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दुनिया ने कुछ ना किया तो रोहंगया को एक और नस्लकुशी का सामना करना पड़ सकता है : अकवाम-ए-मुत्तहिदा

न्यूयार्क : आईएनएस, इंडिया
मियांमार में सूरत-ए-हाल की तहकीक करने वाले अकवाम-ए-मुत्तहिदा के गैर जांबदार माहरीन (एक्सपर्ट) ने आलमी बिरादरी पर जोर दिया है कि रोहंगया की आबादी को तहफ़्फुज फराहम करने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। 
दुनिया ने कुछ ना किया तो रोहंगया को एक और नस्लकुशी का सामना करना पड़ सकता है : अकवाम-ए-मुत्तहिदा
रिपोर्ट के मुताबिक मियांमार में इन्सानी हुकूक की सूरत-ए-हाल पर अकवाम-ए-मुत्तहिदा के खुसूसी नुमाइंदे टॉम एंर्ड्यूज ने खबरदार किया कि ऐसा ना करने की सूरत में सन 2017 जैसे वाकियात हो सकते हैं। गौरतलब है कि छ: बरस कब्ल मियांमार में मुस्लिम अकलीयत रोहंगया के खिलाफ फौजी क्रैक डाउन के दौरान हजारों अफराद को कत्ल किया गया था जबकि दस लाख से ज्यादा अफराद को मुल्क छोड़कर पड़ोसी मुल्कों में जाना पड़ा था। टॉम एंर्ड्यूज ने खबरदार किया कि जिन कुव्वतों ने उस वक़्त नस्लकुश हमले किए थे, अब वो पूरे मुल्क का कंट्रोल रखते हैं और उनकी तर्जीहात में रोहंगया मुस्लमानों के इन्सानी हुकूक का तहफ़्फुज शामिल नहीं है। 
    रोहंगया मुस्लमानों को दहाईयों से तशद्दुद (हिंसा) और नसली मुनाफिरत (नफरत) का सामना है, और उसने तब बदतरीन शक्ल इखतियार कर ली जब अगस्त 2017 में रखाइन रियासत में मियांमार की फौज ने वहशियाना आॅप्रेशन शुरू किया। एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक तशद्दुद (हिंसा) की इस लहर के नतीजे में बैन-उल-अकवामी कानून की खिलाफवरजी करते हुए संगीन जराइम किए गए। मियांमार की फौज ने आॅप्रेशन के दौरान पूरे देहात को नजर-ए-आतिश कर दिया। इस दौरान खवातीन और बच्चों समेत सात लाख रोहंगया लोगों को बंगला देश भागने पर मजबूर किया गया। बंगला देश में इस वक्त तकरीबन 10 लाख रोहंगया कॉक्स बाजार के पुरहुजूम पनाह गुजीन कैम्पों में रहते हैं। हाल ही में हकायक तलाश करने के दौरे से वापिस आकर न्यूयार्क में अकवाम-ए-मुत्तहिदा को जुनूबी एशियाई मुल्क की सूरत-ए-हाल पर रिपोर्ट पेश करने वाले नुमाइंदे टॉम एंड्रूयूज ने बताया कि इस वक़्त भी छ: लाख से ज्यादा रोहंगया रियासत रखाइन में रह रहे हैं, जिनमें से एक लाख 30 हजार आरिजी हिरासती कैम्पों में रखे गए हैं।



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