय्या कर रखा है ताकि बंदा अपने ख़ालिक़ से वाबस्ता हो, इसलिए ज़ाइरीन को दुनियावी उमूर् में नहीं उलझना चाहिए। हरमैन शरीफ़ैन में तलबीह के अलावा कोई और नारे उठाने वालों के साथ सिक्योरिटी अहलकार सख़्ती से निमटने के लिए हर वक्त मुस्तइद हैं। उन्होंने कहा कि हमैं चाहिए कि अपने दीन और वतन का सौदा करने वालों की तरफ़ तवज्जा ना दें, ये लोग अफ़्वाहें फैला कर बाअज़ इन्फ़िरादी कामों को नुमायां करके फ़ित्ना-ओ-फ़साद को हवा देने की कोशिश हैं।